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एंजियोप्लास्टी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके जरिए हृदय की ब्लॉकेज को खोला जाता है ताकि रक्त प्रवाह सामान्य हो सके। सही खानपान, नियमित व्यायाम और उचित देखभाल के बिना एंजियोप्लास्टी के लाभ लंबे समय तक नहीं टिकते। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि एंजियोप्लास्टी के बाद आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, क्या खाना चाहिए, किस प्रकार की एक्सरसाइज फायदेमंद होती है और किस तरह आप खुद को दोबारा हार्ट अटैक से बचा सकते हैं।
अगर आप या आपके किसी परिचित ने हाल ही में एंजियोप्लास्टी करवाई है, और बेहतर रिकवरी चाहते हैं, तो सही देखभाल और निगरानी के लिए नोएडा में सर्वश्रेष्ठ हॉस्पिटल का चयन करना बहुत जरूरी है। नोएडा में कार्डियोलॉजी की उन्नत सुविधाएं और अनुभवी विशेषज्ञ उपलब्ध हैं जो मरीजों को समग्र हृदय देखभाल प्रदान करते हैं।
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एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी (Exercise and Physical Activity)
दवाओं और मेडिकल फॉलो-अप की अहमियत (Importance of Medicines and Medical Follow-up)
हृदय को सुरक्षित रखने वाली जीवनशैली (Heart-Protective Lifestyle)
किन संकेतों को नजरअंदाज न करें ? (What Signs Should not be Ignored?)
कार्डियोलॉजी गाइडलाइन की झलक (A Glimpse of the Cardiology Guideline)
एंजियोप्लास्टी के बाद अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs after Angioplasty)
एंजियोप्लास्टी एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें हृदय की धमनियों में जमा फैट या प्लाक को हटाकर ब्लॉकेज को खोला जाता है। इसमें एक पतली ट्यूब (कैथेटर) के जरिए बैलून को ब्लॉक हिस्से तक पहुंचाते है, फिर इसे फुलाकर धमनियों को चौड़ा किया जाता है। अक्सर इसमें स्टेंट भी लगाया जाता है जिससे ब्लॉकेज दोबारा न हो।
एंजियोप्लास्टी तब की जाती है जब किसी मरीज को दिल का दौरा हुआ हो। धमनियों में गंभीर ब्लॉकेज पाया गया हो या मरीज को सीने में बार-बार दर्द के अलावा सांस लेने में तकलीफ होती है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य रक्त प्रवाह को फिर से सामान्य करना और हृदय को नुकसान से बचाना होता है। एंजियोप्लास्टी आमतौर पर एक मिनिमली इनवेसिव (कम चीरफाड़ वाली) प्रक्रिया होती है। प्रकिया के दौरान मरीज को 1 से 2 दिन अस्पताल में रखते हैं। यदि हार्ट अटैक (Heart attack) हुआ हो या कई ब्लॉकेज हों तो 3 से 5 दिन तक निगरानी में रखा जा सकता है। छुट्टी से पहले ईसीजी, इको, ब्लड टेस्ट कराएं जाते हैं।
एंजियोप्लास्टी के बाद पहला सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण होता है इसलिए आराम करें, लेकिन बहुत ज्यादा बिस्तर पर न रहें, सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में सावधानी बरतें, भारी सामान न उठाएं, गाड़ी चलाने से कम से कम 1 हफ्ते तक बचें, अगर कैथेटर हाथ या पैर में डाला गया हो तो उस अंग को ज्यादा दबाव में न लाएं, घाव की साफ-सफाई और सूजन/लाली पर नजर रखें, शारीरिक संबंध बनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें, धूम्रपान और शराब पूरी तरह बंद रखें।
