हमारा शरीर कई अंगों से मिलकर बना है, लेकिन कुछ अंग ऐसे होते हैं जो बिना शोर किए लगातार हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं। किडनी (गुर्दे) उन्हीं में से एक है। ये दो छोटे-से अंग शरीर को स्वस्थ रखने में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। किडनी हमारी सेहत का एक अहम स्तंभ है, जो बिना शिकायत किए लगातार काम करती रहती है। लेकिन अगर हम इसके दिए गए संकेतों को नजरअंदाज करें, तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। यदि आप किडनी संक्रमण से जूझ रहे हैं और प्रभावी इलाज की तलाश में हैं, तो आप नोएडा के सर्वश्रेष्ठ अस्पताल (the best hospital in Noida) से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस ब्लॉग में, हम किडनी संक्रमण के बारे में पूरी जानकारी देंगे, इसके कारण और प्रभावी प्रबंधन के उपायों पर चर्चा करेंगे।
 

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किडनी के कार्य (Functions of the Kidneys)

किडनी सिर्फ फिल्टर नहीं बल्कि यह हमारे शरीर की साफ-सफाई, संतुलन और सुरक्षा प्रणाली है। इकिडनी का ख्याल रखना उतना ही जरूरी है जितना दिल या दिमाग का। किडनी (गुर्दे) हमारे शरीर में दो सेम के आकार के अंग होते हैं, जो कमर के पास रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर स्थित होते हैं। इसके काम निम्न है:


1. रक्त से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालनाः

हर दिन शरीर भोजन, दवा और अन्य क्रियाओं के दौरान बहुत सारे अपशिष्ट पैदा करता है। किडनी इन हानिकारक तत्वों को खून से छानकर पेशाब के रास्ते बाहर निकालती है। यह प्रक्रिया लोगों को बीमारियों से बचाती है। शरीर को अंदर से साफ रखने में मदद करती है।


2. शरीर में तरलता बनाए रखनाः

किडनी शरीर में पानी और नमक की सही मात्रा बनाए रखती है। जब शरीर में तरल ज्यादा होता है, तो किडनी अधिक पेशाब बनाकर उसे बाहर निकालती है। जब पानी कम होता है, तो वह पानी को रोती है। इस कारण शरीर में सूजन नहीं आती और कोशिकाएं काम करती हैं।


3. रक्तचाप को नियंत्रित करनाः

किडनी एक खास एंजाइम बनाती है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करता है। किडनी सही तरीके से काम नहीं करने पर ब्लड प्रेशर असंतुलित होता है। जिस कारण दिल और अन्य अंगों पर असर पड़ता है।


4. महत्वपूर्ण हार्मोनों का उत्पादनः

किडनी कुछ हार्मोन बनाती है जो शरीर के अन्य कार्यों में मदद करते हैं, जैसे एरिथ्रोपोइटीन यह हार्मोन शरीर को लाल रक्त कोशिकाएं बनाने का संकेत देता है, जिससे खून की कमी (एनीमिया) नहीं होती। विटामिन डी को सक्रिय करता है। जिससे शरीर में कैल्शियम का सही उपयोग हो सके और हड्डियां मजबूत बनी रहती है।


किडनी खराब होने के शुरुआती लक्षण (Early symptoms of kidney failure)

किडनी की बीमारी अक्सर धीरे-धीरे होती है। इसके लक्षण को लोग नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि समय रहते इन संकेतों को पहचान करके बड़ी परेशानी से बचा जा सकता है।


1. पेशाब में बदलावः

किडनी की खराबी का सबसे पहला संकेत पेशाब की आदतों में बदलाव है। इस दौरान सामान्य से अधिक या कम पेशाब आने की समस्या होती है। पेशाब में झाग (फोम) या खून दिखता है। पेशाब के रंग, गंध या प्रवाह में बदलाव होता है।


2. थकावट और कमजोरीः

जब किडनी शरीर से विषैले तत्वों को सही तरीके से बाहर नहीं निकाल पाती, तो यह थकावट और ऊर्जा की कमी का कारण बनता है। इस कारण बिना मेहनत के लगातार थकान महसूस होती है। हल्की-सी गतिविधि में कमजोरी आती है।

 

3. शरीर में सूजनः 

पैरों, टखनों, पंजों या चेहरे पर सूजन आना। जूते या चप्पल टाइट लगना। सुबह उठते समय आंखों के नीचे फूला हुआ महसूस होता है।

 

