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मांसपेशियां कमजोर होने से मनुष्य को कई तरह की बीमारियां होती हैं। हर्निया उन्हीं में एक है।जब मांसपेशी या उत्तक में छेद होकर उसके अंदर का अंग व हिस्सा बाहर आता है तो उसे मेडिकल भाषा में हर्निया रोग (meaning of Hernia in Hindi) कह जाता हैं। सर्जरी हर्निया का एकमात्र इलाज है। जीवनशैली में बदलाव से हर्निया को कम किया जा सकता है। अगर आप हर्निया से परेशान है तो फेलिक्स हॉस्पिटल आपकी सहायता के किए तैयार है। फेलिक्स हॉस्पिटल के पास अनुभवी सर्जन डॉक्टरों की एक टीम है, जो हर्निया का इलाज करती है। हम हर्निया पर आपके किसी भी सवाल का जवाब देने में सक्षम है। एक्सपर्ट सुझाव के लिए कॉल करें +91 9667064100.
हर्निया की समस्या तब होती है। जब पेट का कोई अंदरूनी अंग जैस कि पेट की मांसपेशी, टिश्यू और छोटी आंत पेट की कमजोर त्वचा में छेद करके बाहर आती हैं। हर्निया आमतौर पर नाभि के हिस्से के चारों तरफ कहीं भी होता है। जांघ के ऊपरी हिस्से व बीच पेट में और ग्रोइन क्षेत्रों में भी होता है। हर्निया कोई आपात स्थित नहीं है लेकिन अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो इससे व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। हर्निया अक्सर पेट के दाहिनी ओर और नाभि क्षेत्र में ऊभरता है। यह ज्यादा मेहनत, शरीर पर पड़ने वाला दबाव और गर्भावस्था के कारण होता है। बढ़ती उम्र के मरीजों को हर्निया की संभावना अधिक होती है। नवजात शिशुओं को हर्निया हो सकता है।
इनगुइनल हर्निया (Inguinal hernia) :
हर्निया के कुल मामलों में 75 प्रतिशत मामले इनगुइनल हर्निया के हैं। इनगुइनल हर्निया महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा होता है। यह मेल बच्चों को भी होता है। यह हर्निया तब आकार लेता है जब आंत का एक हिस्सा इनगुइनल कैनाल, जो कि आंतरिक जांघ से होकर गुजरती है उसमें फैलता है।
इंसिजनल हर्निया (Incisional hernia) :
इंसिजनल हर्निया तब होता है जब पूर्व में हुई किसी सर्जरी और ऑपरेशन के चीरे के कारण टिश्यू बाहर आता है। बाद में यही हर्निया का रूप धारण करता है। (hernia disease in hindi) पूर्व में पेट की सर्जरी करा चुके लोगों को इसका खतरा ज्यादा रहता है।
फेमोरल हर्निया (Femoral hernia) :
यह ग्रोइन हर्निया है जो फेमोरल कैनाल में देखा जाता है। यह इनगुइनल कैनाल के ही नीचे चलता है। जब वसायुक्त ऊतक इनगुइनल कैनाल में प्रवेश करता है तो इसे फेमोरल हर्निया कहते हैं। फेमोरल हर्निया कमर या जांघ के पास एक उभार के रूप में देखा जाता है। फेमोरल हर्निया को फेमोरोसील भी कहते हैं।
अम्बिलिकल हर्निया (Umbilical hernia) :
नाभि संबंधी हर्निया को अम्बिलिकल हर्निया कह जाता है। यह तब होता है जब आंत का एक हिस्सा नाभि के पास पेट की दीवार में एक छेद के माध्यम से होकर जाता है। अधिकांश नाभि संबंधी वाला हर्निया जन्म से मौजूद होता है।
हायटल हर्निया (Hiatal hernia) :
हायटल हर्निया 50 वर्ष अधिक आयु वर्ग के लोगों में देखने को मिलता है। हायटल हर्निया के कारण मरीज को ग्रेड का सामना करना पड़ता है जिसमें पेट की सामग्री आहार नली में रिसने लगती है और पेट में जलन होती है।