दवाएं छोड़ना खतरे से खाली नहीं है। स्टेंट लगाने के बाद, शरीर उसे ‘अजनबी’ मानकर ब्लड क्लॉट बना सकता है। कार्डियोलॉजिस्ट एंटीप्लेटलेट्स जैसे एस्पिरिन और क्लोपिडोग्रेल जो खून को पतला रखते हैं। स्टैटिन्स कोलेस्ट्रॉल घटाते हैं। बीटा-ब्लॉकर्स या एसीई इनहिबिटर्स हृदय पर दबाव कम करते हैं। ब्लड प्रेशर और शुगर की दवाएं जरूरत के हिसाब से दी जाती है।
पहले 1 महीने में 1-2 बार डॉक्टर से मिलना आवश्यक है। ईसीजी, लिपिड प्रोफाइल, बीपी, शुगर जैसे टेस्ट कराना जरूरी होता है। डॉक्टर दवाओं की डोज समायोजित कर सकते हैं। दवा बंद करना या अपने मन से बदलना घातक होता है।
दिल को स्वस्थ रखने के लिए खानपान बड़ा हथियार है। एंजियोप्लास्टी के बाद सही आहार अपनाकर दोबारा ब्लॉकेज की संभावना को काफी हद तक कम करता है।
नमक की मात्रा 5 ग्राम प्रतिदिन से अधिक न हो। पैक्ड फूड, अचार, पापड़, नमकीन, चिप्स से बचें।
सैचुरेटेड फैट यानी घी, मक्खन, मलाई और ट्रांस फैट बेकरी आइटम, फ्राई चीजें के सेवन से बचे साथ ही वनस्पति घी, मार्जरीन, डिब्बाबंद मिठाइयां हानिकारक हैं।
फल, सब्जियां, साबुत अनाज जैसे ओट्स, दालें, ब्राउन राइस फायदेमंद हैं। दिन में कम से कम पांच रंग-बिरंगे फल/सब्जियां जरूर खाएं।
अंडे की जर्दी, रेड मीट, मटन, मिठाई, सोडा जैसे पदार्थ सीमित करें। मीठा खाने की इच्छा हो तो गुड़ या खजूर का सीमित प्रयोग करें।
शराब और धूम्रपान से पूरी तरह दूरी बनांएं। ये हृदय की धमनियों को फिर से संकुचित कर सकते हैं क्योंकि धूम्रपान त्यागना हृदय सुरक्षा की पहली शर्त है।
सुबह का नाश्ता:
ओट्स में दूध और फ्लैक्ससीड डालकर सेवन करें, 4–5 बादाम खा सकते हैं, 1 कप ग्रीन टी (शुगर फ्री) पिएं।
दोपहर का भोजन:
मूंग/मसूर दाल के अलावा ब्राउन राइस या मिलेट्स यानी बाजरा व जौ का सेवन करें साथ में 1 कटोरी हरी सब्जियां तरी वाली खाएं, वहीं 1 कटोरी सलाद यानी खीरा, गाजर, टमाटर का सेवन करना चाहिए।
शाम का नाश्ता:
फलों का सलाद यानी सेब, पपीता, अमरूद खाएं, 1 कप नींबू पानी बिना नमक और शक्कर वाला पिएं।
रात का खाना:
मल्टीग्रेन रोटी और लौकी, तुरई, पालक का सेवन करें, हल्का सूप लो-फैट दही ले सकते हैं।
दिन भर में पानी:
कम से कम 2.5-3 लीटर पानी, लेकिन भोजन के साथ ज्यादा न पिएं।
एंजियोप्लास्टी के बाद शारीरिक गतिविधि धीरे-धीरे और सावधानीपूर्वक शुरू करनी चाहिए।
व्यायामः
एक्सरसाइज न केवल हृदय को मजबूत बनाती है, बल्कि रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और तनाव को भी नियंत्रित करती है। हर दिन 5–10 मिनट की धीमी वॉक करें, दिन में 2 बार छोटी दूरी पर टहलना बेहतर रहेगा, सप्ताह में कम से कम 5 दिन या रोजाना 30 मिनट की चलने की सलाह दी जाती है, शुरुआत में 15-20 मिनट से शुरू करें, धीरे-धीरे समय बढ़ाएं, यदि चक्कर, सांस फूलना या सीने में दर्द हो तो तुरंत रुकें और डॉक्टर से संपर्क करें।