4. नींद न आनाः

रात में बार-बार उठकर पेशाब जाना पड़ना। सोने में दिक्कत या नींद का बार-बार टूटना। गहरी नींद नहीं आना होता है।


5. मानसिक भ्रमः

बार-बार भूलने लगना या भ्रम की स्थिति बनना. ध्यान केंद्रित करने में परेशानी। मूड में अचानक बदलाव होना।


6. अपच और भूख की कमीः

उल्टी आना या मिचली महसूस होना।भूख न लगना या खाने से अरुचि। स्वाद में बदलाव या मुंह का खराब स्वाद होना।


7. सांस लेने में तकलीफ या छाती में दर्दः

शरीर में तरल जमा होने के कारण सांस लेने में कठिन। फेफड़ों पर दबाव महसूस होना। छाती में भारीपन या हल्का दर्द होना।


किडनी खराब होने के कारण (Causes of kidney failure)

किडनी की बीमारी अचानक नहीं होती  इसके पीछे कई कारण होते हैं जो धीरे-धीरे किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं। नीचे निम्न कारण है


1. मधुमेहः

मधुमेह किडनी की बीमारी का बड़ा कारण है। जब शरीर में ब्लड शुगर लंबे समय तक बढ़ा हुआ रहता है, तो वह किडनी की रक्त नलिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इसे "डायबिटिक नेफ्रोपैथी" कहा जाता है, जो धीरे-धीरे किडनी फेलियर तक पहुंचा सकती है।


2. उच्च रक्तचापः 

हाई ब्लड प्रेशर किडनी की छोटी रक्त वाहिकाओं पर दबाव डालता है, जिससे उनका क्षरण होता है। इससे फिल्ट्रेशन की क्षमता कम हो जाती है और विषैले पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं।


3. दवाइयों का अत्यधिक सेवन (खासकर पेनकिलर्स - NSAIDs) 

बिना डॉक्टर की सलाह के लंबे समय तक पेनकिलर्स या ऐंटीबायोटिक्स का सेवन किडनी के लिए हानिकारक हो सकता है। खासकर NSAIDs (जैसे Ibuprofen, Diclofenac) किडनी की रक्त आपूर्ति को प्रभावित कर सकती हैं।


4. संक्रमण और किडनी पथरीः

बार-बार यूरिन इन्फेक्शन या गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। किडनी स्टोन (पथरी) अगर लंबे समय तक बनी रहे तो वह किडनी के टिशू को क्षति पहुंचा सकती है।


5. जेनेटिक कारणः

कुछ लोगों में पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (पीकेडी) जैसे आनुवांशिक रोग होते हैं, जिनसे किडनी में गांठें बन जाती हैं और कार्यक्षमता घटती है। ऐसे मामलों में पारिवारिक इतिहास महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

 

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए (When should one see a doctor)
 

किडनी की बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और शुरुआती लक्षण बहुत सामान्य होते हैं। इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:


कब अलर्ट हो जाएं:
 

  • बार-बार पेशाब आना या बहुत कम पेशाब होना
     
  • पेशाब में झाग या खून दिखाई देना 
     
  • चेहरे, टखनों या पैरों में सूजन
     
  • बिना कारण थकावट और ऊर्जा की कमी 
     
  • उल्टी, मिचली या भूख की कमी 
     
  • सांस लेने में तकलीफ या छाती में दबाव
     
  • नींद में खलल या मानसिक भ्रम


डॉक्टर क्या जांच कर सकते हैंः


1. रक्त परीक्षण:

सीरम क्रिएटिनिन और रक्त यूरिया नाइट्रोजन (बीयूएन) की जांच से किडनी की कार्यक्षमता का आकलन किया जाता है। जीएफआर (ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर) से किडनी की स्थिति को सटीक रूप से समझा जाता है।


2. पेशाब परीक्षणः

पेशाब में प्रोटीन, खून या संक्रमण की जांच की जाती है, जो किडनी की समस्या का संकेत दे सकते हैं।


3. अल्ट्रासाउंडः

किडनी की आकार, संरचना और किसी अवरोध (जैसे पथरी या सूजन) का पता लगाने के लिए की जाती हैं।


किडनी की समस्याओं से बचाव के उपाय Ways to prevent kidney problems)

साधारण दिनचर्याएं और सतर्कताएं आपकी किडनी को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकती हैं। जो निम्न है..


नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराएंः

हर 6-12 महीनों में ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और किडनी फंक्शन टेस्ट जरूर कराएं। यदि परिवार में किडनी रोग का इतिहास है, तो जांच और भी जरूरी है।


संतुलित आहार और हाइड्रेशन बनाए रखेंः

नमक, चीनी और प्रोसेस्ड फूड का सेवन सीमित करें। ताजे फल, हरी सब्जियां और कम वसा वाला भोजन लें। दिनभर में पर्याप्त मात्रा में साफ पानी पिएं (डॉक्टर की सलाह अनुसार)।


रक्तचाप और रक्त शर्करा को नियंत्रित रखेंः

हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज, दोनों ही किडनी की सेहत के सबसे बड़े दुश्मन हैं। नियमित दवा लें, तनाव से बचें और खानपान पर ध्यान दें।


तम्बाकू और शराब से बचेंः

धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन किडनी की रक्त नलिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। यह किडनी की कार्यक्षमता को धीमे-धीमे घटा सकता है।


स्वस्थ जीवनशैली अपनाएंः

रोजाना 30 मिनट तक हल्का-फुल्का व्यायाम करें (जैसे टहलना, योग, साइकलिंग)। पर्याप्त नींद लें और तनाव कम करने के उपाय करें। जरूरत न हो तो दवाइयों का अनावश्यक सेवन न करें, खासकर पेनकिलर्स।


यदि आप किडनी के संक्रमण का इलाज करवाना चाहते हैं, तो अपने किडनी संक्रमण के इलाज के लिए सबसे अच्छे अस्पताल (best hospital for kidney infection treatment) से विशेषज्ञों की सलाह लें। इससे आपको सही और समय पर उपचार मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।

 

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निष्कर्ष (Conclusion)

किडनी की समस्याएं अक्सर धीरे-धीरे विकसित होती हैं और जब तक उनका पता चलता है, तब तक नुकसान हो चुका होता है। इसलिए जरूरी है कि हम अपने शरीर द्वारा दिए गए संकेतों को समय रहते पहचानें और उन्हें नजरअंदाज न करें। यदि आपको थकान, सूजन, पेशाब में बदलाव या कोई अन्य असामान्यता महसूस हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। सही समय पर जांच और इलाज न केवल बीमारी को बढ़ने से रोक सकता है, बल्कि किडनी की कार्यक्षमता को बचाए रख सकता है।

 

किडनी खराब होने के शुरूआती लक्षण को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर (Frequently asked questions and answers about early symptoms of kidney failure)

 

प्रश्न 1 : किडनी खराब होने का सबसे पहला लक्षण क्या हो सकता है ?
उत्तर: अक्सर पेशाब में बदलाव (जैसे अधिक या कम पेशाब आना, झाग या खून आना) किडनी खराब होने का सबसे पहला संकेत हो सकता है।

 

प्रश्न 2 : क्या किडनी की बीमारी में थकावट महसूस होना सामान्य है ?
उत्तर: किडनी की कार्यक्षमता कम होने पर शरीर से विषैले पदार्थ नहीं निकलते जिससे थकान और कमजोरी होना सामान्य है।

 

प्रश्न 3 : क्या किडनी की बीमारी में शरीर में सूजन आती है ?
उत्तर: जब किडनी ठीक से काम नहीं करती तो शरीर में तरल जमा होने लगता है, जिससे चेहरे, टखनों और पैरों में सूजन आ सकती है।

 

प्रश्न 4 : क्या किडनी की बीमारी का इलाज संभव है ?
उत्तर: शुरुआती अवस्था में यदि सही समय पर इलाज किया जाए तो किडनी की कार्यक्षमता को बचाया और नियंत्रित किया जा सकता है।

 

प्रश्न 5: किन लोगों को किडनी की बीमारी का खतरा ज्यादा होता है ?
उत्तर: डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, पारिवारिक इतिहास, या लंबे समय तक पेनकिलर्स लेने वालों को किडनी रोग का खतरा अधिक होता है।

 

प्रश्न 6: क्या घर पर किडनी की बीमारी के लक्षणों को पहचाना जा सकता है ?
उत्तर: कुछ लक्षण जैसे पेशाब में बदलाव, थकावट, सूजन आदि घर पर महसूस किए जा सकते हैं, लेकिन सटीक जानकारी के लिए डॉक्टर द्वारा जांच आवश्यक है।

 

प्रश्न 7: किडनी की जांच कैसे होती है ?
उत्तर: किडनी की जांच मुख्य रूप से ब्लड टेस्ट (सीरम क्रिएटिनिन, जीएफआर), पेशाब जांच और अल्ट्रासाउंड द्वारा की जाती है।

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