नोएडा में सर्वश्रेष्ठ योनि सीस्ट संक्रमण अस्पताल (गाइनोकोलॉजी)

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भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं सेहत को लेकर लापरवाह रहती हैं। खासतौर पर जब बात निजी अंगों की हो, तो महिलाओं में योनि संक्रमण (Vaginal Infection) और योनि सीस्ट (Vaginal Cyst) जैसी समस्याएं बेहद आम हैं। मगर शर्म और जागरूकता की कमी के कारण इनका सही समय पर इलाज नहीं हो पाता, जो बाद में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इस ब्लॉग में हम योनि संक्रमण, विशेष रूप से यीस्ट इंफेक्शन के बारे में जानकारी साझा करेंगे — इसके लक्षण, कारण, और बचाव के उपाय।
अगर आप इन समस्याओं का सही और सुरक्षित इलाज ढूंढ रही हैं, तो नोएडा में सर्वश्रेष्ठ गाइनोकोलॉजी हॉस्पिटल का चुनाव करना बेहद जरूरी है, जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में आधुनिक जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध हो।


योनि सीस्ट संक्रमण क्या है ? (What is a Vaginal Cyst Infection?)

योनि सीस्ट एक छोटी, मुलायम व तरल-से भरी गांठ होती है, जो महिला की योनि की आंतरिक या बाहरी दीवार में बनती है। यह सीस्ट बिना लक्षण के होती हैं। महिला को पता भी नहीं चलता कि वह इसके साथ जी रही है। जब सीस्ट में संक्रमण होता है तब यह दर्द, सूजन और दुर्गंधयुक्त डिस्चार्ज जैसी समस्याएं पैदा करती है। सरल भाषा में कहे तो योनि सीस्ट एक तरह की गांठ है, जो संक्रमित होने के बाद इन्फेक्टेड सीस्ट बनती है। योनि सीस्ट में संक्रमण तब होता है जब बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्म जीव उसमें घुसते हैं। इसके कारणों योनि की स्वच्छता में लापरवाही, असुरक्षित यौन संबंध, जन्म या प्रसव के दौरान चोट, बार-बार का इनफेक्शन या एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग होता है।


योनि सीस्ट के प्रमुख प्रकार
 

  • बार्थोलिन सीस्ट:

सबसे आम प्रकार योनि के दोनों ओर नीचे की तरफ बार्थोलिन ग्रंथियां होती हैं, जो लुब्रिकेशन में मदद करती हैं। जब इस ग्रंथि का छिद्र बंद होता है, तो तरल अंदर इकट्ठा होने से सीस्ट बनती है।

 

  • गार्टनर डक्ट सीस्ट:

भ्रूण के विकास के दौरान बनने वाली संरचनाओं से यह सीस्ट बनती है, यह योनि की साइड वॉल में बनती है। यह अधिकतर बिना लक्षण होती है, लेकिन बड़ी होने पर असुविधा होती है।

 

  • इन्क्लूजन सीस्ट:

यह अक्सर प्रसव या शल्य चिकित्सा के दौरान चोट से बनती है। योनि की भीतरी परत के नीचे की स्किन जब बढ़ती है, तो गांठ होती है। यह छोटी होती हैं किन दर्द का कारण बनती हैं।


योनि सीस्ट संक्रमण के मुख्य कारण (Main Causes of Vaginal Cyst Infection)

अनदेखी एक सामान्य सीस्ट को गंभीर संक्रमण में बदलती है। योनि सीस्ट में संक्रमण होने के पीछे कई कारण होते हैं। यहां निम्न चार कारण प्रमुख हैं:

  • बैक्टीरियल या फंगल संक्रमणः

लैक्टोबैसिलस हानिकारक जीवाणुओं को नियंत्रित रखते हैं। जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो कैनडीडा अल्बिकन्स जैसी फंगस तेजी से बढ़ती है, इससे फंगल इंफेक्शन होता है। गार्डनेरेला वेजिनेलिस जैसे बैक्टीरिया के बढ़ने से बैक्टीरियल वेजिनोसिस होता है।

  • सुरक्षित यौन संबंधः

बिना कंडोम के यौन संबंध बनाना या बार-बार पार्टनर बदलना योनि संक्रमण की वजह है। इससे न केवल एसटीआई यानी गोनोरिया, क्लेमाइडिया, ट्राइकोमोनास का खतरा बढ़ता है, साथ ही संक्रमण फैलकर सीस्ट में भी पहुंचता है।

 

  • हार्मोनल असंतुलन

महिलाओं के शरीर में हार्मोन खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन प्रजनन क्रिया को नियंत्रित करते हैं। यदि किसी कारण जैसे तनाव, पीसीओडी, थायरॉइड रोग या मेनोपॉज हार्मोन असंतुलित होते हैं तो ग्रंथियों की कार्यप्रणाली बिगड़ती है, इससे ग्रंथियों का तरल बाहर नहीं निकल पाता और सीस्ट बनती है।

