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किडनी सिस्ट को लेकर लोग खासतौर से नजरअंदाज करते हैं। जो उम्र के साथ विकसित होती है। कई मामलों में यह हानिरहित मगर कुछ स्थितियों में गंभीर होती है। किडनी सिस्ट के लक्षणों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। समय पर जांच, स्वस्थ जीवनशैली और नियमित चेकअप से आप इसे रोक सकते हैं। अगर बार-बार पेशाब में दिक्कत, कमर दर्द और यूरिन में रक्त दिखाई दे तो आप ग्रेटर नोएडा के नेफ्रोलॉजिस्ट (Nephrologist in Greater Noida) से संपर्क करना चाहिए जिससे आपको समय रहते आराम मिल सके।
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किडनी सिस्ट के शुरुआती संकेत और लक्षण (Early Signs and Symptoms of Kidney Cyst)
किडनी सिस्ट की जांच और निदान (Examination and Diagnosis of Kidney Cyst)
किडनी सिस्ट इलाज और प्रबंधन (Kidney Cyst Treatment and Management)
किडनी सिस्ट होने पर कब डॉक्टर से मिलें ? (When to Consult a Doctor if you have a Kidney Cyst?)
किडनी सिस्ट एक तरल से भरी गोलाकार थैली होती है, जो आमतौर पर किडनी की सतह या भीतर विकसित होती है। अधिकांश मामलों में यह सामान्य और हानिरहित होती है, लेकिन कुछ स्थितियों में यह जटिल हो सकती है या किसी अनुवांशिक रोग से संबंधित हो सकती है। समय पर जांच और सतर्कता बरतकर इससे जुड़ी जटिलताओं से बचा जा सकता है।
यह सबसे सामान्य सिस्ट होती है। यह पतली दीवार वाली होती है। इसके भीतर केवल साफ तरल पदार्थ होता है। इसमें कोई लक्षण नहीं दिकते मगर कई बार अल्ट्रासाउंड में दिखाई देता है। हालांकि कई बार बड़ी होने पर पीठ दर्द (back pain), पेट में दबाव या पेशाब की समस्या होती हैं।
इसमें सिस्ट की दीवार मोटी होती है। इसके भीतर तरल के अलावा ठोस घटक होते हैं। अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन में एक आकृति दिखाई देती है। इसमें कैल्सीफिकेशन देखा जाता है। जटिल सिस्ट में कैंसर (Cancer) की संभावना अधिक होती है। दर्द, रक्तमेह या सिस्ट का फटना इसके लक्षण है।
यह एक आनुवंशिक रोग है। जो माता-पिता से बच्चों को मिलता है। इसमें दोनों किडनियों में कई छोटी-बड़ी सिस्टें बनती हैं। यह समय के साथ बढ़ती जाती हैं। पीकेडी से किडनियां बढ़ती हैं। इस कारण कार्यक्षमता कम होती है। हाई ब्लड प्रेशर, पीठ या पेट में दर्द, यूरिन में खून, बार-बार यूटीआई (UTIs), सिरदर्द इसके लक्षण हैं।
किडनी सिस्ट में शुरुआत में कोई लक्षण नहीं देती। खासकर जब यह छोटी होती है। इस कारण से इसे साइलेंट समस्या कहते हैं। जैसे-जैसे सिस्ट का आकार बढ़ता है। उसमें संक्रमण होता है। तब लक्षण दिखते हैं।
ज्यादातर सिस्ट साधारण होती हैं। अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन (CT scan) में जांच से पता चलती हैं।
पीठ या कमर में हल्का, लगातार बना रहने वाला दर्द किडनी सिस्ट का एक आम लक्षण हो सकता है। पेट के एक ओर भारीपन या सूजन का अहसास भी हो सकता है, खासकर जब सिस्ट का आकार बड़ा हो जाए। बड़ी सिस्ट आसपास के अंगों पर दबाव डालती है, जिससे असहजता महसूस होती है। यदि सिस्ट फट जाए या मूत्र मार्ग से रगड़े, तो पेशाब में खून (हेमेट्यूरिया) आ सकता है। बार-बार पेशाब आना या पेशाब रुक-रुक कर आना दर्शाता है कि सिस्ट मूत्र प्रणाली पर दबाव डाल रही है। ऐसे में पेशाब करते समय जलन या दर्द की शिकायत भी हो सकती है। यदि सिस्ट में संक्रमण हो जाए, तो बुखार या ठंड लगना आम बात है। पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD) जैसे मामलों में उच्च रक्तचाप भी देखा जाता है, जो किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है।
