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आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में दिल की बीमारियां चिंताजनक रूप से बढ़ रही हैं। जो समस्याएं पहले सिर्फ बुज़ुर्गों में देखी जाती थीं, अब वे युवाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही हैं। जब दवाओं और जीवनशैली में बदलाव से उपचार संभव नहीं होता, तब एंजियोप्लास्टी जैसी उन्नत प्रक्रिया की जरूरत पड़ती है।
इस ब्लॉग में हम एंजियोप्लास्टी क्या है, इसकी प्रक्रिया कैसे होती है, और यह कब ज़रूरी होती है – इन सभी पहलुओं की विस्तार से जानकारी देंगे।
अगर आप भी हृदय संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हैं, तो तुरंत नोएडा के सर्वश्रेष्ठ कार्डियोलॉजी अस्पताल में अनुभवी विशेषज्ञों से परामर्श लें और सही समय पर अपने हृदय का इलाज करवाएं।
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एंजियोप्लास्टी की जरूरत कब पड़ती है ? (When is Angioplasty Needed?)
कौन से मरीज इसके लिए उपयुक्त नहीं माने जाते? (Which Patients are not Considered Suitable for this?)
एंजियोप्लास्टी के बाद जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Changes After Angioplasty)
एंजियोप्लास्टी को लेकर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs about angioplasty)
एंजियोप्लास्टी एक ऐसी चिकित्सा प्रक्रिया है जिसका उपयोग दिल की ब्लॉक हुई धमनियों को खोलने के लिए करते है, जिससे हृदय को पर्याप्त रक्त और ऑक्सीजन मिल पाएं। जब कोरोनरी आर्टरी में कोलेस्ट्रॉल या प्लाक जमा होकर रक्त का प्रवाह बाधित करती हैं, तो एंजियोप्लास्टी से उस अवरोध को दूर करते है।
एंजियोप्लास्टी एक मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया है जिसमें अवरुद्ध धमनियों को खोलते है, जिससे रक्त प्रवाह पुनः सामान्य हो सके। इसमें मरीज की जांघ या हाथ की नस में एक पतली नली डाली जाती है जो हृदय की ब्लॉक धमनियों तक पहुंचाया जाता है। कैथेटर के माध्यम से एक छोटा बैलून ब्लॉकेज वाली जगह पर पहुंचाता है और उसे वहां फुलाया जाता है। इससे जमा हुआ प्लाक धक्का खाकर दीवार से चिपक जाता है और रास्ता चौड़ा होता है। अधिकतर मामलों में एक धातु का जाल (स्टेंट) लगाते है। जिससे धमनियां दोबारा संकरी न हों।
एंजियोप्लास्टी की जरूरत तब महसूस होती है जब दिल की धमनियों में ब्लॉकेज इतना गंभीर हो जाता है कि वह दिल को पर्याप्त रक्त नहीं पहुंचा पाता।
हार्ट अटैक की आपात स्थिति मेंः
जब कोई मरीज हार्ट अटैक (heart attack) से जूझ रहा हो और एंजियोग्राफी में किसी मुख्य धमनी में रुकावट नजर आए तो तुरंत एंजियोप्लास्टी करनी होती है।
सीने में बार-बार दर्द (एंजाइना) बना रहता होः
यदि मरीज को चलने, सीढ़ियां चढ़ने या हल्के व्यायाम में सीने में दर्द, दबाव या जकड़न महसूस हो और यह दर्द बार-बार होने पर एंजियोप्लास्टी की जरूरत हो सकती है।
दवाओं से राहत न मिल रही होः
कई बार मरीज को ब्लॉकेज के बाद दवा और जीवनशैली सुधार के बावजूद लक्षण बने रहें हैं। इस दौरान एंजियोप्लास्टी करना प्रभावी होता है।
