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भले ही महिलाएं स्वास्थ्य के प्रति सजग रहती हैं। मगर जब बात स्त्री रोगों की आती है, तो एक नाम बार-बार सामने आता है, वह है गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी का। लेप्रोस्कोपी एक मिनिमली इनवेसिव सर्जरी है। क्या होती है इसकी प्रक्रिया? क्यों बढ़ रही है मांग? और इसका खर्च क्या है। इन सभी सवालों के जवाब इस ब्लॉग में विस्तार से जानेंगे। अधिक जानकारी के लिए ग्रेटर नोएडा में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी अस्पताल (Laparoscopic Surgery Hospital in Greater Noida) से सपंर्क करें जिससे समय रहते आपको इलाज मिल सके और आप फिर से स्वस्थ हो सके।
गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी क्या है? (What is Gynecological Laparoscopy?)
लेप्रोस्कोपी प्रक्रिया कैसे होती है ? (How is the Laparoscopy Procedure Done?)
गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी की लागत कितनी होती है? (How much does Gynecological Laparoscopy Cost?)
बीमा और सहायता की जानकारी (Insurance and Assistance Information)
लेप्रोस्कोपी के फायदे और सावधानियां (Benefits and Precautions of Laparoscopy)
सही अस्पताल और डॉक्टर का चयन कैसे करें ? (How to Choose the Right Hospital and Doctor?)
गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs about Gynecological Laparoscopy)
लेप्रोस्कोपी मिनिमली इनवेसिव सर्जरी है। जिसमें शरीर में एक छोटा चीरा लगाकर एक पतली ट्यूबनुमा कैमरा डिवाइस (लेप्रोस्कोप) से शरीर के अंदर जांचकर ऑपरेशन करते हैं। यह प्रक्रिया ओपन सर्जरी के मुकाबले कम दर्दनाक, कम रक्त स्त्राव और तेजी से रिकवर करने में मदद करती है। ओपन सर्जरी के मुकाबले लैप्रोस्कोपी फायदेमंद है। ओपन सर्जरी में जहां चीरे का आकार बड़ा होता है। वहीं लैप्रोस्कोपी में यह केवल 0.5 से 1 सेमी तक होता है। ओपन सर्जरी में रिकवरी में 4 से 6 हफ्ते लगते है। जबकि लैप्रोस्कोपी में मरीज 1 से 2 हफ्ते में ठीक हो जाता है।
लैप्रोस्कोपी में कम खून बहता है। जिससे शरीर पर कम प्रभाव पड़ता है। संक्रमण का खतरा भी कम होता है। ओपन सर्जरी में मरीज को 3 से 5 दिन रुकना पड़ता है। जबकि लैप्रोस्कोपी में 1 से 2 दिन में छुट्टी मिलती है। ओपन सर्जरी के बाद शरीर पर स्पष्ट दाग रहते हैं। लैप्रोस्कोपी में यह दाग नहीं होते हैं। यह प्रक्रिया महिलाओं गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब आदि के लिए होती है। यही कारण है कि इसे इसे गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी कहते हैं।
गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी कई जटिल स्त्री रोगों के इलाज में उपयोग होती है। आइए जानते हैं:
एंडोमेट्रिओसिसः
इसमें गर्भाशय की अंदरूनी परत की कोशिकाएं बाहर अन्य अंगों पर उगती हैं। जिस कारण दर्द और बांझपन होता है। लैप्रोस्कोपी से इसकी जांच और टिश्यू को हटाना संभव होता है।
ओवेरियन सिस्टः
अंडाशय में बनने वाली गांठें सामान्य से गंभीर होती हैं। लैप्रोस्कोपी से इन्हें आसानी से हटा सकते हैं।
फाइब्रॉइडः
गर्भाशय की दीवारों में बनने वाली गैर-कैंसरयुक्त गांठें, भारी ब्लीडिंग या दर्द का कारण बनती हैं। लैप्रोस्कोपिक मायोमेक्टॉमी (Laparoscopic Myomectomy) के जरिए इन्हें हटा सकते हैं।
इंफर्टिलिटी डायग्नोसिसः
अगर बांझपन का कारण स्पष्ट नहीं है, तो लैप्रोस्कोपी से फैलोपियन ट्यूब की रुकावट, एंडोमेट्रिओसिस या अन्य समस्या की पहचान की जाती है।