 

  • गुप्तांग की सफाई में लापरवाहीः

गलत तरीके से साफ-सफाई, अधिक रगड़ या गंदे अंडरगारमेंट्स पहनने से समस्या होती हैं। योनि क्षेत्र में बैक्टीरिया या फंगस का जमाव पसीने और नमी की वजह से संक्रमण होता है। इस कारण सीस्ट की त्वचा पर सूक्ष्म चोट से बैक्टीरिया अंदर जा सकते हैं।

 

योनि सीस्ट संक्रमण के लक्षण (Symptoms of a Vaginal Yeast Infection)

योनि सीस्ट में जब संक्रमण होता है, तो कुछ लक्षण स्पष्ट रूप से उभरते हैं। यदि इन संकेतों को समय पर पहचान लिया जाए, तो गंभीर समस्या बनने से पहले इलाज संभव होता है।

  • योनि के पास सूजन या गांठ का महसूस होनाः

योनि के आसपास हल्की सूजन, एक छोटी सी गांठ होती है। शुरुआत में यह दर्दरहित होती है, लेकिन संक्रमण बढ़ते ही यह गर्म, लाल और स्पर्श में दर्दनाक होती है। इस कारण चलने, बैठने या यौन संबंध बनाते समय असहजता महसूस होती है।

  • दर्द या जलनः

योनि क्षेत्र में लगातार जलन या चुभन जैसा महसूस होती है, खासकर जब सीस्ट में मवाद भरता है। बैठने, टाइट कपड़े पहनने या चलते समय यह दर्द बढ़ता है।

  • दुर्गंधयुक्त डिसचार्ज (स्राव):

योनि से निकलने वाला डिसचार्ज यदि पीला, हरा या बदबूदार हो, तो यह संक्रमण का सीधा  है। संक्रमण की स्थिति में यह डिसचार्ज गाढ़ा और चिपचिपा होता है।

  • पेशाब करते समय जलन:

जब सीस्ट का आकार या सूजन मूत्रमार्ग के पास पहुंचती है, पेशाब करते समय जलन या तेज दर्द होता है, बार-बार पेशाब इसके लक्षण है, कभी-कभी महिलाएं इसे यूटीआई समझती हैं, लेकिन यह अंदरूनी सीस्ट संक्रमण का प्रभाव होता है।


योनि सीस्ट संक्रमण के जोखिम समूह (Risk Groups for Vaginal Cyst Infection)

हर महिला में योनि संक्रमण या सीस्ट का खतरा होता है, लेकिन कुछ विशेष वर्ग की महिलाओं में यह जोखिम होता है।

  • यौन रूप से सक्रिय महिलाएं:

बार-बार यौन संबंध बनाना या अनसेफ सेक्स करना संक्रमण की संभावना बढ़ाता है। एसटीआई (यौन संचारित संक्रमण) के संपर्क में आने से योनि की ग्रंथियां संक्रमित होती हैं। 

  • डायबिटिक महिलाएं:

मधुमेह के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। छोटी-सी सीस्ट में भी संक्रमण तेजी से फैलता है, घाव भरने में अधिक समय लगता है।

  • बार-बार एंटीबायोटिक लेने वाली महिलाएं:

बार-बार दवाइयों का सेवन योनि के नेचुरल बैक्टीरियल बैलेंस को बिगाड़ता है। इससे संक्रमण और फंगल ग्रोथ को मौका मिलता है जिससे सीस्ट अधिक संवेदनशील होती है।

  • गर्भवती महिलाएं:

गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव, पसीना, नमी और इम्यूनिटी में बदलाव से योनि क्षेत्र संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होता है। सीस्ट गर्भावस्था को प्रत्यक्ष प्रभावित नहीं करती, लेकिन दर्द से जीवन गुणवत्ता जरूर गिरती है।


योनि सीस्ट संक्रमण की जांच प्रक्रिया (Diagnosis of Vaginal Cyst Infection)

अगर लक्षण महसूस हो तो अगला जरूरी कदम है सटीक जांच। डॉक्टर आमतौर पर निम्नलिखित जांच कराते हैं:

  • शारीरिक परीक्षण:

डॉक्टर हाथ से या स्पेकुलम की मदद से योनि क्षेत्र की जांच करते हैं। गांठ की स्थिति, आकार, रंग और दर्द की जानकारी की जाती है।

  • पेल्विक अल्ट्रासाउंड:

योनि या पेट के जरिए अल्ट्रासाउंड कर सीस्ट की गहराई, आकार और स्थिति का पता लगाते हैं। इससे पता चलता है कि सीस्ट तरल-भरी है या ठोस है।

