अंडाशय कैंसर के कारण और जानिए इसका इलाज कैसे होता है प्रसूति एवं स्त्री रोग

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अंडाशय स्त्री प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो गर्भाशय के दोनों ओर स्थित होता है। इसका मुख्य कार्य अंडाणु (ओवम) बनाना और हार्मोन का स्राव करना होता है, जो महिलाओं के मासिक चक्र और प्रजनन क्षमता के लिए आवश्यक हैं।


जब अंडाशय की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, तो यह स्थिति अंडाशय कैंसर (Ovarian Cancer) का रूप ले सकती है। अंडाशय कैंसर के कारणों में आनुवांशिक फैक्टर, उम्र, हार्मोनल असंतुलन और अन्य जीवनशैली से जुड़े कारक शामिल हो सकते हैं।


इस लेख में आप जानेंगे कि अंडाशय कैंसर के प्रमुख कारण क्या हैं, इसके लक्षण कैसे पहचाने जाएं, और इसका आधुनिक इलाज कैसे किया जाता है।


यदि आप या आपके किसी परिचित को अंडाशय से जुड़ी कोई समस्या है, तो सही निदान और इलाज के लिए नोएडा में सर्वश्रेष्ठ हॉस्पिटल से संपर्क करना अत्यंत आवश्यक है, जहां अनुभवी विशेषज्ञ और आधुनिक तकनीक की सहायता से बेहतरीन देखभाल उपलब्ध है।


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अंडाशय कैंसर क्या है? (What is Ovarian Cancer?)

अंडाशय महिला के प्रजनन तंत्र का महत्वपूर्ण अंग है। प्रत्येक महिला के शरीर में दो अंडाशय होते हैं, जो गर्भाशय के दोनों ओर स्थित होते हैं। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन बनाकर मासिक धर्म चक्र और महिला के यौन विकास को नियंत्रित करते हैं। जब अंडाशय की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैलती हैं, तो यह अंडाशय कैंसर कहलाता है। यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है।

 

अंडाशय कैंसर के प्रकार


एपिथीलियल ट्यूमरः

यह सबसे सामान्य प्रकार का अंडाशय कैंसर है, यह लगभग 85-90 % मामले में होता है। यह कैंसर अंडाशय की बाहरी परत की कोशिकाओं से होता है, यह वयस्क महिलाओं में होता है साथ ही तेजी से फैलता से फैलता है। इसे प्रारंभ में पहचानना कठिन होता है।


जर्म सेल ट्यूमरः

अंडाशय की उन कोशिकाओं से बनता है जो अंडाणु बनाती हैं। यह अक्सर किशोरियों में पाया जाता है, अगर समय पर पता चल जाए तो उपचार की संभावना ज्यादा होती है।  


स्टोर्मल ट्यूमरः

यह अंडाशय के अंदर हार्मोन बनाने वाले ऊतकों से उत्पन्न होता है। यह दुर्लभ होता है लेकिन इसके लक्षण जल्दी सामने आते हैं। इसमें हार्मोनल असंतुलन के लक्षण उत्पन्न होते हैं।

 


अंडाशय कैंसर के मुख्य कारण (The main Causes of Ovarian Cancer)

अंडाशय कैंसर का सटीक कारण हर मामले में स्पष्ट नहीं होता, लेकिन कई ऐसे जोखिम कारक हैं, जो इस बीमारी की संभावना को बढ़ाते हैं।

 
पारिवारिक इतिहासः

अगर किसी महिला की मां, बहन या बेटी को अंडाशय या स्तन कैंसर हुआ हो तो उसमें इस बीमारी का खतरा अधिक होता है, खासकर जिन महिलाओं में बीआरसीए 1 या बीआरसीए 2 नामक जीन में बदलाव होता है।


वर्ष से ऊपर की महिलाएंः

अंडाशय कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है। यह रोग अक्सर मेनोपॉज के बाद की उम्र (50 वर्ष से अधिक) की महिलाओं में अधिक पाया जाता है।


