क्या नींद की कमी से दिल की समस्याएं हो सकती हैं? महत्वपूर्ण तथ्यों को समझें।

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आज की तेज रफ्तार जिंदगी में लोग अक्सर नींद को प्राथमिकता नहीं देते हैं। देर रात तक काम करना, मोबाइल स्क्रीन से चिपके रहना या अनियमित जीवनशैली यह सभी नींद को प्रभावित करते हैं। नींद की यह उपेक्षा दिल को नुकसान पहुंचाती है। नींद की कमी सीधा हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बनती है। अगर आपको भी अपने या अपने परिवार में से किसी के दिल से जुड़ी कोई भी परेशानी दिख रही है तो आप नोएडा में सर्वश्रेष्ठ हार्ट अटैक अस्पताल(Best Heart Attack Hospitals in Noida) से समय रहते संपर्क करें यह आपकी सेहत के लिए बेहद आवश्यक है। आइए इस विषय को विस्तार से समझें।


TABLE OF CONTENTS-

 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और जवाब (Frequently Asked Questions and Answers)

 

 

नींद और स्वास्थ्य का संबंध (The Relationship Between Sleep and Health)

अक्सर हम नींद को सिर्फ मानसिक थकान दूर करने का माध्यम मानते हैं। मगर सच्चाई यह है कि नींद शरीर के लगभग हर सिस्टम खासकर हृदय के लिए महत्वपूर्ण है। यह न सिर्फ ऊर्जा की पुनः पूर्ति करती है। साथ ही दिल, दिमाग और हार्मोनल(Hormonal) सिस्टम को संतुलन में रखती है। व्यस्त जीवनशैली, मोबाइल स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग, देर रात तक काम करने की आदत और बढ़ता तनाव नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं। पर्याप्त नींद न ले पाने की यह आदत धीरे-धीरे हमारी सेहत के लिए अदृश्य खतरा है।

 


नींद की कमी और हृदय रोग: संभावित जोखिम (Sleep Deprivation and Heart Disease: Potential Risks)

जब नींद नियमित और पर्याप्त नहीं होती, तो इसका प्रभाव केवल मानसिक थकान तक सीमित नहीं रहता यह शरीर के आंतरिक अंगों पर असर डालता है। नींद की कमी सीधे तौर पर हृदय रोगों के जोखिम(Risks of heart diseases) को बढ़ाती है।

 


हाई ब्लड प्रेशर

नींद की कमी के कारण सहानुभूति तंत्रिका तंत्र अधिक सक्रिय होता है। जिस कारण शरीर का तनाव बना रहता है। परिणामस्वरूप रक्तचाप सामान्य स्तर से ऊपर बना रहता है। रात के समय जब इसे गिरना चाहिए। यह लगातार उच्च रक्तचाप धीरे-धीरे हृदय की धमनियों पर दबाव डालता है। हृदय रोगों का कारण बनता है। 6 घंटे से कम सोने वालों में हाई ब्लड प्रेशर की संभावना 20-30% तक अधिक होती है।

 


कोरोनरी आर्टरी डिजीज

नींद पूरी न होने से शरीर में सूजन बढ़ती है। लिपिड प्रोफाइल जैसे कोलेस्ट्रॉल असंतुलित होता है। इसका असर धमनियों की दीवारों पर प्लाक जमने लगता है। जिस कारण धमनियां संकरी होती हैं। हृदय तक रक्त प्रवाह बाधित होता है। यह स्थिति हार्ट अटैक  के लिए काफी होती है।

 


दिल का दौरा

नींद की कमी से शरीर में कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ता है। हृदय पर लगातार तनाव रहता है। रक्तचाप और धड़कन तेज रहती है। धमनियों में ब्लॉकेज या थक्का बनने की संभावना बढ़ती है। जो लोग लगातार 6 घंटे से कम सोते हैं, उनमें हार्ट अटैक की संभावना 1.5 गुना अधिक होती है।

 


एरिदमिया

नींद की अनियमितता विशेषकर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) जैसी स्थिति हृदय की धड़कन की लय को बिगाड़ती है। तेज धड़कन, अनियमित धड़कन, धीमी धड़कन, यह स्थिति अचानक कार्डियक अरेस्ट जैसी गंभीर अवस्था में बदलती है।