जांचों में गंभीर ब्लॉकेज सामने आएः
अगर मरीज की एंजियोग्राफी, ईको या तनाव परीक्षण (टीएमटी) में यह पता चलता है कि किसी प्रमुख धमनी में 70 प्रतिशत या उससे अधिक ब्लॉकेज है, तो एंजियोप्लास्टी जरूरी होती है।
एंजियोप्लास्टी कोई सामान्य प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक क्लिनिकल निर्णय है जो अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय हृदय रोग गाइडलाइंस पर आधारित होता है।
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी / अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन:
यदि दिल की किसी बड़ी धमनी में अचानक 100 प्रतिशत ब्लॉकेज हो तो 90 मिनट के भीतर एंजियोप्लास्टी करना अनिवार्य है। इसे डोर टू बैलून टाइम कहा जाता है। यदि मरीज की हालत स्थिर न हो कार्डियक एंजाइम्स बढ़े हों या दर्द लगातार बना हो तो 24–72 घंटे में एंजियोप्लास्टी की सिफारिश की जाती है। अगर मरीज को बार-बार सीने में दर्द हो और दवाओं से राहत न मिले या स्ट्रेस टेस्ट/एंजियोग्राफी में महत्वपूर्ण ब्लॉकेज दिखे तो एंजियोप्लास्टी की जाती है।
यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजीः
ईएससी भी स्टेमी में तुरंत एंजियोप्लास्टी को प्राथमिकता देता है। इसमें मरीज के जोखिम स्कोर के अनुसार तय किया जाता है कि कितनी जल्दी एंजियोप्लास्टी करनी है। पहले दवाओं से इलाज करने की कोशिश की जाती है। अगर लक्षण न सुधरें या धमनी में बायां मुख्य अवरोध हो तब एंजियोप्लास्टी होनी चाहिए।
भारतीय कार्डियोलॉजी सोसाइटीः
सीएसआई (कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया) गाइडलाइंस, एसीसी और ईएससी दोनों के मानदंडों को स्थानीय जनसंख्या की जरूरतों के अनुसार अपनाती है। इसमें क्लॉट बस्टर दवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। जब समय पर एंजियोप्लास्टी उपलब्ध न हो। भारत जैसे देश में एंजियोप्लास्टी का निर्णय करते समय लागत, पहुंच और मरीज की समझदारी को भी ध्यान में रखना चाहिए।
यह हर मरीज के लिए उपयुक्त नहीं होती। कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं जहां एंजियोप्लास्टी के बजाय बायपास सर्जरी या केवल दवाइयों से इलाज करना बेहतर होता है।
मल्टी वेसल डिजीज वाले मरीजः
जब हृदय की तीन या अधिक मुख्य धमनियों में गंभीर ब्लॉकेज हो तो एंजियोप्लास्टी की बजाय कॉरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग को प्राथमिकता दी जाती है। खासकर डायबिटीज (Diabetes) वाले मरीजों में बायपास सर्जरी बेहतर हैं।
जिनका हृदय बहुत कमजोर हो चुका होः
अगर मरीज की हृदय की पंपिंग क्षमता 30 प्रतिशत से नीचे और ब्लॉकेज जटिल हो तो एंजियोप्लास्टी पर्याप्त नहीं है। ऐसे मामलों में विस्तृत कार्डियक मूल्यांकन कर वैकल्पिक उपचार तय किया जाता है।
ब्लॉकेज बहुत जटिल या कैल्सिफाइड होः
कुछ मरीजों में ब्लॉकेज कैल्सिफाइड स्थान पर होता है। जहां बैलून या स्टेंट पहुंचाना तकनीकी रूप से मुश्किल होता है। ऐसे में एंजियोप्लास्टी जोखिमपूर्ण होती है। इसलिए बायपास बेहतर विकल्प है।