हार्मोनल कारकः

लंबे समय तक हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेना, विशेषकर मेनोपॉज के बाद अंडाशय कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। अनियंत्रित एस्ट्रोजन का प्रभाव भी जोखिम उत्पन्न करता है।


देर से मां बननाः

जिन महिलाओं ने कभी गर्भधारण नहीं किया या बहुत देर से (35 वर्ष के बाद) पहला बच्चा हुआ। उनमें अंडाशय कैंसर की आशंका अधिक होती है। बार-बार ओव्यूलेशन अंडाशय की कोशिकाओं पर अधिक दबाव डालता है।


मोटापाः

मोटापा महिलाओं के हार्मोन बैलेंस को प्रभावित करता है। इससे एस्ट्रोजन लेवल बढ़ाता है। शारीरिक निष्क्रियता, जंक फूड का सेवन, धूम्रपान जोखिम बढ़ाते हैं।

 


अंडाशय कैंसर के लक्षण (Symptoms of Ovarian Cancer)

अंडाशय कैंसर के प्रारंभिक लक्षण बहुत सामान्य और हल्के होते हैं। जिन्हें महिलाएं आमतौर पर नजरअंदाज कर देती हैं। जबकि इन्हें गंभीरता से लेना चाहिए।

 

  • लगातार पेट फूला हुआ महसूस होना, यह सूजन साधारण नहीं होती और अक्सर आराम करने या खाने के बाद भी नहीं जाती है।

  • सामान्य मात्रा में भोजन करने पर भी भूख न लगना। यह अंडाशय के आसपास के अंगों पर दबाव बढ़ने का संकेत होता है।

  • बिना किसी स्पष्ट कारण के तेजी से वजन कम होना। यह एक गंभीर संकेत होता है, खासकर अगर अन्य लक्षण भी साथ हों।

  • अचानक और बार-बार पेशाब की इच्छा होना विशेषकर अगर यह आदत में बदलाव की तरह हो। यह अंडाशय या पेट की नसों पर पड़ रहे दबाव के कारण होता है।

  • रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव होना। खासतौर से मासिक चक्र में असामान्य बदलाव, अधिक रक्तस्राव या बार-बार स्पॉटिंग होना।

 

अंडाशय का निदान (Diagnosis of Ovulation)

अंडाशय कैंसर की पहचान प्रारंभिक अवस्था में कठिन होती है क्योंकि इसके लक्षण सामान्य होते हैं। लेकिन यदि लक्षण लगातार बने रहें, तो निदान जरूरी है।

 

  • डॉक्टर सबसे पहले पेट और श्रोणि क्षेत्र की जांच करते हैं। अंडाशय में सूजन, गांठ या असामान्य कठोरता महसूस होने पर आगे की जांच की जाती है।

  • पेल्विक अल्ट्रासाउंड से अंडाशय की संरचना और उसमें किसी गांठ की स्थिति को पता करते है। इसमें विशेष प्रकार की सोनोग्राफी होती है।

  • सीए-125 ब्लड टेस्ट में सीएम-125 नामक ट्यूमर मार्कर की मात्रा मापी जाती है। यह मार्कर कई महिलाओं में अंडाशय कैंसर के दौरान ऊंचा पाया जाता है।

  • यदि अल्ट्रासाउंड में कोई संदिग्ध संरचना दिखे, तो डॉक्टर सीटी स्कैन या एमआरआई करवा सकते हैं। इससे ट्यूमर का आकार, स्थान और शरीर के अन्य हिस्सों में फैलाव की जानकारी मिलती है।

  • अंतिम पुष्टि के लिए ट्यूमर से ऊतक निकालकर बायोप्सी की जाती है। पैथोलॉजिस्ट जांच कर तय करते हैं कि कोशिकाएं कैंसर युक्त है या नहीं।

 


अंडाशय कैंसर का इलाज (Ovarian Cancer Treatment)

