अगर बात करें फिस्टुला यानी कि भगंदर की समस्या काफी दर्द कारक स्थिति है। मलाशय में संक्रमण के कारण यह समस्या होती है। अगर आपने इस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह एक मामूली फोड़े से बढ़कर भयंकर दर्द देने वाली समस्या हो सकती है। महिलाओं की तुलना में पुरुष इससे अधिक प्रभावित होते हैं। 

फिस्टुला fistula meaning in hindi वैसे तो यह उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्या के तौर पर जानी जाती है। मगर वयस्क में भी इस तरह की दिक्कत रिपोर्ट की जाती रही है। फिस्टुला की समस्या अत्यधिक असुविधा पैदा कर सकती है और यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाता है तो इसके कारण गंभीर जटिलताएं भी हो सकती हैं।

फिस्टुला यानी कि भगंदर सर्जरी एक सुरक्षित और दर्द रहित प्रक्रिया है। फेलिक्स हॉस्पिटल best hospital for Fistula surgery in noida के पास अनुभवी जनरल सर्जनों की एक टीम है, जो फिस्टुला सर्जरी करती है। हम फिस्टुला पर आपके किसी भी सवाल का जवाब देने में सक्षम है। ज्यादा जानकारी के लिए हमें कॉल करें  +91 9667064100 ।

 

भगन्दर (फिस्टुला) क्या है?  What is fistula in hindi?:
 

जब गुदा नलिका में किसी कारण इंफेक्शन होती है उसके अंदर बहुत सारी गुदा नलिकाय होती हैं उसे भगन्दर या फिस्टुला कहा जाता है। ज्यादातर फिस्टुला गुदा नली में पस के इकठ्ठा होने से होते हैं। यह पस त्वचा से खुद भी बाहर निकल सकती है या इसके लिए आपरेशन की आवश्यकता भी हो सकती है। फिस्टुला तब होता है जब पस का त्वचा से बाहर आने के लिए बनाया गया रास्ता खुला रह जाता है या वह ठीक नहीं हो पाता। फिस्टुला एक छोटी नली समान होता है जो आंत के अंत के भाग को गुदा के पास की त्वचा से जोड़ देता है फिस्टुला के बारे में अधिक जानने  के लिए  what is fistula in hindi आगे पढ़े | यह आमतौर पर, तब होता है जब कोई संक्रमण सही तरीके से ठीक नहीं हो पाता। कुछ लोगों में बैक्टीरिया संक्रमण के कारण भगंदर की दिक्कत होती है जिसके परिणामस्वरूप सेप्सिस भी हो सकता है। इस तरह की समस्या से बचे रहने के लिए सभी लोगों को फाइबर युक्त आहार के सेवन की सलाह दी जाती है। जिन लोगों को भगंदर की समस्या होती है उन्हें इसके उपचार में सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है। फिस्टुला अंगों या नसों के बीच एक असामान्य जोड़ होता है। यह ऐसे दो अंगों या नसों को जोड़ देता है जो प्राकृतिक रूप से जुड़े नहीं होते हैं, जैसे आंत व त्वचा के बीच में, योनि व मलाशय के बीच में।

 

फिस्टुला क्यों होता है fistula causes in Hindi :

समाज में बहुत सारे लोगो का यह लगता है कि फिस्टुला गुदा नलिका में जिसमें बहुत कठोर मल निकलने से या किसी और कारण इंफेक्शन या फिर संक्रमण हो जाती हैं। वहां पर थोड़ी पस बन जाती है और अगर इसका सही समय इलाज न करवाया जाए तो यह पस आसपास की त्वचा के साथ अपना रास्ता बना लेती है और यह रास्ता आगे चलकर स्थायी हो जाता है दवाइयों लेने से यह बीच-बीच में यह बीमारी ठीक भी हो जाती है लेकिन इस रास्ते से मल के साथ साथ इंफेक्शन आता रहता है इसलिए वह बार-बार एरिया भरकर जब इंफेक्शन ज्यादा हो जाती है तो यह फिर से फूट कर बाहर आ जाती है। फूटने के बाद कुछ दवाइयां लेने से यह पस कम जरूर हो जाती हैं और रोगी को लगता है कि ठीक हो गया लेकिन कुछ देर के बाद फिर से इंफेक्शन और पस बढ़कर एक बार फिर यह आसपास की त्वचा की साथ फूटती है।

 

फिस्टुला के मुख्य कारण क्या हैं (fistula causes in Hindi) :

गुदा में फिस्टुला का कई कारण हो सकते हैं भगंदर के मुख्य कारणों में गुदा ग्रंथियां का बंद होना और  गुदा में फोड़े होना है। बाकी बहुत कम ऐसी स्थितियां होती है जो भगंदर का कारण बन सकती हैं।

 