पेरिनियल हर्निया (Perineal hernia) :
पेरिनियल हर्निया तब होता है जब ऊतक पेल्विक फ्लोर में एक छेद के माध्यम से पेट की गुहा में प्रवेश करता है। इस प्रकार के हर्निया के मामले अपेक्षाकृत दुर्लभ देखने को मिलता है।
कब्ज बना रहना
लगातार खांसी
आनुवंशिकी कारण
बढ़ती हुई उम्र
ज्यादा भारी सामान उठाना
प्रेगनेंसी के दौरान
धूम्रपान व शराब का अधिक सेवन
पेट की आंतरिक चोट और पूर्व की सर्जरी
समय पहले बच्चे का जन्म होना या कम समय में जन्म होना
पेट में अचानक तेज दर्द होने लगना
जी मिचलाना
उल्टी होना
पेट में लाल और जामुनी रंग का उभारना
लंबे समय खड़े रहने या वजन उठान के दौरान पेट पर दबाव पड़ने से दर्द होना
गैस पास करने में परेशानी
उभार जैसा दिखाई देना और महसूस करना
प्रभावित क्षेत्र में लगातार दर्द होना
दबाव महसूस करना
अंडकोष के चारों ओर खिंचाव महसूस होना
भारी सामन उठाना, धक्का देना और तनाव जैसा महसूस करना आदि।
महिलाओं में हर्निया पुरुष हर्निया की तुलना में छोटा होता है। इसमें कोई उभार नहीं होता है। व्यायाम करने, खांसने, हंसने या शौच करने के लिए जोर लगाने से हर्निया का दर्द बढ़ता है।
दर्द जो मामूली से दर्दनाक
हर्निया के पास जलन
लगातार तेज दर्द होना
मतली और उल्टी होना
गैस पास करने में परेशानी होना
सूजन के आसपास कोमलता
बुखार बने रहना
दिल की धड़कन बढ़ना
उभार के चारों ओर लाली होना
- हर्निया बढ़ता है। अधिक गंभीर लक्षणों को पैदा कर सकता है। हर्निया का बड़ा हुआ आकार आसपास के टिश्यू पर बहुत अधिक दबाव डालता है, जिससे सूजन और दर्द होती है।
- हर्निया का इलाज न कराने पर आंत का एक हिस्सा पेट की दीवार में फंस जाता है। इससे आंत बाधित होती है। इससे दर्द, मतली या कब्ज का कारण बनती है।
- अगर आंतों के फंसे हुए भाग को पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं मिलता है, तो न का जोखिम हो जाता है। आंत के टिश्यू संक्रमित होते हैं या मर जाते हैं। मरीज को तत्काल इलाज की आवश्यकता है।
- मरीज को दर्द, उल्टी, बुखार और गैस पास करने या मल त्याग करने में परेशानी ज्यादा होती है।
अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) :
अल्ट्रासाउंड शरीर के अंदर की संरचनाओं की छवि बनाने के लिए उच्च आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों का उपयोग करने में किया जाता है। इसमें पेट के अंदर मौजूद अतिरिक्त उभार या हर्निया को आसानी से देख सकते है।
सीटी स्कैन (CT Scan):
हर्निया की पुष्टि के लिए सीटी स्कैन बेहद कारगर जांच प्रक्रिया है। सीटी स्कैन से पेट की एक छवि बनाने के लिए एक्स-रे को कंप्यूटर तकनीक से जोड़ते हैं।
एमआरआई (MRI) :
एमआरआई (MRI) स्कैन पेट की आंतरिक छवि को बनाने के लिए चुंबकीय और रेडियो तरंगों के संयोजन का उपयोग करने में किया जाता है। इससे हर्निया की आकृति को आसानी से देखा जाता है।
एक्स-रे (X-Ray) :
एक्स-रे कीसे हर्निया पहचान करने के लिए मरीज को डायट्रीजोएट मेग्लुमिन और डायट्रीजोएट सोडियम (गैस्ट्रोग्राफिन) के अलावा तरल बेरियम घोल युक्त तरल पदार्थ पीने को कहता है। तरल को पीने के बाद पाचन तंत्र की साथ इमेज एक्स-रे छवियों पर हाइलाइट होती दिखती है।