हिस्टेरेक्टॉमीः
यह प्रक्रिया तब होती है, जब गर्भाशय को पूरी तरह निकालना हो खासतौर से कैंसर, भारी ब्लीडिंग होने पर। इससे कम दर्द होता है और तेजी से रिकवरी होती है।
गाइनकोलॉजिकल लेप्रोस्कोपी एक अत्याधुनिक तकनीक है। इसके सफल होने के लिए पूरी प्रक्रिया को समझना जरूरी है। यह सर्जरी कई चरणों में होती है ।
सर्जरी से पहले की तैयारी
लेप्रोस्कोपी से पहले मरीज की खून की जांच यानी सीबीसी, ब्लड शुगर, क्लॉटिंग टाइम, यूरीन टेस्ट, ईसीजी और छाती का एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड या एमआरआई जांच की जाती है। सर्जरी से आठ घंटे पहले मरीज को खाना-पीना बंद करना होता है। मरीज को एक दिन पहले अस्पताल में भर्ती करते हैं। इस दौरान डॉक्टर मरीज को सर्जरी की जानकारी देकर सहमति पत्र लेते हैं।
एनेस्थीसिया की भूमिकाः
गाइनकोलॉजिकल लेप्रोस्कोपी सामान्यत जनरल एनेस्थीसिया में होती है। मरीज सर्जरी के दौरान पूरी तरह बेहोश रहता है। इस दौरान कोई दर्द महसूस नहीं होता है। एनेस्थेटिस्ट जांच में मरीज की हृदय गति, ऑक्सीजन स्तर और रक्तचाप की जांच करते हैं।
सर्जरी शुरू होने पर:
पेट में एक छोटा चीरा लगाते हैं। इसके माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड गैस पेट में भरी जाती है। जिससे आंतरिक अंगों को अलग किया जा सके। उन्हें स्पष्ट रूप से देखा जा सके। फिर एक पतली ट्यूबनुमा कैमरा डिवाइस लेप्रोस्कोप डाली जाती है। जो स्क्रीन पर अंदरूनी अंगों की तस्वीर दिखाता है। इलाज के दौरान जैसे सिस्ट हटाने, एंडोमेट्रिओसिस (endometriosis) साफ करने, फाइब्रॉइड निकालने के लिए छोटे छेदों से सर्जिकल उपकरण डालते हैं। कार्य पूरा होने के बाद गैस को निकालकर चीरे बंद कर दिया जाता हैं। पूरी प्रक्रिया 30 मिनट से 2 घंटे तक चलती है।
रिकवरी समयः
लेप्रोस्कोपी के बाद मरीज को रिकवरी रूम में कुछ घंटे निगरानी में रखते हैं। सामान्यतः: मरीज को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। शुरुआती 2-3 दिन में हल्का दर्द, सूजन या थकावट महसूस होती है। 7 से 10 दिनों में सामान्य दिनचर्या फिर शुरू हो जाती है। हालांकि भारी काम या व्यायाम से 2–3 हफ्तों तक बचना चाहिए। मगर डॉक्टर की सलाह के अनुसार फॉलोअप जरूरी होता है।
गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी की लागत (Cost of Gynecological Laparoscopy) मेट्रो वाले शहरों में खर्च अधिक होता है। अनुभवी डॉक्टर की फीस ज्यादा होती है। कॉरपोरेट में खर्च अधिक होता है।
डायग्नोस्टिक लैप्रोस्कोपी | 25 से 45 हजार |
थेरैप्यूटिक लैप्रोस्कोपी | 50 हजार से 1 लाख तक |
लैप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी | 70 हजार से 1.50 लाख |
गाइनकोलॉजिकल लेप्रोस्कोपी सुरक्षित और तेजी से रिकवर होने वाली सर्जिकल तकनीक होती है। पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में इसके कई फायदे हैं। लेप्रोस्कोपी में बहुत छोटा चीरा यानी 0.5–1 सेमी तक होता है। जिससे शरीर को कम नुकसान होता है। मरीज जल्द ठीक होता है। सर्जरी में शरीर का बहुत कम हिस्सा खुलता है। इस कारण बैक्टीरिया या संक्रमण का जोखिम कम होता है। प्रक्रिया डायबिटीज या कमजोर इम्युनिटी वाले मरीजों के लिए सुरक्षित है। सर्जरी के बाद दर्द भी तुलनात्मक रूप से कम होता है। मरीज को एंटीबायोटिक्स या दर्दनिवारक दवाओं की कम जरूरत होती है।
सर्जरी के बाद जरूरी सावधानियांः
सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक भारी काम नहीं करना चाहिए। चलना-फिरना शुरू कर सकते हैं लेकिन सीमित और धीरे-धीरे करना चाहिए। इससे ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहता है। रिकवरी तेज होती है। जहां चीरा लगाया गया है। वहां की त्वचा को साफ और सूखा रखें। सही तरीके से ड्रेसिंग करें। हल्का, सुपाच्य खाने का सेवन करना चाहि। पानी और तरल पदार्थ भरपूर मात्रा में लेना चाहिए। जिससे शरीर जल्दी ठीक हो सके। एंटीबायोटिक, दर्द निवारक दवा को नियमित रूप से लें। नियमित फॉलोअप कराएं। जिससे यह पता चल सके कि सर्जरी सफल है कि नहीं। सामान्यतः 7 से 10 दिन में पहला फॉलो-अप जरूर कराएं।
गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी सर्जरी में चिकित्सकीय फैसले ही नहीं, आर्थिक योजना और बीमा की जरूरत होती है। क्योंकि बीमा और सरकारी योजनाओं से इससे खर्च कम हो सकता है।
अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी कवर होती है। यह सर्जरी मेडिकल आवश्यकता के तहत होती है। जैसे एंडोमेट्रिओसिस, सिस्ट हटाना या हिस्टेरेक्टॉमी के लिए हो तो। मगर सर्जरी का उद्देश्य केवल डायग्नोस्टिक या कॉस्मेटिक हो तो कुछ बीमा कंपनी इसे कवर नहीं करतीं है।
आयुष्मान भारत /सीजीएचएस / ईसीएचएस / ईएसआईसी जैसी योजनाः
गरीब और वंचित वर्ग के लिए यह योजना गाइनकोलॉजिकल सर्जरी जैसे हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy) को पूरी तरह निःशुल्क कवर करती है। सीजीएचएस (केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना में केंद्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके परिवार के लिए होती है। सीजीएचएस से जुड़े अस्पतालों में सर्जरी कैशलेस होती है। ईसीएचएस (पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना) में पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को यह योजना लाभ देती है।
जिसमें गाइनकोलॉजिकल सर्जरी शामिल है। ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) में जो कर्मचारी ईएसआईसी के तहत कवर हैं, वह ईएसआईसी अस्पतालों में मुफ्त या न्यूनतम शुल्क पर लेप्रोस्कोपी करवा सकते हैं। वहीं टीपीए/बीमा काउंटर से संपर्क करें। यानी सर्जरी की तारीख से पहले अस्पताल में मौजूद टीपीए (थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर) डेस्क से संपर्क करें। मेडिकल दस्तावेज तैयार रखें यानी डॉक्टर की रिपोर्ट, सलाह पत्र, अल्ट्रासाउंड/एमआरआई रिपोर्ट, पहचान पत्र आदि। कैशलेस या रिइम्बर्समेंट में यदि अस्पताल बीमा कंपनी से टाई-अप में है, तो अस्पताल सीधे बीमा से भुगतान ले सकता है।
रिइम्बर्समेंट में यदि टाई-अप नहीं है, तो आप खर्च कर के बाद में बीमा कंपनी से पैसे वापस पा सकते हैं। क्लेम अप्रूवल और प्रक्रिया में 24 से 48 घंटे में क्लेम अप्रूवल मिलता है। सर्जरी के बाद अस्पताल बिल, डिस्चार्ज समरी आदि जमा करके फाइनल क्लेम प्रोसेस होता है।
गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी का सफल और सुरक्षित रूप से होना अस्पताल और डॉक्टर की गुणवत्ता पर निर्भर होता है।
एनएबीएच / एनएबीएल सर्टिफाइड अस्पताल चुनेंः
जब आप अस्पताल चुनें, तो देखें कि वह एनएबीएच या एनएबीएल से प्रमाणित हो। एनएबीएच सर्टिफिकेशन यह दर्शाता है कि अस्पताल में मरीजों की सुरक्षा, स्वच्छता, स्टाफ क्वालिटी और इमरजेंसी सेवाओं का उच्च स्तर पर है। एनएबीएल सर्टिफिकेशन अस्पताल की लैब सेवाओं की गुणवत्ता और सटीकता की गारंटी देता है।