एंजियोप्लास्टी आज भले ही एक सुरक्षित और सामान्य प्रक्रिया बन चुकी हो, लेकिन यह पूरी तरह जोखिम-मुक्त नहीं है। सही देखभाल और अनुशासन इसके सफल परिणाम की कुंजी हैं।
रेस्टेनोसिसः
कई मामलों में स्टेंट लगाने के बावजूद धमनियों में फिर से सिकुड़न होती है। यह जोखिम बेयर मेटल स्टेंट की तुलना में ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट में कम होता है। लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं होता, इसलिए नियमित फॉलोअप जरूरी है।
ब्लीडिंग, हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतराः
प्रक्रिया के दौरान या बाद में कुछ दुर्लभ जटिलताएं सामने आ सकती हैं। कैथेटर डालने वाली जगह से ब्लीडिंग होती है। दिल की धड़कनें असामान्य हो सकती है। दिल का दौरा या बहुत ही दुर्लभ मामलों में स्ट्रोक हो सकता है।
ब्लड थिनर दवाओं की भूमिकाः
एंजियोप्लास्टी के बाद मरीज को ब्लड थिनर दवा दी जाती हैं जिससे स्टेंट में खून का थक्का न जमे। इन दवाओं को कम से कम 6 से 12 महीने तक लेना अनिवार्य है।
निम्न बातों का ध्यान रखेंः
डॉक्टर द्वारा तय दवाएं ही लें, ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखें, तंबाकू और शराब से पूरी तरह दूरी बनाएं, हल्का व्यायाम और संतुलित आहार अपनाएं, निर्धारित अंतराल पर कार्डियोलॉजिस्ट से जांच कराते रहें।
नोएडा में एंजियोप्लास्टी के इलाज की लागत (Cost of Angioplasty treatment in Noida) मरीज की स्थिति, हार्ट ब्लॉकेज की गंभीरता, स्टेंट की गुणवत्ता (ड्रग एल्यूटिंग या सामान्य स्टेंट), और अस्पताल की सुविधाओं के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। यदि मरीज की स्थिति सामान्य है और एक ही स्टेंट की जरूरत है, तो प्रारंभिक जांच (ईसीजी, ईको, टीएमटी, ब्लड टेस्ट) और कैथ लैब एंजियोग्राफी सहित कुल खर्च 80 हजार से 1.5 लाख तक हो सकता है।
वहीं यदि एक से अधिक ब्लॉकेज हों और मल्टीपल स्टेंट या आईसीयू देखभाल की आवश्यकता पड़े, तो इलाज का कुल खर्च 2 लाख से 4.5 लाख तक पहुंच सकता है। इसमें सर्जरी, स्टेंट की कीमत, अस्पताल में भर्ती, आईसीयू शुल्क, दवाएं, और फॉलोअप जांचें शामिल होती हैं। यदि मरीज के पास हेल्थ इंश्योरेंस है या आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज कराया जाता है, तो कुल लागत में काफी राहत मिल सकती है। कुछ अस्पतालों में कैशलेस सुविधा भी उपलब्ध है।
एंजियोप्लास्टी के बाद की जिंदगी ही असली इलाज है यदि मरीज अपनी पुरानी आदतों पर लौट जाता है, तो ब्लॉकेज फिर से आ सकता है।
संतुलित आहार (डाइट):
कम वसा और कम कोलेस्ट्रॉल वाला भोजन लें, हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और ओमेगा-3 युक्त आहार शामिल करें, नमक और चीनी की मात्रा सीमित करें, तले-भुने, फास्ट फूड और प्रोसेस्ड चीजों से बचें।
नियमित व्यायाम:
एंजियोप्लास्टी के कुछ सप्ताह बाद हल्की फिजिकल एक्टिविटी जैसे 30 मिनट की वॉक डॉक्टर की सलाह पर करें, धीरे-धीरे योग, साइकलिंग या स्वीमिंग जैसी एक्टिविटी करें, बहुत तेज एक्सरसाइज से बचें।
तनाव प्रबंधनः