  • सीक्रेशन या डिसचार्ज का कल्चर टेस्टः

अगर डिस्चार्ज होता  है, तो उसे लैब में जांचते हैं जिससे यह पता चले कि उसमें कौन-सा बैक्टीरिया या फंगस है। इससे यह आसान होता है कि कौन-सी दवा संक्रमण के लिए प्रभावी होगी।

  • बायोप्सी (जरूरत पड़ने पर):

अगर सीस्ट असामान्य दिखे या लंबे समय तक ठीक न हो तो उसकी एक छोटी सी परत लेकर लैब टेस्ट करते हैं। कैंसर जैसे गंभीर खतरे की संभावना को जांचने के लिए होता है।

योनि सीस्ट संक्रमण का इलाज (Treating Vaginal Yeast Infections)

समय पर इलाज न केवल दर्द से राहत देता है, बल्कि संक्रमण के फैलने से रोकता है। योनि सीस्ट संक्रमण के इलाज के प्रमुख तरीके निम्न है:

  • दवाइयों द्वारा इलाजः

यदि सीस्ट में बैक्टीरियल संक्रमण है, तो डॉक्टर टॉपिकल एंटीबायोटिक्स देते हैं। मगर दवा कभी भी डॉक्टर की सलाह के बिना न लें। वहीं, वार्थिन डक्ट मार्सुपियलाइजेशन विशेष रूप से बार्थोलिन सीस्ट के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक प्रभावी प्रक्रिया है। इसमें डॉक्टर सीस्ट को काटकर उसका तरल बाहर निकालते हैं, फिर उसमें कैथेटर लगाते हैं ताकि वह दोबारा न बने और संक्रमण दोहराया न जाए।

  • नोएडा में इलाज की कीमत:

इस प्रक्रिया के प्रकार, अस्पताल की सुविधाओं और डॉक्टर की विशेषज्ञता पर निर्भर करती है। आमतौर पर यह लागत कुछ हजार से लेकर कुछ दस हजार रुपये तक हो सकती है। सटीक जानकारी के लिए किसी विश्वसनीय गाइनोकोलॉजी सेंटर या अस्पताल से संपर्क करना उचित होगा।


गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष गाइडलाइन (Special guidelines for pregnant women)
 

  • गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब महिला का शरीर कई बदलावों से गुजरता है। इनमें हार्मोनल उतार-चढ़ाव, इम्यून सिस्टम में बदलाव और शरीर में अत्यधिक संवेदनशीलता है। गर्भवती महिला को कोई भी गांठ, जलन या डिसचार्ज महसूस हो तो तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें।
     
  • कुछ एंटीबायोटिक्स गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं होत है। डॉक्टर केवल ऐसी दवाएं देंगे जो गर्भ और भ्रूण को नुकसान न पहुंचाएं। अगर संक्रमण के साथ बुखार हो या मवाद निकल रहा हो, तो यह बढ़ते संक्रमण का संकेत होता है। ऐसी स्थिति में समय गंवाना खतरनाक है। 
     
  • गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड से यह पता लगाते हैं कि सीस्ट कहां स्थित है। भ्रूण पर उसका कोई दबाव तो नहीं पड़ रहा है। 
    गीले या टाइट कपड़े नहीं पहनें, खुशबूदार साबुन या केमिकल आधारित प्रोडक्ट्स से परहेज करना चाहिए, दिन में कम से कम दो बार हल्के गर्म पानी से सफाई करना चाहिए।
     
  • अधिकांश मामूली या बिना संक्रमण वाली सीस्ट का प्रसव पर कोई प्रभाव नहीं होता है। लेकिन जटिलता होती हैं अगर यदि सीस्ट का आकार बड़ा है और योनि द्वार के पास है, तो नॉर्मल डिलीवरी के दौरान यह रुकावट बनता है।
     
  • यदि प्रसव के समय तक सीस्ट में मवाद भरा हो या वह फट जाए, तो यह संक्रमण गर्भाशय या भ्रूण को प्रभावित हो सकता है।
     
  • कुछ मामलों में डॉक्टर संक्रमण के कारण नॉर्मल डिलीवरी की बजाय सी-सेक्शन (सिजेरियन डिलीवरी) का विकल्प चुनते हैं। जिससे मां और बच्चे दोनों को खतरा होता है।
     
  • अगर योनि क्षेत्र में एक्टिव संक्रमण मौजूद है, तो बच्चे के जन्म के समय उसे संक्रमण का खतरा होता है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।


योनि सीस्ट संक्रमण से बचाव के उपाय (Tips to prevent vaginal yeast infection)

 