एंडोस्कोपी (Endoscopy) :
एंडोस्कोपी से डॉक्टर मरीज के गले के नीचे, अन्नप्रणाली व पेट में एक ट्यूब से जुड़ा एक छोटा कैमरा डालता है। इसनमें पेट की एकदम साफ इमेज दिखती है।
हर्निया रोग का इलाज (Hernia Treatment in Hindi) :
हर्निया का इलाज दो प्रकार की सर्जिकल प्रक्रियाओं की मदद से होता है। ओपन सर्जरी और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी। ओपन सर्जरी में डॉक्टर चीरा लगाकर हर्निया का इलाज करते हैं। लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया में छोटे कट से इलाज होता है।
ओपन सर्जरी (Open Surgery) :
ओपन सर्जरी से पहले मरीज को एनेस्थीसिया देते हैं। फिर सर्जन त्वचा में एक चीरा लगाकर हर्निया को वापस उसी जगह पर धकेलता है। सर्जिकल साइट को चीरे की ही मदद से बंद किया जाता है। अगर हर्निया बड़ा है तो सर्जन हर्निया की ओपनिंग को बंद करने के लिए लचीली जाली के एक टुकड़े का इस्तेमाल करता है। यह हर्निया को दोबारा आने से रोकने में मददगार है। ओपन सर्जरी के बाद मरीज को ठीक होने में कुछ समय लगता है। सर्जरी के बाद ठीक होने के लिए डॉक्टर का कहा माने।
लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया (Laparoscopic Procedure) :
हर्निया का लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया से इलाज करते समय थ्रीडी मेष का उपयोग होता है। यह एक एडवांस तकनीक है। जबकि सामान्य सर्जरी में सिंथेटिक जाली का उपयोग होता है।इसमें पॉलीमर जाल का इस्तेमाल किया जाता हैं। जो सर्जिकल प्रक्रिया बड़े आकार के हर्निया को ठीक करने के लिए इस्तेमाल होती है। सर्जरी के बाद हर्निया के दोबारा विकसित होने की संभावना बेहद कम हो जाती है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी प्रक्रिया से पहले रोगी के प्रभावित हिस्से को एनेस्थीसिया से सुन्न करते हैं। फिर छोटा कट लगाते हैं। कट के जरिये लेप्रोस्कोप को शरीर के अंदर डालते है। लेप्रोस्कोप एक पतली ट्यूब होती है जिसमें छोटा कैमरा लगाते हैं। कैमरे से सर्जन पेट की इमेज को एक स्क्रीन की मदद से देखता है और एक दूसरा चीरा लगाकर उपकरणों को शरीर के अंदर इंसर्ट कर हर्निया को उसकी मूल जगह पर धकेलता है। मरीज लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का चयन इसलिए करते हैं क्योंकि सर्जरी के बाद हर्निया के दोबारा विकसित होने की संभावना कम होती है। सर्जरी के 48 घंटे के अंदर मरीज घर जा सकता है।
कुछ मामले में हर्निया के इलाज की जरूरत नहीं है। कई बार यह अपने आप ठीक होता है, लेकिन अगर यह अपने आप ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर करते हैं। लेकिन कुछ मामलों में सर्जरी के दौरान सर्जन डॉक्टर हर्निया को बाहर निकाल देते हैं। हर्निया की सर्जरी को दो तरह से किया जाता है जिसमें ओपन सर्जरी और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शामिल हैं। फेलिक्स हॉस्पिटल के पास अनुभवी सर्जन डॉक्टरों की एक टीम है, जो हर्निया का इलाज करती है। ज्यादा जानकारी के लिए हमें कॉल करें +91 9667064100.