भारी व्यायाम और वेट लिफ्टिंग से परहेजः
पहले 6 से 8 हफ्तों तक कोई भी भारी काम (जैसे वज़न उठाना, पुशअप्स, जॉगिंग) न करें, जिम जाना या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग डॉक्टर की अनुमति के बिना शुरू न करें, सीढ़ियाँ चढ़ना, तेज़ साइकलिंग, या लंबी दूरी की ड्राइविंग से भी परहेज़ करें।
स्ट्रेचिंग और योगः
प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, गहरी सांसें लेने वाले अभ्यास से हृदय को राहत मिलती है। हल्के स्ट्रेचिंग व्यायाम जोड़े, जैसे गर्दन घुमाना, कंधों की रोटेशन, हाथ फैलाना, भस्त्रिका, कपालभाति जैसे उग्र प्राणायाम एंजियोप्लास्टी के शुरुआती महीनों में वर्जित हैं। सभी योग या व्यायाम की शुरुआत कार्डियोलॉजिस्ट या फिजियोथेरेपिस्ट की निगरानी में करें।
एंजियोप्लास्टी के बाद दवाएं केवल उपचार का हिस्सा नहीं हैं ये भविष्य के हार्ट अटैक से बचाव की गारंटी भी होती हैं।
एंटीप्लेटलेट दवाएंः
जब हृदय की धमनियों में स्टेंट डाला जाता है, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उस पर प्रतिक्रिया कर सकती है। इससे उस स्थान पर ब्लड क्लॉट (खून का थक्का) बनने का खतरा रहता है। यदि मरीज डॉक्टर की सलाह के बिना दवाएं बीच में छोड़ देता है, तो स्टेंट थ्रॉम्बोसिस हो सकता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।
कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल: स्टैटिन्सः
स्टैटिन्स जैसे एटोरवास्टेटिन, रोसुवास्टेटिन दवा कोलेस्ट्रॉल को घटाकर नई ब्लॉकेज बनने से रोकते हैं साथ ही पुराने प्लाक को स्थिर करते हैं। हार्ट अटैक की संभावना को 30–40 प्रतिशत तक घटाते हैं, कई बार मरीज सोचते हैं कि उनका कोलेस्ट्रॉल नॉर्मल है तो दवा छोड़ सकते हैं जबकि यह बड़ी भूल है।
नियमित बीपी और शुगर की मॉनिटरिंगः
हाई ब्लड प्रेशर (बीवी) और डायबिटीज हृदय की धमनियों को खराब करते हैं। इसलिए बीपी 120/80 mmHg होना चाहिए, शुगर (फास्टिंग 100 mg/dl, HbA1c < 6.5% बनाए रखना चाहिए, हर हफ्ते बीपी और शुगर चेक करें, खासकर जिनका हाइपरटेंशन या डायबिटीज (Diabetes) का इतिहास हो तो।
ब्लड थिनर दवाओं के साथ सावधानीः
अगर ब्लड थिनर दवा दी जा रही हों तो कुछ मामलों में कट लगने पर ज्यादा खून बहता है इसलिए सतर्क रहें। दांत निकालने, ऑपरेशन या इंजेक्शन से पहले डॉक्टर को बताएं।
क्या न करें:
ब्रूफेन, डायक्लोफेनैक जैसे दर्द निवारक दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह नहीं लें, शराब का सेवन बिल्कुल नहीं करें, चोट लगने वाले कामों जैसे भारी सामान उठाना, बाइक तेज चलाने से बचें।
फॉलो-अप की अहमियत
पहली विजिट एंजियोप्लास्टी के 1-2 हफ्ते बाद करें, उसके बाद 1, 3 और 6 महीने पर करें, फिर वार्षिक हार्ट चेकअप, ईसीजी, लिपिड प्रोफाइल, शुगर और बीपी जांच कराएं। फॉलोअप से यह तय होता है कि दवाएं असर कर रही हैं या नहीं, जरूरत हो तो दवाओं की डोज बदलती है।