क्रोध, चिंता और मानसिक थकान हृदय रोगों को बढ़ाते हैं, ध्यान, योग, गहरी सांसें लेना, और पर्याप्त नींद तनाव को घटाते हैं।
पॉजिटिव सोचः
दवाओं का नियमित सेवन और डॉक्टर फॉलोअप कराना चाहिए, ब्लड थिनर, बीपी, कोलेस्ट्रॉल और शुगर कंट्रोल की दवाएं समय पर लेना चाहिए। अगर आप नोएडा से अपना इलाज करवा रहे हैं तो नोएडा के कार्डियोलॉजिस्ट के बताए अनुसार ब्लड टेस्ट और ईसीजी आदि समय पर कराएं। सीने में दर्द, थकान या सांस फूलने जैसे लक्षण दिखे तो तुरंत जांच कराएं।
तंबाकू और शराब से करें परहेजः
धूम्रपान और तंबाकू ब्लॉकेज को दोबारा बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण हैं। शराब दिल की मांसपेशियों पर असर डालती है। इसलिए इन आदतों को छोड़ना अनिवार्य है
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एंजियोप्लास्टी एक संकेत है कि आपके दिल ने तकलीफ झेली है अगर जीवनशैली पहले जैसी ही बनी रही, तो समस्या दोबारा लौट सकती है इस बार ज्यादा घातक हो सकती है, इसलिए सावधानी जरूरी है। अधिकांश हार्ट अटैक की जड़ ब्लॉकेज होती है यदि डॉक्टर की सलाह और कार्डियोलॉजी गाइडलाइंस के आधार पर एंजियोप्लास्टी की जाती है, तो यह न केवल हार्ट अटैक को टाल सकती है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर बनाती है। इसमें अंतरराष्ट्रीय मानकों, जांचों और अनुभवजन्य चिकित्सा के अनुसार जब इलाज किया जाता है, तो मरीज को अनावश्यक जोखिमों से बचा सकते हैं।
प्रश्न 1. क्या एंजियोप्लास्टी हार्ट की सर्जरी होती है?
उत्तर: एंजियोप्लास्टी एक मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया है। इसमें छाती नहीं खोली जाती बल्कि एक पतली नली (कैथेटर) के माध्यम से ब्लॉकेज हटाया जाता है।
प्रश्न 2. क्या एंजियोप्लास्टी के बाद मरीज ठीक हो जाता है?
उत्तर: एंजियोप्लास्टी ब्लॉकेज हटाकर रक्त प्रवाह सुधार देती है, जिससे लक्षणों में तुरंत राहत मिलती है। लेकिन बीमारी की जड़ें बनी रहती हैं। इसलिए दवा, डाइट और व्यायाम जरूरी हैं।
प्रश्न 3. क्या स्टेंट जीवनभर के लिए रहता है?
उत्तर: स्टेंट जीवनभर धमनियों में रहता है। लेकिन ब्लॉकेज दोबारा न हो इसके लिए ब्लड थिनर दवाएं और सतर्क जीवनशैली जरूरी है।
प्रश्न 4. क्या एंजियोप्लास्टी के बाद ब्लॉकेज फिर से हो सकता है?
उत्तर: संभावना होती है, जिसे रेस्टेनोसिस कहते हैं। यह जोखिम दवा-लेपित स्टेंट और अच्छी जीवनशैली से कम होता है।
प्रश्न 5. एंजियोप्लास्टी की लागत क्या होती है?
उत्तर: भारत में एंजियोप्लास्टी की लागत अस्पताल, शहर और स्टेंट की गुणवत्ता के अनुसार बदलती है। सामान्यत यह 1.5 लाख से 3.5 लाख के बीच है।
प्रश्न 6. क्या सभी ब्लॉकेज में एंजियोप्लास्टी जरूरी होती है?
उत्तर: एंजियोप्लास्टी तभी की जाती है जब ब्लॉकेज गंभीर हो या लक्षण काबू में न हों। यदि ब्लॉकेज हल्का हो या लक्षण न हों, तो दवा से इलाज किया जाता है।
प्रश्न 7. एंजियोप्लास्टी के बाद काम पर कब लौट सकते हैं?
उत्तर: मरीज 5 से 7 दिनों में सामान्य गतिविधियां शुरू कर सकता है। 2 से 4 सप्ताह में दफ्तर/कार्यस्थल लौट सकता है।