किडनी सिस्ट (Kidney cyst)किसी को भी हो सकती है, लेकिन कुछ स्थितियाँ इसकी संभावना को बढ़ा देती हैं। इन प्रमुख जोखिम कारकों को समझना आवश्यक है ताकि समय रहते इसकी पहचान और रोकथाम की जा सके।
उम्र बढ़नाः
साधारण किडनी सिस्ट उम्र के साथ आम होती है। 40 वर्ष की उम्र के बाद सिस्ट बनने की संभावना बढ़ती है। 70 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में इसका प्रसार 50 प्रतिशत तक होता है।
आनुवंशिक इतिहास:
यदि परिवार में किसी को पॉलीसिस्टिक किडनी डिज़ीज़ (PKD) है, तो इसकी संभावना अगली पीढ़ियों में भी बढ़ जाती है। यह एक आनुवंशिक विकार है जिसमें दोनों किडनियों में कई सिस्टें बनती हैं और यह धीरे-धीरे किडनी की कार्यक्षमता को नुकसान पहुंचा सकती है।
उच्च रक्तचाप या किडनी की अन्य बीमारियांः
हाई ब्लड प्रेशर किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और सिस्ट बनने की संभावना बढ़ा देता है। बार-बार यूरिन इंफेक्शन (UTI) और क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ (CKD) भी इसके जोखिम को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, धूम्रपान, कम पानी पीना, और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली भी किडनी स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
किडनी सिस्ट की पहचान बीमारी की जांच के दौरान पता चलती है। अगर किसी व्यक्ति को किडनी सिस्ट के लक्षण महसूस हो तो डॉक्टर से सलाह लें। इससे सिस्ट का आकार, संख्या, स्थान का सही आकलन कर सकते हैं।
शारीरिक परीक्षण:
डॉक्टर सबसे पहले मरीज के लक्षणों, पारिवारिक इतिहास और रक्तचाप की जांच करते हैं। इसके अलावा पेट या कमर को छूकर सूजन, दर्द या किसी कठोर भाग का आकलन करते हैं, जो सिस्ट का संकेत हो सकता है।
अल्ट्रासाउंड:
अल्ट्रासाउंड किडनी सिस्ट का पता लगाने में महत्वूपर्ण जांच है। यह सुरक्षित प्रक्रिया है। अल्ट्रासाउंड से सिस्ट का आकार, संख्या और इसकी उपस्थिति पता चलती है।
सीटी स्कैन या एमआरआई
जब सिस्ट की प्रकृति साधारण नहीं लगती या कैंसर जैसी आशंका होती है तो सीटी स्कैन या एमआरआई की जाती है। इससे जटिल सिस्ट, सॉलिड भाग, रक्त सप्लाई का पता चलता है।
ब्लड टेस्टः
ब्लड टेस्ट किडनी की कार्यक्षमता की जांच के लिए होती है। इसमें क्रिएटिनिन, ब्लड यूरिया नाइट्रोजन, ईजीएफआर यानी अनुमानित ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर जांच शामिल होती है।
यूरीन टेस्टः
यूरिन की जांच से संक्रमण, खून या प्रोटीन की उपस्थिति का पता लगाया जाता है। यह जांच विशेष रूप से तब की जाती है जब मरीज को पेशाब में जलन, दर्द या बार-बार पेशाब आने की समस्या हो।
किडनी में सिस्ट के संकेत मिलते ही इलाज की आवश्यकता इस बात पर निर्भर करती है कि वह साधारण या जटिल है। इसमें लक्षण हैं या नहीं। क्योंकि कई बार इलाज की जरूरत नहीं होती है।
बिना लक्षण वाले सिस्ट:
अगर सिस्ट छोटा है और किसी भी प्रकार का लक्षण नहीं दे रहा है, तो इसका इलाज जरूरी नहीं होता। ऐसे मामलों में डॉक्टर सिर्फ समय-समय पर अल्ट्रासाउंड या अन्य इमेजिंग जांचों से निगरानी रखने की सलाह देते हैं। ऐसे सिस्ट अक्सर जीवनभर बिना किसी परेशानी के रह सकते हैं।
लक्षण वाले सिस्ट का इलाज:
अगर सिस्ट में संक्रमण है तो डॉक्टर एंटीबायोटिक दवा देते हैं। खासतौर से बुखार, दर्द या पेशाब में जलन होने पर करते हैं।
सिस्ट ड्रेनेज:
यदि सिस्ट का आकार बड़ा हो और यह दबाव या दर्द का कारण बन रहा हो, तो इसे सुई के माध्यम से खाली (drain) किया जाता है। इसके बाद, दोबारा बनने से रोकने के लिए इसमें स्केलेरोज़िंग एजेंट डाला जा सकता है।
सर्जरी:
जटिल सिस्ट व रक्तयूरिन देने वाले या कैंसर की आशंका वाले सिस्ट को शल्यचिकित्सा से हटाते हैं। इसके लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है।
PKD का फिलहाल कोई स्थायी इलाज नहीं है। इसका उद्देश्य लक्षणों को नियंत्रित करना और किडनी को अधिक नुकसान से बचाना होता है। इसके तहत ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना, संक्रमण से बचाव करना और नियमित रूप से किडनी फंक्शन की निगरानी करना शामिल होता है।
किडनी सिस्ट कई मामलों में हानिरहित होती है। मगर लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए। समय पर ग्रेटर नोएडा में सर्वश्रेष्ठ नेफ्रोलॉजी अस्पताल से परामर्श लेना चाहिए। यदि दर्द कुछ दिनों तक बना रहे तो यह संकेत है कि सिस्ट बढ़ रहा है। पेशाब में हल्का गुलाबी रंग, लाल धारी या स्पष्ट रक्त इसकी खराबी के संकेत हैं। बार-बार बुखार या ठंड लगना, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या, किडनी संबंधित कोई पुरानी बीमारी होने पर जांच कराना चाहिए।
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किडनी सिस्ट अक्सर गंभीर नहीं होती। मगर इसका यह अर्थ नहीं कि इसे नजरअंदाज करा जाए। कई बार लक्षण देरी से उभरते हैं। इसलिए समय पर जांच, डॉक्टर की सलाह के अनुसार इमेजिंग और ब्लड टेस्ट के अलावा स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर सुरक्षित रह सकते हैं। अगर शरीर में कोई भी असामान्य लक्षण जैसे कमर दर्द, यूरिन में रक्त, या बार-बार पेशाब की समस्या है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। शरीर के छोटे संकेत भी बड़ी बीमारियों से बचने में कारगर होते हैं।
प्रश्नः 1. क्या किडनी सिस्ट खतरनाक होती है?
जवाब: ज्यादातर किडनी सिस्ट साधारण होती हैं। मगर यदि सिस्ट बड़ी हो या लक्षण दिखे तो जांच और इलाज जरूरी होता है।
प्रश्नः 2. क्या किडनी सिस्ट कैंसर में बदल सकती है?
जवाब: साधारण सिस्ट कैंसर में नहीं बदलती है। मगर जटिल सिस्ट में कैंसर का खतरा होता है। इसलिए डॉक्टर बायोप्सी की सलाह देते हैं।
प्रश्नः 3. क्या किडनी सिस्ट दर्द देती है?
जवाब: छोटी और साधारण सिस्ट आमतौर पर दर्द नहीं देती। लेकिन यदि सिस्ट का आकार बड़ा हो, उसमें संक्रमण हो या वह फट जाए, तो कमर, पेट या पसलियों के नीचे दर्द महसूस हो सकता है।
प्रश्नः 4. किडनी सिस्ट की पहचान के लिए जांच कैसे होती है?
जवाब: सबसे सामान्य जांच अल्ट्रासाउंड होती है। जरूरत पड़ने पर सीटी स्कैन, एमआरआई (MRI), ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट जरूरी होती है।
प्रश्नः 5. क्या किडनी सिस्ट का इलाज जरूरी है?
जवाब: अगर सिस्ट बिना लक्षण वाली है, तो सिर्फ निगरानी पर्याप्त होती है। लेकिन लक्षणों के साथ पाई गई सिस्ट के लिए दवाएं, सर्जिकल ड्रेनेज या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जरूरत हो सकती है। पॉलीसिस्टिक डिजीज में दीर्घकालिक चिकित्सा प्रबंधन जरूरी होता है।
प्रश्नः 6. क्या घरेलू उपायों से किडनी सिस्ट ठीक होती है?
जवाब: घरेलू उपाय सीधे सिस्ट को खत्म नहीं करते। इसके लिए स्वस्थ खानपान, ब्लड प्रेशर कंट्रोल और पर्याप्त पानी पीना जरूरी होता है।
प्रश्नः 7. क्या किडनी सिस्ट दोबारा हो सकती है?
जवाब: कुछ मामलों में सिस्ट फिर से बनती है। विशेषकर अगर पूर्व में इलाज नहीं किया गया हो। पॉलीसिस्टिक डिजीज में यह लगातार बनती है।