हृदय को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिदिन 10–15 मिनट मन को शांत करने के लिए ध्यान का अभ्यास करें, अनुलोम-विलोम, गहरी सांसें लेने वाले व्यायाम करें, यदि आप डिप्रेशन, चिंता या अकेलेपन से जूझ रहे हैं तो काउंसलिंग या थैरेपी के लिए प्रोफेशनल की मदद लें। किताबें पढ़े के साथ संगीत सुने, बागवानी भी कर सकते हैं।
अच्छी नींद की अहमियतः
7–8 घंटे की गहरी और अनियमितता से मुक्त नींद हृदय को स्वस्थ रखने में उतनी ही जरूरी है जितनी दवा या व्यायाम। यदि नींद खराब है तो हार्ट बीट अनियमित होती है, ब्लड प्रेशर बढ़ता है, थकान से शारीरिक गतिविधि कम होगी इसलिए बेहतर नींद के लिए सोने से एक घंटा पहले मोबाइल या टीवी से दूरी बनाएं, एक तय समय पर सोना-जागना करें।
धूम्रपान, गुटखा, शराब से दूरीः
धूम्रपान और तंबाकू दिल की धमनियों को संकुचित करते हैं और ब्लड क्लॉटिंग की संभावना बढ़ाते हैं इससे दिल की नलियां सिकुड़ी हैं। इस कारण स्टेंट फेल होने का खतरा रहता है, दोबारा हार्ट अटैक हो सकता है, ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट असंतुलित हो सकता है।
वजन नियंत्रण और BMI ट्रैक करना
मोटापा हृदय पर बोझ डालता है ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है जिससे स्टेंट ब्लॉकेज (stent blockage) की संभावना बढ़ती है इसलिए बीएमआई को को 18.5–24.9 के बीच रखना चाहिए। पेट की चर्बी सबसे खतरनाक है पुरुषों में कमर 90 सेमी से कम व महिलाओं में 80 सेमी से कम होनी चाहिए। सप्ताह में एक बार वजन चेक करें। खाना कम लेकिन संतुलित खाएं।
एंजियोप्लास्टी के बाद कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिन्हें नजरअंदाज करना भूल हो सकती है। यह वार्निंग साइन होते हैं कि दिल दोबारा परेशानी में है।
छाती में दोबारा दर्द या जकड़न। सीने के बीचोंबीच भारीपन तो यह गंभीर संकेत होता है।
सांस फूलना थोड़ी सी चाल या आराम की स्थिति में भी सांस फूलना हृदय की कार्यक्षमता में गिरावट का संकेत है।
अत्यधिक थकान या चक्कर आना, लगातार थकान, कमजोरी या हल्का सिर घूमना ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट की ओर इशारा करते हैं।
पसीना, घबराहट या बेचैनी बिना मेहनत के बार-बार पसीना आना या घबराहट महसूस होना दिल पर अचानक पड़े तनाव का संकेत होता है।
हाथ-पैरों में सुन्नपन या झनझनाहट खासकर बाएं हाथ में सुन्नता या भारीपन यह हृदय संबंधी तकलीप का लक्षण है।
दिल की बीमारी हर व्यक्ति में अलग होती है। इसलिए एक ही इलाज या डाइट हर मरीज पर लागू नहीं किया जा सकता है। डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री, ईसीजी, इको और ब्लड रिपोर्ट के अनुसार इलाज और जीवनशैली की सलाह देते हैं।