योनि सीस्ट संक्रमण में थोड़ी सतर्कता और अच्छी आदतों से रोका जा सकता है।

  • निजी स्वच्छता का ध्यान रखेंः

रोजाना गुप्तांग की सफाई करें, खुशबूदार साबुन, डियोड्रेंट या वेजाइनल वॉश से परहेज करना चाहिए, यह पीएच बैलेंस बिगाड़ते हैं, मासिक धर्म के दौरान हर चार–छह घंटे में पैड/टैम्पोन बदलें, नहाने के बाद योनि को सुखाएं, जिससे नमी से संक्रमण नहीं हो।

  • कॉटन अंडरवियर का उपयोग करेंः

सूती अंडरगारमेंट्स पसीना सोखते हैं। टाइट, नायलॉन या सिंथेटिक अंडरवियर से नमी बनती है, जो फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण को न्योता देती है इसलिए रोजाना अंडरगारमेंट्स बदलना चाहिए।

  • असुरक्षित यौन संबंध से बचेंः

कंडोम का इस्तेमाल संक्रमणों से सुरक्षा देता है। बार-बार पार्टनर बदलना या बिना जांच के संबंध बनाना एसटीआई यौन संचारित संक्रमण का खतरा बढ़ाता है। असुरक्षित यौन संबंध सेहत के लिए खतरा है।

  • नियमित रूप से गाइनो डॉक्टर से जांच कराएंः

हर 6–12 महीने में एक बारजांच कराना चाहिए। जिससे पहले से मौजूद सीस्ट, फाइब्रॉइड या इन्फेक्शन का समय पर पता चल सके।


निष्कर्ष (Conclusion)


योनि संक्रमण की अनदेखी करना गंभीर परिणाम देता है। एक छोटी सी गांठ या हल्का दर्द भी किसी बढ़ते संक्रमण का संकेत होता है। जो आगे चलकर शारीरिक कष्ट का कारण बनता है। प्रजनन क्षमता और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है। महत्वपूर्ण यह नहीं कि संक्रमण हुआ या नहीं, बल्कि यह है कि आपने कब ध्यान दिया जाए। नोएडा जैसे विकसित शहर में अनुभवी गाइनोकोलॉजिस्ट, आधुनिक तकनीकें और गोपनीय इलाज के विकल्प उपलब्ध हैं।

 

योनि सीस्ट संक्रमण को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब (Frequently asked questions and answers about vaginal cyst infection)


प्रश्न 1: क्या योनि सीस्ट खतरनाक होती है ?
उत्तर: अधिकांश योनि सीस्ट बिना किसी लक्षण के होती हैं, जो अपने-आप ठीक होती हैं। अगर उनमें दर्द, सूजन या मवाद हो तो इलाज जरूरी है।


प्रश्न 2 : योनि सीस्ट संक्रमण से बांझपन होता है ?
उत्तर: आमतौर पर सीस्ट बांझपन का कारण नहीं होती है। मगर संक्रमण फैल जाए और समय पर इलाज न हो, तो यह गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब को प्रभावित करता है। जिससे प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।


प्रश्न 3: क्या योनि सीस्ट खुद से फूट सकती है ?
उत्तर: कुछ मामलों में संक्रमित सीस्ट फूटती है। मवाद बाहर निकलता है। यह दर्दनाक होता है। संक्रमण आसपास के ऊतकों में फैलता है।


प्रश्न 4: क्या मासिक धर्म (पीरियड्स) पर सीस्ट का असर पड़ता है ?
उत्तर: सीधे तौर पर नहीं लेकिन अगर सीस्ट बड़ी हो या उसमें सूजन होती है। यह पीरियड्स के दौरान दर्द और असहजता बढ़ती है।


प्रश्न 5: बार्थोलिन सीस्ट और अन्य सीस्ट में क्या अंतर है ?
उत्तर: बार्थोलिन सीस्ट योनि के प्रवेश द्वार के पास होती है। बार्थोलिन ग्रंथि के बंद होने से बनती है। अन्य सीस्ट जैसे गार्टनर डक्ट या इन्क्लूजन सीस्ट अलग कारणों से बनते हैं।


प्रश्न 6: क्या योनि सीस्ट कैंसर में बदलती है ?
उत्तर: दुर्लभ मामलों में योनि सीस्ट कैंसर का रूप लेती है। लेकिन अगर सीस्ट बार-बार हो तो डॉक्टर द्वारा बायोप्सी कराना जरूरी है।


प्रश्न 7: क्या गर्भावस्था के दौरान सीस्ट का इलाज संभव है ?
उत्तर: दवाएं और इलाज केवल वहीं अपनाए जाते हैं जो गर्भवती महिला और भ्रूण दोनों के लिए सुरक्षित हों। सर्जरी केवल जरूरत पड़ने पर ही की जाती है।

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