  • आंत आंत की सूजन संबंधी बीमारी
  • रेडिएशन (कैंसर के लिए उपचार)
  • ट्रॉमा
  • यौन संचारित रोग
  • टीबी
  • डायवर्टीकुलिटिस एक ऐसी बीमारी जिसमें बड़ी आंत में छोटी छोटी थैलिययां बन जाती हैं और सूजन हो जाती है।
  • कैंसर
     

भगंदर (फिस्टुला) के प्रकार  Types of Fistula in Hindi : 

  • सामान्य या जटिल Simple or Complex: एक या एक से ज्यादा भगन्दर होने को सामान्य या जटिल फिस्टुला के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • कम या ज्यादा Low or High:भगंदर के होने की जगह और स्फिंकटर मांसपेशियों दो अंगूठी जैसी मासपेशियां जो गुदा को खोलती और बंद करती हैं। इसी उसकी नजदीकी के आधार पर उसे कम या ज्यादा में वर्गीकृत किया जाता है।

 

भगंदर (फिस्टुला) के लक्षण Fistula Symptoms in Hindi : 

  • गुदा में बारबार फोड़े होना
  • गुदा के आसपास दर्द और सूजन
  • मल करने में दर्द
  • रक्तस्त्राव
  • गुदा के पास एक छेद से बदबूदार और खून वाली पस निकलना (पस निकलने के बाद दर्द कम हो सकता है)
  • बारबार पस निकलने के कारण गुदा के आसपास की त्वचा में जलन
  • बुखार, ठण्ड लगना और थकान महसूस होना
  • कब्ज
  • सूजन

अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण हों तो अपने डॉक्टर के पास जाएं।
 

भगंदर के जोखिम कारक क्या होते हैं Risk Factors & Fistula Causes in Hindi:

ज्यादातर भगंदर गुदा में फोड़ा होने के बाद होते हैं। यह तब हो सकते हैं अगर फोड़े से पस निकलने के बाद वह ठीक नहीं हो पाता। ऐसे लोग जिन्हें गुदा में फोड़ा हुआ है उन्हें भगंदर होंगे।

इसके कुछ असामान्य कारण निम्नलिखित हैं :

  • टीबी या एचआईवी से संक्रमित होना।
  • गुदा के पास हुई कोई सर्जरी की जटिलता।
  • गुदा की आसपास की त्वचा में फोड़े और दाग पड़ना।
  • डाइवर्टिक्युलाइटिस यानी की बड़ी आंत की परत में बनने वाली थैलियों की सूजन।
  • क्रोहन रोग यानी की एक लंबी चलने वाली बीमारी जिसमें पाचन तंत्र में सूजन हो जाती है।

 

भगंदर के जोखिम कारक क्या होते हैं What are the risk factors for fistula : 

  • शुगर
  • धूम्रपान करना
  • शराब पीना
  • मोटापा
  • एचआईवी
  • गुदा में पहले कभी चोट लगना
  • पहले कभी गुदा के आसपास के क्षेत्र में रेडिएशन थैरेपी होना
     

भगन्दर (फिस्टुला) से बचाव - Fistula treatment in Hindi  :
 

  • पर्याप्त मात्रा में फाइबर लें get enough fiber :अगर सख्त या सूखा मल आ रहा है, तो आपको भगंदर होने का खतरा हो सकता है। अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में फाइबर लेने से, खासकर फलों और सब्जियों से, आप कब्ज से बच सकते हैं। जब तक आपको मुलायम और पहले से अधिक मल न आने लगे, तब तक फाइबर का सेवन धीरे-धीरे बढ़ाते रहें। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, जिससे पेट में सूजन और गैस नहीं होगी। 
  • तरल पदार्थ लें take fluids  :तरल पदार्थ लेने से कब्ज से बचा जा सकता है क्योंकि इससे मल मुलायम होता है और मल करने में आसानी होती है। (fistula treatment in hindi) गर्मी के मौसम में और ज्यादा शारीरिक गतिविधि करते समय अधिक तरल पदार्थ पिएं। अधिक मात्रा में शराब और कैफीन पीने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। 
  • व्यायाम करें exercise  :कब्ज होने का सबसे सामान्य कारण है कम शारीरिक गतिविधि करना। रोजाना कम से कम तीस मिनट तक व्यायाम करने का प्रयास करें, जिससे आपका पाचन तंत्र अच्छा होगा और आप फिट रहेंगे।
  • मल को अधिक देर तक न रोकें Do not hold stool for too long  :जब आपको मल करने की भावना हो, तो उसे नजर अंदाज न करें। ऐसा करने से मल की भावना देने वाले शरीर के संकेत कमजोर हो सकते हैं (fistula treatment in hindi)। आप मल को जितने अधिक समय के लिए रोकेंगे, वह उतना ही सूखा और सख्त होता जाएगा, जिससे मल करने में कठिनाई होगी।

 

अन्य आदतें :