अंडाशय कैंसर का इलाज कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे कैंसर की स्टेज, प्रकार, महिला की उम्र और संतान संबंधी इच्छाएं।

 

सर्जरीः

सर्जरी अंडाशय कैंसर के इलाज की प्राथमिक और सबसे आवश्यक विधि है। इसका उद्देश्य अधिकतम मात्रा में कैंसर ग्रस्त ऊतकों को हटाना होता है। हिस्टेरेक्टॉमी (hysterectomy) से गर्भाशय को हटाया जाता है। बिलैटरल सल्पिंगो-ओफोरेक्टॉमी से दोनों अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब्स हटाई जाती हैं। ओमेंटेक्टॉमी से पेट की झिल्ली को हटाया जाता है यदि कैंसर वहां तक फैला हो।

 

कीमोथेरेपीः

कीमोथेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने वाली दवाएं दी जाती हैं, जो आमतौर पर नसों के माध्यम से शरीर में जाती हैं  इसे सर्जरी से पहले  या सर्जरी के बाद दिया जा सकता है। एपिथीलियल ओवेरियन कैंसर (Epithelial Ovarian Cancer) में यह एक आवश्यक उपचार है।

 

रेडियोथेरेपीः

अंडाशय कैंसर (Ovarian cancer) में इसका उपयोग बहुत सीमित होता है। लेकिन यदि कैंसर शरीर के किसी खास हिस्से में दोबारा उभर आए या दर्द से राहत देनी हो, तो इसे सहायक उपचार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

हार्मोन थेरेपी और टारगेटेड थेरेपीः

हार्मोन थेरेपी विशेष रूप से स्टोर्मल ट्यूमर में कारगर होती है। जहां कैंसर हार्मोन पर निर्भर होता है। इसमें हार्मोन को रोकने वाली दवाएं दी जाती हैं। वहीं टारगेटेड थेरेपी (Targeted Therapy) में विशेष दवाएं दी जाती हैं जो सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती हैं।

 

प्रजनन संरक्षणः

युवा महिलाओं के लिए यह एक संवेदनशील विषय होता है। यदि कैंसर प्रारंभिक अवस्था में है और एक अंडाशय सामान्य है, तो विशेषज्ञ फर्टिलिटी (Fertility) स्पेयरिंग सर्जरी का विकल्प चुनते हैं।

 


प्रसूति एवं स्त्री रोग गाइडलाइनों के अनुसार देखभाल (Care as per Obstetrics and Gynecology Guidelines)

अंडाशय कैंसर के सफल इलाज और बेहतर रोग नियंत्रण के लिए प्रोफेशनल गाइडलाइनों का पालन करना अनिवार्य होता है।

 

  • अंडाशय कैंसर को चार मुख्य स्टेज (1 से 4) में बांटा जाता है, जिससे यह समझा जाता है कि कैंसर अंडाशय तक सीमित है या शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुका है। स्टेज के आधार पर ही सर्जरी, कीमोथेरेपी और अन्य उपचारों की आवश्यकता तय की जाती है।

  • इलाज के बाद रोगी की नियमित जांच बहुत जरूरी होती है इसलिए फॉलोअप हर 3-6 महीने में किया जाता है। वर्ष में कम से कम एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच कराना चाहिए।

  • जीवनशैली और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की सलाह दी जाती है। कुछ सावधानियां और स्वस्थ आदतें अपनाकर इसके खतरे को काफी हद तक कम कर सकते है।

  • यदि कोई लक्षण हों या पारिवारिक इतिहास हो, तो अल्ट्रासाउंड और सीए-125 टेस्ट जैसे विशेष परीक्षण करवाना जरूरी होता है।

  • ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले खाद्य पदार्थ लें। मोटापा एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ाता है। जिससे अंडाशय कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

 


अंडाशय कैंसर होने पर कब डॉक्टर से मिलें? (When to see a Doctor if you have Ovarian Cancer?)

