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किडनी हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह न केवल रक्त को शुद्ध करती है, बल्कि शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे सोडियम, पोटैशियम) का संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किडनी का सही तरीके से कार्य करना हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अगर किडनी खराब होने के संकेत दिखें, तो तुरंत अच्छे किडनी अस्पताल करना चाहिए। सही खानपान, हाइड्रेशन और नियमित जांच से किडनी की बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।
ज्यादा जानकारी के लिए हमें कॉल करें +91 9667064100.
डायलिसिस एक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें किडनी की खराबी के कारण रक्त में जमा विषाक्त पदार्थों, अतिरिक्त पानी और अनावश्यक लवणों को शरीर से बाहर निकाला जाता है। यह उन मरीजों के लिए आवश्यक होती है जिनकी किडनी 85-90% तक खराब हो चुकी होती है और जो शरीर से गंदगी और द्रव को प्राकृतिक रूप से बाहर निकालने में असमर्थ होती हैं। जब किडनी सही तरीके से काम नहीं कर पाती और शरीर में विषैले पदार्थ, अतिरिक्त द्रव, और इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन बढ़ जाता है, तो उसे नियंत्रित करने के लिए डायलिसिस (Dialysis) की आवश्यकता होती है।
यह प्रक्रिया शरीर के बाहर एक मशीन की मदद से रक्त को शुद्ध करती है।
मरीज की नसों से रक्त को एक डायलिसिस मशीन में भेजा जाता है, जहाँ से विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त द्रव को फिल्टर किया जाता है।
शुद्ध रक्त को पुनः शरीर में वापस भेज दिया जाता है।
यह प्रक्रिया सप्ताह में 2-3 बार, हर बार लगभग 4-5 घंटे के लिए की जाती है।
इस प्रक्रिया में पेट की झिल्ली (Peritoneum) का उपयोग फिल्टर के रूप में किया जाता है।
एक विशेष तरल (डायलिसेट) को पेट के अंदर डाला जाता है, जो रक्त में मौजूद विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त द्रव को सोख लेता है।
कुछ समय बाद, इस तरल को शरीर से निकाल दिया जाता है और नया तरल डाला जाता है।
यह प्रक्रिया घर पर की जा सकती है और मरीज इसे खुद भी सीख सकते हैं।
डायलिसिस तब आवश्यक होती है जब किडनी अपने कार्य करने की क्षमता खो देती है और शरीर में विषैले पदार्थ, अतिरिक्त द्रव, और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन बढ़ जाता है। अगर इस स्थिति को समय पर नियंत्रित नहीं किया गया तो यह जीवन के लिए घातक हो सकती है। इसलिए सही समय पर नोएडा में सर्वश्रेष्ठ किडनी डायलिसिस अस्पताल से संपर्क करें और अपने स्वास्थ का ध्यान दें।
क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) एक दीर्घकालिक स्थिति है जिसमें किडनी धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होती जाती है और सही तरीके से रक्त को शुद्ध नहीं कर पाती। जब सीकेडी अंतिम चरण में पहुंच जाती है, तो इसे एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ईएसआरडी) कहा जाता है, जहां किडनी 90% से अधिक क्षतिग्रस्त हो चुकी होती है। जब सीकेडी अंतिम चरण में पहुंच जाती है और किडनी शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में असमर्थ हो जाती है, तब डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है।
मुख्य लक्षण:
बार-बार पेशाब आने या बहुत कम पेशाब होना
पेशाब में झाग या खून आना
हाई ब्लड प्रेशर का बढ़ना
अचानक वजन बढ़ना या घट जाना
भूख न लगना और मितली आना
हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी
किडनी रक्त से यूरिया और क्रिएटिनिन को छानकर मूत्र के माध्यम से बाहर निकालती है। लेकिन जब किडनी फेल हो जाती है, तो ये तत्व रक्त में जमा होने लगते हैं, जिससे शरीर में विषाक्तता बढ़ जाती है। जब इनका स्तर बहुत अधिक हो जाता है, तो डायलिसिस के माध्यम से इन्हें बाहर निकालना आवश्यक हो जाता है।
पुरुष: 0.7 - 1.3 mg/dL
महिला: 0.6 - 1.1 mg/dL
यदि क्रिएटिनिन 5 mg/dL से अधिक हो जाता है, तो डायलिसिस की आवश्यकता हो सकती है।
7 - 20 mg/dL (सामान्य)
यदि यूरिया 60 mg/dL से अधिक हो जाता है, तो किडनी फेलियर का संकेत हो सकता है।
किडनी शरीर से विषाक्त पदार्थ और अतिरिक्त द्रव निकालने का कार्य करती है। जब यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, तो शरीर में फ्लूइड रिटेंशन और विषाक्तता बढ़ने लगती है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं:
खासतौर पर पैरों, टखनों, हाथों और चेहरे पर सूजन
शरीर में सोडियम और पानी की अधिक मात्रा जमा होने के कारण यह समस्या होती है।
जब फेफड़ों में अतिरिक्त तरल भर जाता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है।
शरीर में द्रव बढ़ने से दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ सकता है।
अत्यधिक विषाक्तता के कारण मेमोरी लॉस, भ्रम (Confusion) और दौरे (Seizures) पड़ सकते हैं।
यदि यह स्थिति गंभीर हो जाती है, तो तुरंत डायलिसिस कराना जरूरी हो जाता है।
किडनी की खराबी से शरीर में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं:
शरीर में विषाक्त पदार्थों के बढ़ने से खून की सफाई ठीक से नहीं हो पाती, जिससे कमजोरी महसूस होती है।
एनीमिया (रक्त की कमी) भी किडनी फेलियर के कारण हो सकता है।
खून में यूरिया का स्तर बढ़ने से त्वचा में जलन और खुजली होने लगती है।
शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस के असंतुलन के कारण यह समस्या होती है।
शरीर में तरल पदार्थ के जमाव के कारण फेफड़ों पर दबाव पड़ता है, जिससे साँस लेना कठिन हो जाता है
शरीर में अपशिष्ट पदार्थों के बढ़ने के कारण भोजन से अरुचि और उल्टी की समस्या हो सकती है।
डायलिसिस का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह एक दीर्घकालिक उपचार प्रक्रिया है। किडनी की विफलता के स्तर, मरीज की समग्र स्वास्थ्य स्थिति, और अन्य चिकित्सा विकल्पों (जैसे किडनी ट्रांसप्लांट) पर निर्भर करता है कि डायलिसिस कितने समय तक जारी रहेगा।
जब किडनी की कार्यक्षमता अचानक प्रभावित होती है (जैसे, एक्यूट किडनी फेल्योर) लेकिन सुधार की संभावना होती है।
जब मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा में रखा जाता है।
कुछ मामलों में, यदि उचित दवाइयों और जीवनशैली में सुधार से किडनी की कार्यक्षमता बहाल हो जाती है, तो डायलिसिस बंद किया जा सकता है।
क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) स्टेज 5 या एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) में जब किडनी 90% से अधिक खराब हो चुकी हो।
जब किडनी ट्रांसप्लांट संभव न हो या मरीज ट्रांसप्लांट नहीं करवाना चाहता।
इस स्थिति में मरीज को जीवनभर या तब तक डायलिसिस करानी होगी जब तक ट्रांसप्लांट न हो जाए। औसतन, डायलिसिस पर रहने वाले मरीज 5-10 साल तक जीवित रह सकते हैं, और कुछ विशेष देखभाल के साथ 20 साल या अधिक भी जी सकते हैं।
डायलिसिस के मरीजों को अपनी खान-पान, व्यायाम और दवाइयों में विशेष ध्यान देना पड़ता है ताकि उनका स्वास्थ्य संतुलित बना रहे।
क्या खाना चाहिए?
उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन (अंडा सफेद भाग, मछली, चिकन)। ताजे फल और सब्जियाँ (कम पोटैशियम वाली, जैसे सेब, पत्ता गोभी)। सोडियम कम करने के लिए घर का बना कम नमक वाला भोजन। शरीर में तरल संतुलन बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी लेकिन सीमित मात्रा में।
क्या नहीं खाना चाहिए ?