 


हार्ट फेल्यर

नींद के दौरान हृदय को जो प्राकृतिक आराम और रिकवरी मिलती है। उसकी कमी से हृदय की पंपिंग क्षमता घटती है। थकावट, सांस फूलना और पैरों में सूजन जैसे लक्षण दिखते हैं। यह कॉनजेस्टिव हार्ट फेल्यर(heart failure) की ओर बढ़ता है। लंबे समय तक नींद की अनदेखी। विशेषकर उच्च रक्तचाप और मोटापे के साथ मिलकर हार्ट फेल्यर का कारण बनती है।

 

 

 

जोखिम में कौन हैं ? (Who is at Risk)

नींद की कमी का असर हृदय रोगों के लिए विशेष रूप से खतरनाक बनता है। नींद की कमी और उसके हृदय पर दुष्प्रभाव के उच्च जोखिम में हैं:

 


रात्रिकालीन काम करने वाले कर्मचारी : 

रात की शिफ्ट में काम करने वालों की शारीरिक जैविक घड़ी बाधित होती है। इससे नींद का चक्र असंतुलित होता है। दिल पर तनाव बढ़ता है। हृदय रोगों की संभावना बढ़ती है। नाइट शिफ्ट कर्मचारियों में हृदयाघात का खतरा सामान्य से 20-30% अधिक होता है।


फ्रीलांस

फ्रीलांसर, क्रिएटिव प्रोफेशनल्स या स्टार्टअप फाउंडर्स अक्सर अनियमित कार्य समय अपनाते हैं देर रात तक काम के लिए। बार-बार नींद टूटना, स्क्रीन टाइम अत्यधिक होना। यह अनियमितता धीरे-धीरे नींद की गुणवत्ता को गिराती है। इससे दिल पर असर पड़ता है।


तनावग्रस्त लोग

मानसिक स्वास्थ्य का नींद और हृदय दोनों पर सीधा असर होता है। तनाव और चिंता नींद को बाधित करती हैं। नींद की कमी फिर मानसिक तनाव को बढ़ाती है। यह हृदय पर बुरा असर डालता है। डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में कार्डियक इवेंट्स का जोखिम दोगुना होता है।


बुजुर्ग, मोटे व्यक्ति और पहले से हृदय रोग से ग्रसित लोग

इन समूहों में शरीर पहले से ही तनावग्रस्त या संवेदनशील होता है। उम्र बढ़ने के साथ नींद की गहराई घटती है। मोटापा ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया जैसी स्थितियों को जन्म देता है। हृदय रोग से ग्रसित व्यक्ति के लिए अपर्याप्त नींद स्थिति को और बिगाड़ती है। इसलिए ऐसे लोगों को नींद का ध्यान रखना चाहिए है। खासकर यदि वह पहले से दवा ले रहे हों तो।

 


बचाव के उपाय और सुझाव (Prevention Tips and Remedies)

नींद की गुणवत्ता सुधारना केवल मानसिक ताजगी नहीं। बल्कि हृदय की दीर्घकालिक सुरक्षा का हिस्सा है। इसलिए निम्न बातों का ध्यान रखेंः

 

नियत समय पर सोना और उठनाः

हर दिन एक ही समय पर सोना और जागना यहां तक कि वीकेंड पर भी शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक को स्थिर करता है। नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।

 

स्क्रीन टाइम सीमित करेंः

सोने से कम से कम 1 घंटे पहले मोबाइल, टीवी और लैपटॉप से दूरी बनाएं। इनकी नीली रोशनी मस्तिष्क को सतर्क बनाए रखती है। नींद में बाधा डालती है।

 

कैफीन और भारी भोजन से बचेंः

शाम के बाद चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक और मसालेदार या भारी भोजन से बचना चाहिए। यह नींद को बाधित करते हैं। अपच की समस्या उत्पन्न करते हैं।

 

ध्यान और गहरी सांस लेने का अभ्यास करें।

सोने से पहले 10-15 मिनट का धीमा योग, ध्यान यानी मेडिटेशन या डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज तनाव को कम करता है।

 