डॉक्टर का अनुभव और मरीजों के रिव्यू जरूर देखेंः
डॉक्टर की योग्यता यानी एमबीबीएस, एमएस/एमडी, प्रसूति एवं स्त्री रोग और प्रैक्टिस का अनुभव बहुत मायने रखता है ग्रेटर नोएडा में सर्वश्रेष्ठ लेप्रोस्कोपिक सर्जन (Best Laparoscopic Surgeon in Greater Noida) हर गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी सर्जरी करने सक्षम हैं। देखें कि क्या डॉक्टर ने पहले गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी की है। कितने मामलों में सफलता मिली है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (प्रैक्टो, गूगल, जस्टडायल आदि पर मरीजों के रिव्यू पढ़ें।
पैकेज और कंसल्टेशन की पारदर्शिताः
अस्पताल में पूछें कि सर्जरी का पूरा पैकेज क्या है। इसमें क्या-क्या शामिल है यानी ओपीडी, टेस्ट, ऑपरेशन, आईसीयूू, दवाएं, फॉलो-अप शामिल है कि नहीं। क्या कोई छिपा हुआ खर्च तो नहीं शामिल है। बीमा की स्थिति साफ तौर पर बताई जानी चाहिए कि इलाज कैशलेस होगा या रिइम्बर्समेंट या नकद भुगतान करना होगा। बेहतर होगा कि कम से कम 2 अस्पतालों या डॉक्टरों से राय लें। अगर संभव हो तो सर्जरी से पहले अस्पताल जाकर फीस स्ट्रक्चर और सुविधा देखें।
लेप्रोस्कोपी एक सुरक्षित सर्जिकल तकनीक है। खासकर जब बात महिलाओं के गाइनकोलॉजिकल रोगों की हो। मगर इसकी लागत विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। यदि आपके पास सही जानकारी हो तो आप अपने बजट, स्वास्थ्य बीमा और अस्पताल की तुलना कर कर सकते हैं। इसलिए किसी भी सर्जरी का निर्णय लेने से पहले एक अनुभवी विशेषज्ञ डॉक्टर (Experienced specialist doctors) से सलाह जरूर लें। जिससे चिकित्सा जरूरत के अनुसार सबसे उपयुक्त हो।
प्रश्न 1: गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी क्या है?
उत्तर: गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी एक सर्जिकल प्रक्रिया है। जिसमें पेट में छोटे चीरे के माध्यम से उपकरण डालकर गर्भाशय, अंडाशय या फैलोपियन ट्यूब (Fallopian Tubes) जैसी अंगों की जांच और ऑपरेशन होता है।
प्रश्न 2: गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी की लागत कितनी है?
उत्तर: गाइनकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी की लागत 25 हजार से 1.50 लाख तक होती है। यह इस पर निर्भर करता है कि प्रक्रिया डायग्नोस्टिक है या थेरेप्यूटिक, किस शहर के किसी अस्पताल में हो रही है।
प्रश्न 3: क्या यह सर्जरी स्वास्थ्य बीमा में कवर होती है?
उत्तर: यह सर्जरी अधिकतर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा तभी कवर की जाती है जब यह मेडिकल जरूरत के आधार पर की जाए। यदि सर्जरी कॉस्मेटिक (Surgery Cosmetic) या केवल डायग्नोस्टिक उद्देश्य से की जाती है, तो आमतौर पर इसका खर्च कवर नहीं किया जाता है।
प्रश्न 4: क्या लेप्रोस्कोपी से प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) प्रभावित होती है?
उत्तर: लेप्रोस्कोपी बांझपन का कारण समझने और उसका इलाज करने में मदद करती है। खासतौर से जब एंडोमेट्रिओसिस या फैलोपियन ट्यूब की रुकावट को हटाना हो तो।
प्रश्न 5: सर्जरी के बाद कब तक आराम करना पड़ता है ?
उत्तर: 7 से 10 दिन में मरीज सामान्य दिनचर्या में लौटता है। मगर भारी काम या व्यायाम से लगभग 3 हफ्तों तक बचना चाहिए।
प्रश्न 6: क्या लेप्रोस्कोपी दर्दनाक होती है ?
उत्तर: सर्जरी जनरल एनेस्थीसिया में की जाती है। इसलिए प्रक्रिया के दौरान दर्द नहीं होता। सर्जरी के बाद हल्का दर्द और सूजन कुछ दिनों तक होती है।