अधिक पोटैशियम वाली चीजें (केला, संतरा, टमाटर, आलू)। ज्यादा नमक और प्रोसेस्ड फूड (फास्ट फूड, डिब्बाबंद चीजें)। फॉस्फोरस युक्त भोजन (डायरी उत्पाद, चॉकलेट, सोडा)। अधिक तरल पदार्थ, खासकर यदि पेशाब कम हो रहा हो
हल्का व्यायाम (वॉकिंग, योग, स्ट्रेचिंग) करने से थकान और मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या कम होती है।
रोजाना 15-30 मिनट का व्यायाम करने से दिल की सेहत बनी रहती है।
जरूरत से ज्यादा भारी व्यायाम नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है।
मरीज को डायलिसिस के दौरान ब्लड प्रेशर, एनीमिया, हड्डियों की कमजोरी और इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस को नियंत्रित करने के लिए दवाइयाँ दी जाती हैं। फॉस्फोरस बाइंडर, कैल्शियम और विटामिन डी की गोलियां दी जा सकती हैं। डॉक्टर के निर्देशानुसार दवाइयों का सेवन बहुत जरूरी है, क्योंकि किडनी की कमजोरी के कारण कई दवाएं शरीर से बाहर नहीं निकल पातीं, इसलिए समय रहते पास के अच्छे हॉस्पिटल (best hospital nearby) से सलाह लेना बेहद आवश्यक है।
नियमित डायलिसिस से थकान, मांसपेशियों में कमजोरी और त्वचा की खुजली कम हो सकती है। रक्त में विषाक्त पदार्थ नियंत्रित रहते हैं, जिससे मरीज का ऊर्जा स्तर बेहतर होता है। अगर डायलिसिस के दौरान संतुलित आहार और दवाइयों का पालन न किया जाए तो हड्डियों की कमजोरी, एनीमिया और हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है।
मरीज को तनाव और अवसाद महसूस हो सकता है क्योंकि डायलिसिस एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है। परिवार और दोस्तों का समर्थन, साथ ही काउंसलिंग, मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। योग और मेडिटेशन करने से मानसिक तनाव कम किया जा सकता है।
डायलिसिस कराने वाले कई मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं और काम कर सकते हैं, लेकिन उन्हें अपनी दिनचर्या में बदलाव करना पड़ता है। नियमित डायलिसिस के कारण यात्रा और सामाजिक गतिविधियां सीमित हो सकती हैं, लेकिन होम डायलिसिस या पेरिटोनियल डायलिसिस से मरीज को अधिक लचीलापन मिलता है।
किडनी ट्रांसप्लांट एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जिससे मरीज को डायलिसिस से छुटकारा मिल सकता है और जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।
जब किसी व्यक्ति की किडनी पूरी तरह काम करना बंद कर देती है। एंड-स्टेज रीनल डिजीज, तो उसे दो प्रमुख उपचार विकल्पों में से एक चुनना होता है। डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट। दोनों के अपने फायदे और सीमाएँ हैं, और सही विकल्प का चुनाव मरीज की स्वास्थ्य स्थिति, जीवनशैली और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।
यदि मरीज की किडनी अस्थायी रूप से खराब हुई है और उसमें सुधार की संभावना है, तो डायलिसिस अस्थायी रूप से किया जाता है।
किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीजों के लिए भी यह एक अस्थायी समाधान हो सकता है।
यदि किडनी पूरी तरह फेल हो चुकी है और ट्रांसप्लांट संभव नहीं है (डोनर नहीं मिल रहा या मरीज ट्रांसप्लांट कराने के लिए फिट नहीं है), तो डायलिसिस जीवनभर जारी रखना पड़ सकता है।
कुछ मरीज, खासकर बुजुर्ग, ट्रांसप्लांट की जटिलताओं से बचने के लिए डायलिसिस को ही स्थायी उपचार के रूप में चुनते हैं।
जिनका स्वास्थ्य सामान्य रूप से अच्छा है और जो ट्रांसप्लांट सर्जरी को सहन कर सकते हैं।
जिन्हें लिविंग डोनर या कैडेवरिक (मृत व्यक्ति) डोनर से किडनी मिल सकती है।
जो जीवनभर इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएं लेने के लिए तैयार हैं ताकि नई किडनी रिजेक्ट न हो।
जो डायलिसिस से बचना चाहते हैं और एक स्वतंत्र, सक्रिय जीवन जीना चाहते हैं।
मरीज की उम्र बहुत ज्यादा हो या अन्य गंभीर बीमारियाँ (हृदय रोग, कैंसर, संक्रमण) हों।
मरीज को डोनर किडनी न मिल रही हो।
मरीज इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएं नहीं ले सकता या उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली नई किडनी को अस्वीकार कर सकती है।
फेलिक्स हॉस्पिटल का अनुभवी नेफ्रोलॉजी विभाग किडनी फेल्योर और डायलिसिस की आवश्यकता वाले मरीजों के लिए समर्पित उपचार प्रदान करता है। जब किडनी अपशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त तरल को शरीर से प्रभावी रूप से बाहर नहीं निकाल पाती, तब डायलिसिस की आवश्यकता होती है। हमारे विशेषज्ञ मरीजों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कस्टमाइज्ड उपचार योजना बनाते हैं, जिससे उनकी किडनी हेल्थ को बनाए रखा जा सके और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
डॉ. समीर तवाकले – एडवांस डायलिसिस थेरेपी और क्रॉनिक किडनी फेल्योर के विशेषज्ञ, जो सही समय पर डायलिसिस शुरू करने और किडनी कार्यक्षमता बनाए रखने में मदद करते हैं।
डॉ. उदित गुप्ता – किडनी रोग की शुरुआती पहचान और रोकथाम में विशेषज्ञता रखने वाले डॉ. उदित गुप्ता, मरीजों को व्यक्तिगत देखभाल और आधुनिक उपचार प्रदान करते हैं।
डॉ. नवीन झा – तीव्र और क्रॉनिक किडनी रोगों के अनुभवी डॉक्टर, जो किडनी हेल्थ को सुधारने के लिए लाइफस्टाइल मैनेजमेंट, मेडिसिन और रोगी शिक्षा का समावेश करते हैं।
फेलिक्स हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजिस्ट डायलिसिस की सही समय पर शुरुआत और किडनी हेल्थ को बेहतर बनाए रखने में आपकी सहायता कर सकते हैं।
आज ही अपॉइंटमेंट बुक करें और अपने किडनी स्वास्थ्य का सही इलाज पाएं। डॉक्टर की सलाह के लिए आज ही फोन करें +91 9667064100.