दिन में हल्का शारीरिक व्यायाम करेंः

नियमित शारीरिक गतिविधि जैसे टहलना, साइक्लिंग या स्ट्रेचिंग नींद को बेहतर बनाती है। मगर सोने से ठीक पहले भारी व्यायाम नहीं करें।

 

डॉक्टर से कब सलाह लें।

नींद से जुड़ी समस्याएं यदि हैं, तो इन्हें अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।


यदि लगातार नींद टूटती है।
  • सोने में दिनभर अत्यधिक थकान, चिड़चिड़ापन या फोकस की कमी बनी रहती है। 

  • नींद के दौरान सांस रुकने की समस्या यानी जोर से खर्राटे या सांस रुकने का लक्षण। 

  • नींद की समस्या 3 सप्ताह से अधिक समय तक लगातार बनी रहे।

तुरंत नोएडा में सर्वश्रेष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करें। डॉक्टर द्वारा स्लीप स्टडी जैसे टेस्ट से सटीक निदान किया जा सकता है और उचित उपचार दिया जा सकता है।

 

 

निष्कर्ष (Conclusion)

नींद एक जीवन रक्षक शारीरिक आवश्यकता है। ठीक उसी तरह जैसे दिल को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार और नियमित व्यायाम जरूरी है। वर्तमान में बदलती जीवनशैली में लोग नींद को प्राथमिकता नहीं देते हैं। इसका सबसे महंगा मूल्य हमारा दिल चुकाता है। नींद एक छोटा-सा परिवर्तन होता है। मगर इसके परिणाम दीर्घकालिक और जीवनरक्षक हो सकते हैं। नोएडा में हार्ट अटैक उपचार लागत काफी किफ़ायती है अगर आप किसी दिल की बीमारी को अपने अंदर देख रहे है तो जल्द ही डॉक्टर से संपर्क करें

 

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर (Frequently Asked Questions and Answers)


प्रश्न 1. क्या नींद की कमी से वास्तव में दिल की बीमारी हो सकती है?
उत्तरः 6 घंटे से कम सोने वाले व्यक्तियों में हाई ब्लड प्रेशर, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और हार्ट अटैक का जोखिम काफी बढ़ता है।


प्रश्न 2. नींद की कमी से ब्लड प्रेशर कैसे बढ़ता है?
उत्तरः  नींद की कमी से सहानुभूतिपूर्ण तंत्रिका तंत्र अधिक सक्रिय होता है। जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है। जिसे हाइपरटेंशन कहते हैं।


प्रश्न 3. क्या नींद की गुणवत्ता भी मायने रखती है या सिर्फ घंटों की गिनती?
उत्तरः  नींद की गुणवत्ता और निरंतरता महत्वपूर्ण हैं। बार-बार नींद टूटने, खर्राटे या नींद में सांस रुकने की समस्या हृदय पर दबाव डालती हैं।

 
प्रश्न 4. स्लीप एप्निया क्या है और क्या ये दिल की बीमारी से जुड़ा है?
उत्तरः  ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) एक नींद विकार है। जिसमें व्यक्ति की नींद के दौरान बार-बार सांस रुकती है। यह स्थिति दिल की लय गड़बड़ी, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर से जुड़ी है।


प्रश्न 5. अगर मैं रात में पूरी नींद नहीं ले पाऊं तो क्या दिन में सोकर उसकी भरपाई कर सकता हूं ?
उत्तरः  दिन में हल्की झपकी 20–30 मिनट तक राहत देती है। मगर यह रात की गहरी नींद का विकल्प है। शरीर को पुनर्स्थापित करने के लिए नींद जरूरी है।


प्रश्न 6. क्या नींद सुधारने से दिल की समस्याओं को रोका जा सकता है?
उत्तरः  नींद से न केवल दिल की बीमारियों का जोखिम घटता है।ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। तनाव कम होता है। हृदय की कार्यक्षमता बेहतर होती है।


प्रश्न 7. नींद में समस्या हो तो डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
उत्तरः रोज नींद टूटना या देर से नींद आना, थकावट और चिड़चिड़ापन, खर्राटे या नींद में सांस रुकना, लगातार 2–3 सप्ताह तक नींद से जुड़ी परेशानी होने पर डॉक्टर से  मिले।

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