फेलिक्स हॉस्पिटल, नोएडा में एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) के लिए अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट की टीम, कैथ लैब, आधुनिक ऑपरेशन थियेटर और 24×7 इमरजेंसी सेवाएं उपलब्ध हैं। यहां सीने में दर्द, सांस फूलना, बेचैनी, हाई बीपी या हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षण आने पर तुरंत ईसीजी, ईको और एंजियोग्राफी कर इलाज शुरू किया जाता है। अस्पताल में ड्रग एल्यूटिंग स्टेंट और कम समय में रिकवरी की सुविधा के साथ कैशलेस मेडिक्लेम सुविधा भी उपलब्ध है। ओपीडी सप्ताह के सभी दिन खुली रहती है। कम खर्च में भरोसेमंद और विशेषज्ञ इलाज फेलिक्स हॉस्पिटल की पहचान बन चुका है।
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एंजियोप्लास्टी एक चेतावनी है। इलाज का अंत नहीं। ऐसे में अब वक्त है जीवनशैली को गंभीरता से सुधारने का। डाइट, व्यायाम, दवाएं और निगरानी ये चार स्तंभ ही दिल की असली सुरक्षा हैं। छोटी-छोटी आदतें ही भविष्य के बड़े खतरे को रोक सकती हैं। दवाओं को नजरअंदाज करना या समय पर न लेना, भविष्य में बड़ी जटिलताओं को बुलावा दे सकता है। बीपी, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच दिल को सुरक्षित रखने में मदद करती है।
जहां तक बात है नोएडा में इलाज की कीमत की, तो एंजियोप्लास्टी की लागत (Cost of Angioplasty) अस्पताल, डॉक्टर की विशेषज्ञता, इस्तेमाल किए गए स्टेंट, और देखभाल की सुविधाओं पर निर्भर करती है। आमतौर पर यह कीमत ₹1.5 लाख से ₹3.5 लाख या उससे अधिक तक हो सकती है। सटीक जानकारी के लिए किसी विश्वसनीय कार्डियोलॉजी हॉस्पिटल से संपर्क करें।
प्रश्न 1. क्या एंजियोप्लास्टी के बाद सबकुछ खा सकते हैं?
उत्तर: लो-सोडियम, लो-फैट और हाई-फाइबर डाइट लेनी चाहिए। तला-भुना, मांस, मिठाइयां, नमकीन और प्रोसेस्ड फूड से बचना चाहिए।
प्रश्न 2. क्या एंजियोप्लास्टी के बाद मैं दोबारा हार्ट अटैक से पूरी तरह सुरक्षित हूं?
उत्तर: एंजियोप्लास्टी लक्षणों से राहत देती है। बीमारी की जड़ नहीं हटाती। जीवनशैली सुधारना, दवा लेना और निगरानी ही दोबारा अटैक से बच सकते हैं।
प्रश्न 3. एंजियोप्लास्टी के बाद कितने समय बाद वॉक या व्यायाम करना चाहिए?
उत्तर: पहले 1–2 हफ्ते यानी हल्की वॉक (5–10 मिनट), 2 हफ्तों बाद बाद 30 मिनट वॉक करना चाहिए। इसके लिए कार्डियोलॉजिस्ट या कार्डियक रिहैब टीम से सलाह लेकर शुरुआत करें।
प्रश्न 4. क्या मैं चाय, कॉफी और ड्रायफ्रूट्स ले सकता हूं?
उत्तर: कॉफी सीमित मात्रा में लें। बादाम, अखरोट जैसे ड्रायफ्रूट्स फायदेमंद हैं, लेकिन नमकीन या भुने हुए नहीं।
प्रश्न 5. क्या दवाएं ज़िंदगीभर चलेंगी?
उत्तर: कुछ दवाएं 1 साल या उससे ज्यादा समय तक चलती हैं। कुछ मरीजों को बीपी, शुगर, कोलेस्ट्रॉल की दवाएं लाइफ-लॉन्ग लेनी पड़ती हैं।
प्रश्न 6. क्या तनाव वाकई दिल को नुकसान पहुंचाता है?
उत्तर: लंबे समय तक तनाव रहने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है। कोर्टिसोल हार्मोन हृदय पर दबाव डालता है। नींद, डाइट व एक्सरसाइज सब पर असर होता है।
प्रश्न 7. क्या एक बार स्टेंट लगवाने के बाद दोबारा ब्लॉकेज हो सकता है?
उत्तर: अगर आप फिर से धूम्रपान करें। अनहेल्दी खाना खाएं। दवाएं न लें या व्यायाम न करें तो ब्लॉकेज की पुनरावृत्ति संभव है।