किडनी डायलिसिस एक चिकित्सा प्रक्रिया है जो तब आवश्यक होती है जब किडनी अपने कार्य करने में असमर्थ हो जाती है और शरीर से विषाक्त पदार्थों, अतिरिक्त पानी और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर नहीं निकाल पाती। यह प्रक्रिया रक्त को साफ करके शरीर के महत्वपूर्ण कार्यों को बनाए रखने में मदद करती है। डायलिसिस जीवनरक्षक उपचार है, लेकिन यह किडनी फेल्योर का स्थायी समाधान नहीं है। यदि संभव हो, तो किडनी ट्रांसप्लांट डायलिसिस से बेहतर विकल्प हो सकता है, क्योंकि यह मरीज को अधिक स्वतंत्र और बेहतर जीवन जीने में मदद करता है।
प्रश्न 1. किडनी डायलिसिस क्या है ?
उत्तर: किडनी डायलिसिस एक चिकित्सा प्रक्रिया है जो तब की जाती है जब किडनी अपने कार्य करने में असमर्थ हो जाती है। यह रक्त को साफ करने, विषाक्त पदार्थों को निकालने और शरीर में पानी व इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
प्रश्न 2. डायलिसिस कब आवश्यक होती है ?
उत्तर: जब किडनी की कार्यक्षमता 85-90% तक कम हो जाती है (क्रॉनिक किडनी डिजीज स्टेज 5), रक्त में यूरिया और क्रिएटिनिन का स्तर बहुत अधिक हो जाता है, और मरीज को सूजन, हाई ब्लड प्रेशर, सांस लेने में दिक्कत और कमजोरी जैसी समस्याएँ होने लगती हैं, तब डायलिसिस की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3. क्या डायलिसिस से किडनी फिर से सामान्य हो सकती है ?
उत्तर: नहीं, डायलिसिस किडनी को ठीक नहीं करता। यह सिर्फ शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाकर मरीज को जीवित रहने में मदद करता है। कुछ मामलों में अगर किडनी फेल्योर अस्थायी है, तो डायलिसिस बंद किया जा सकता है।
प्रश्न 4. डायलिसिस कितने समय तक करनी पड़ती है ?
उत्तर: यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि किडनी ट्रांसप्लांट संभव है, तो डायलिसिस अस्थायी हो सकता है। अगर ट्रांसप्लांट संभव नहीं है, तो जीवनभर डायलिसिस करनी पड़ सकती है।
प्रश्न 5. क्या डायलिसिस दर्दनाक होती है ?
उत्तर: हीमोडायलिसिस के दौरान सुई लगने से हल्का दर्द हो सकता है, और कुछ मरीजों को थकान, ऐंठन या लो ब्लड प्रेशर महसूस हो सकता है। पेरिटोनियल डायलिसिस आमतौर पर दर्दरहित होती है, लेकिन संक्रमण का खतरा रहता है।
प्रश्न 6. क्या डायलिसिस के मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं ?
उत्तर: हां, डायलिसिस पर रहने वाले कई मरीज काम पर जाते हैं, यात्रा करते हैं और सामान्य जीवन जी सकते हैं, लेकिन उन्हें नियमित रूप से डायलिसिस करानी होती है और कुछ आहार प्रतिबंधों का पालन करना पड़ता है।
प्रश्न 7. क्या डायलिसिस बहुत महंगी होती है ?
उत्तर: हां, डायलिसिस की लागत काफी अधिक हो सकती है। हीमोडायलिसिस की लागत अधिक होती है, जबकि पेरिटोनियल डायलिसिस तुलनात्मक रूप से किफायती हो सकती है। कई सरकारी योजनाएँ और स्वास्थ्य बीमा डायलिसिस का खर्च कवर करने में मदद कर सकते हैं।