अंडाशय कैंसर एक गंभीर लेकिन अक्सर देर से पहचाना जाने वाला कैंसर है, जो महिलाओं के अंडाशय में विकसित होता है। इसकी शुरुआती अवस्था में लक्षण बहुत सामान्य या अस्पष्ट हो सकते हैं, इसलिए महिलाओं को अपने शरीर के संकेतों को गंभीरता से लेना चाहिए।

 

यदि अंडाशय कैंसर की पुष्टि होती है, तो सबसे पहले आपको स्त्री रोग विशेषज्ञ ऑन्कोलॉजिस्ट से ही संपर्क करना चाहिए, ताकि सही निदान और प्रभावी उपचार सुनिश्चित किया जा सके।


नोएडा में अच्छा स्त्री रोग विशेषज्ञ ऑन्कोलॉजिस्ट खोजने के लिए विश्वसनीय अस्पतालों और कैंसर सेंटर से सलाह लें, जहां अनुभवी डॉक्टर और आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं।

 

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निष्कर्ष (Conclusion)

अंडाशय कैंसर का समय रहते इलाज शुरू किया जाए तो इसके गंभीर प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। महिलाओं को चाहिए कि वे अपने शरीर द्वारा दिए जाने वाले संकेतों को गंभीरता से लें। पेट में सूजन, जल्दी पेट भर जाना, अनियमित मासिक धर्म जैसे लक्षणों को कभी भी नजरअंदाज न करें। ये लक्षण भले ही मामूली लगें, लेकिन गंभीर रोग का संकेत हो सकते हैं। याद रखें, अंडाशय कैंसर से बचाव और समय पर इलाज अत्यंत जरूरी हैं।


नोएडा में इलाज की कीमत कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है, जैसे इलाज की प्रक्रिया, अस्पताल की सुविधाएं, और डॉक्टर की विशेषज्ञता। आमतौर पर शुरुआती जांच से लेकर ऑपरेशन और केमोथेरेपी तक की लागत अलग-अलग हो सकती है। सटीक जानकारी के लिए नोएडा के विश्वसनीय अस्पताल या कैंसर सेंटर से संपर्क करना उचित रहेगा।

 

 

अंडाशय कैंसर को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब  (Frequently asked questions and answers about ovarian cancer)


प्रश्न 1: अंडाशय कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या होते हैं?
उत्तर: पेट में सूजन, पेट या पीठ में दर्द, जल्दी पेट भर जाना, बार-बार पेशाब आना, मासिक धर्म में अनियमितता, बिना कारण वजन घटना इसके लक्षण हैं। 


प्रश्न 2: क्या अंडाशय कैंसर का इलाज संभव है?
उत्तर: अंडाशय कैंसर प्रारंभिक अवस्था में पहचान लिया जाए, तो इसका इलाज पूरी तरह संभव होता है। इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी और कुछ मामलों में रेडियोथेरेपी या टारगेटेड थेरेपी इस्तेमाल होती है।


प्रश्न 3: क्या अंडाशय कैंसर आनुवंशिक होता है?
उत्तर: कुछ मामलों में यह आनुवंशिक हो सकता है, अगर परिवार में स्तन या अंडाशय कैंसर का इतिहास है, तो जेनेटिक टेस्टिंग कराना फायदेमंद होता है।


प्रश्न 4: क्या अंडाशय कैंसर युवतियों को भी हो सकता है?
उत्तर: आमतौर पर 50 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में अधिक होता है। परंतु गर्म सेल ट्यूमर जैसे कुछ प्रकार की अंडाशय कैंसर युवतियों में भी देखे गए हैं।


प्रश्न 5: क्या अंडाशय कैंसर का इलाज कराने के बाद महिलाएं मां बन सकती हैं?
उत्तर: यदि कैंसर की स्टेज शुरुआती हो और एक अंडाशय सुरक्षित हो, तो फर्टिलिटी स्पेयरिंग सर्जरी से भविष्य में संतान की संभावना बनी रहती है। इसके लिए इलाज से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ और फर्टिलिटी विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए। 
 

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