सर्जरी के बाद होने वाले दर्द को ठीक करने के लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवाएं लिखता है। इन्हें समय पर लेते रहना चाहिए।
सर्जरी के बाद होने वाले की देखभाल के लिए सर्जन के निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करना चाहिए। अगर घाव के आसपास संक्रमण है तोबुखार के अलावा लालिमा, स्त्राव या दर्द पर डॉक्टर से परामर्श ले।
हर्निया सर्जरी के बाद मरीज को कई हफ्तों तक सामान्य रूप से चलने-फिरने में परेशानी होती है। रिकवरी टाइम में मरीज को ज्यादा गतिविधियां और वजन वाले सामान को उठाने से बचना चाहिए।
हर्निया को होने से नहीं रोका जा सकता है। क्योंकि कई बार हर्निया वंशानुगत स्थिति या पिछली सर्जरी से उभरता है। लेकिन हर्निया के जोखिमों को कम करने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करना जरूरी हैं।
धूम्रपान और शराब से दूर रहकर हर्निया के जोखिमों से बचा जा सकता है।
लगातार होने वाली खांसी को नियंत्रित कर इसका जोखिमों कम किया जाता है।
वजन को हमेशा नियंत्रित रखें। यग हर्निया के जोखिम कम करता है।
मल त्याग करते समय या पेशाब करते समय अधिक जोर बिल्कुल भी नहीं लगाएं।
कब्ज, हर्निया के कारण है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए।
पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए प्रतिदिन व्यायाम करें। इससे हर्निया के जोखिम को कम किया जा सकता है।
भारी वजन उठाने से बचना चाहिए। अगर भारी वस्तु उठानी है तो घुटनों को मोड़ें न कि अपनी कमर या पीठ को।
भारी वस्तुएं उठाते समय सांस रोकने से बचना चाहिए।
पेशाब करने में दर्द होना
ब्लीडिंग होना
पेट में लगातार द्रव जमा होना
सांस लेने में कठिनाई होना
सर्जिकल साइट पर संक्रमण होना
पेट और पीठ में दर्द होना
दर्द और असुविधा (Pain And Discomfort) :
जब हर्निया के क्षेत्र में दर्द होता है और यह मरीज की दिनचर्या को प्रभावित करता है, तो ऑपरेशन की आवश्यकता होती है।
हर्निया का बढ़ना (Hernia Enlargement) :
जब हर्निया का आकार बढ़ता है। यह ठीक नहीं हो सकता है, तो ऑपरेशन कराना जरूरी होता है।
हर्निया जमना (Hernia Incarceration) :
जब हर्निया जम जाता है, इसका अगर तत्काल इलाज नहीं किया जाए, तो यह ऑपरेशन की आवश्यकता पैदा कर सकता है।
आस्थाई उपायों की असफलता (Failure of Temporary Measures) :
अगर अस्थायी उपाय जैसे कि ट्रस्स या मेडिकल मैनेजमेंट से सुरक्षित और सुधारित नहीं हो रहा है, तो ऑपरेशन कराना चाहिए।
संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं (Related Health Problems) :
अगर हर्निया के साथ किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या की परेशानी है, तो चिकित्सक हर्निया का ऑपरेशन कराने को कहते हैं।
हर्निया का प्रभावी ढंग से इलाज करने का एकमात्र तरीका सर्जिकल रिपेयर है। सर्जरी की आवश्यकता है या नहीं यह आपके हर्निया के आकार और आपके लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। संभव जटिलताओं के लिए डॉक्टर आपके हर्निया की निगरानी करते हैं। कुछ मामलों में ट्रस पहनने से हर्निया के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। लेकिन हमेशा यह सुनिश्चित करने के लिए अपने चिकित्सक को देखें कि ट्रस का उपयोग करने से पहले ठीक से फिट बैठता है या नहीं। अगर आपको हाइटल हर्निया है, तो ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) और पेट के एसिड को कम करने वाली दवाएं आपकी परेशानी को दूर कर सकती हैं। इनमें एंटासिड, एच 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स और प्रोटॉन पंप इनहिबिटर शामिल हैं। लेकिन इलाज में देरी बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए।
हर्निया की जांच करके डॉक्टर हर्निया के प्रकार और उसकी गंभीरता की पुष्टि करते हैं। उसके बाद, इलाज की प्रक्रिया शुरू करते हैं।हर्निया की पारंपरिक सर्जरी या ओपेन सर्जरी एक सामान्य और काफी अधिक करायी जाने वाली प्रक्रिया है, परंतु ऑपरेशन के बाद मरीज को अक्सर लंबे समय के लिए पूर्ण आराम करना पड़ता है। ऐसे में, न्यूनतम चीरे वाली लैप्रोस्कोपिक सर्जरी तकनीक बेहद मददगार साबित होती है।
यदि आप नोएडा में सर्वश्रेष्ठ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की तलाश में हैं, तो सेक्टर 137 नोएडा में फेलिक्स अस्पताल पर जाएँ या +(91)9667064100 पर कॉल करें।
Q: क्या ऑपरेशन के बिना ही हर्निया का इलाज संभव होता है ?
उत्तर: बिल्कुल भी नहीं, हर्निया का इलाज ऑपरेशन के बिना संभव नहीं है। हर्निया के इलाज के लिए कुछ गैर-सर्जिकल उपचार के विकल्प मौजूद हैं जिनमें दवा शामिल है। अगर कोई व्यक्ति ऑपरेशन नहीं करवाना चाहता और ऑपरेशन के लिए फिट नहीं है, तो वह एक कोर्सेट, बाइंडर या ट्रस पहनकर हर्निया के कारण होने वाले दर्द को कुछ समय के लिए कम ही कर सकता है। लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं होता है।
Q: हर्निया का स्थायी उपचार में क्या शामिस है ?
उत्तर: हर्निया के दर्द से छुटकारा पाने के लिए ऑपरेशन ही एकमात्र स्थाई उपचार है। हालांकि जब तक हर्निया दर्द या सूजन जैसे लक्षणों को प्रदर्शित नहीं करता है तब तक डॉक्टर सतर्क रहने और स्वास्थ्य पर ध्यान रखने की सलाह ही ज्यादातर देते हैं।
Q: ऑपरेशन के बाद रिकवर होने में कितना दिन का समय लग सकता है ?
उत्तर: लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया के बाद मरीज को कम से कम एक या दो दिन तक अस्पताल में रहना पड़ता है। सर्जरी के एक या दो सप्ताह के बाद मरीज दिनचर्या में होने वाली गतिविधियों को शुरू कर सकता है। अधिक गतिविधियों से बचना चाहिए।
Q: मानव शरीर में हर्निया क्यों होता है ?
उत्तर: हर्निया मुख्यत: मांसपेशियों की कमजोरी और बाहरी दबाव की वृद्धि के कारण ही होकता है। जिससे शरीर के किसी भाग का अंश अपनी स्थिति से बाहर निकलकर बाहर आता है।
Q: हर्निया के इलाज के लिए लेप्रोस्कोपिक या ओपन सर्जरी में कौन बेहतर है ?
उत्तर: हर्निया के इलाज के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी बेहतर है। ओपन सर्जरी के मुकाबले इस प्रक्रिया में छोटा कट लगता है जिससे कम ब्लीडिंग होती है। ओपन सर्जरी की तुलना में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद मरीज तेजी से रिकवरी होता है।