  • टॉयलेट में मल करते समय पर्याप्त समय लें, लेकिन बहुत अधिक देर तक भी टॉयलेट पर न बैठें।
  • मल करने के लिए ज्यादा जोर न लगाएं।
  • गुदा के क्षेत्र को सूखा रखें।हर बार मल करने के बाद अपने आप को सही से साफ करें।
  • मुलायम, बिना डाई वाले और बिना सुगंध वाले टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करें।
  • दस्त का इलाज करवाएं।
  • अगर केवल फाइबर लेने से कब्ज से आराम नहीं मिल रहा है तो, लैक्सेटिव लिए जा सकते हैं।

 

भगन्दर (फिस्टुला) का परीक्षण  Diagnosis of fistula meaning in hindi

अगर डॉक्टर को लगता है कि भगंदर है, तो डॉक्टर आपसे पहले हुई बिमारियों के बारे में पूछेंगे और आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे। कुछ फिस्टुला का पता लगाना आसान होता है और कुछ का कठिन। कभी-कभी यह खुद ठीक होकर फिर से भी हो जाते हैं। आपके डॉक्टर रिसाव और रक्त स्त्राव के लक्षणों की जांच करेंगे और वह आपके गुदा की जांच भी कर सकते हैं।Treatment of Fistula आपके डॉक्टर एक्स रे और सीटी स्कैन जैसे परीक्षणों के लिए आपको एक विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं। आपको कोलोनोस्कोपी की आवश्यकता भी हो सकती है। इस परीक्षण में आपके गुदा में एक कैमरे वली ट्यूब डाली जाएगी, जिससे आपके गुदा और मलाशय के अंदर के हिस्से को देखा जाएगा। इस परीक्षण के दौरान आपको सुला दिया जाएगा।

भगन्दर (फिस्टुला) का इलाज  Fistula Treatment in Hindi : 

भगंदर के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है, इसे दवाओं से ठीक नहीं किया जा सकता। एक सामान्य भगन्दर जो आपके गुदा के ज्यादा नजदीक नहीं है के लिए डॉक्टर भगंदर की नली की त्वचा और आसपास की मांसपेशियों में एक चीरा लगाएंगे घाव भर जाएगा। सामान्य भगंदर बिना स्फिंकटर मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाए ठीक किया जा सकता है, लेकिन जटिल भगंदर को ठीक करने में जोखिम बढ़ जाता है। भगंदर को बंद करने के लिए आपके डॉक्टर एक डाट का उपयोग कर सकते हैं। अगर स्थ्तिति जटिल हो तो भगंदर के इलाज के लिए डॉक्टर इसके छेद में एक ट्यूब डालते हैं। इसे सेटन कहा जाता है। यह रबड़ की बनी होती है। सेटन संक्रमित तरल पदार्थ को सोखने का काम करती है। इसमें छह सप्ताह या उससे ज्यादा समय लग सकता है। भगंदर के स्थान के आधार पर डॉक्टरों को आपकी स्फिंकटर मांसपेशियों गुदा को खोलने व बंद करने वाली मांसपेशियां को काटने की आवश्यकता हो सकती है। डॉक्टर कोशिश करेंगे कि इन मांसपेशियों को नुकसान न हो लेकिन इससे सर्जरी के बाद मल को नियंत्रित करने में कठिनाई हो सकती है। fistula meaning in hindi इसके इलाज के लिए तीन तरह की सर्जरी की जा सकती हैं, जो इस प्रकार हैं:

  • फिस्टुलोटोमी Fistulotomy :फिस्टुलोटोमी भगन्दर का सबसे सामान्य इलाज है, जिसमें भगन्दर की ट्यूब को काटकर खोला जाता है। इससे भगन्दर ठीक होने की सम्भावना अधिक होती है और यह फिर से भगंदर होने से रोकता है। हालांकि कुछ जटिल मामलों में इससे स्फिंकटर मांसपेशियों को नुकसान का खतरा बढ़ जाता है।
  • फिस्टुलेक्टमी Fistulectomy :जब पूरे भगंदर को काटकर शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है, तो उस सर्जरी को फिस्टुलेक्टमी कहा जाता है। यह इलाज जटिल स्थिति में सबसे अच्छा माना जाता है। हालांकि फिस्ट्युलेक्टमी के कुछ नुकसान भी होते हैं। सर्जरी के बाद रोगी को ठीक होने में चार से छह सप्ताह लग जाते हैं, जो बाकी सर्जरी के बाद ठीक होने के समय से अधिक है। इस सर्जरी से मल न रोक पाना जैसी समस्या हो सकती है fistula meaning in hindi ।
  • लेजर ट्रीटमेंट Laser Treatment :लेजर में भगंदर या स्फिंकटर मांसपेशियों को काटने की आवश्यकता नहीं होती है जिससे मल न रोक पाने की समस्या का खतरा कम हो जाता है और सर्जरी के बाद ठीक होने में भी कम समय लगता है।

सर्जरी के बाद अपनी देखभाल करने के लिए इन बातों का ध्यान रखें Keep these things in mind to take care of yourself after surgery:

  • प्रतिदिन गर्म पानी से नहाएं।
  • मल को मुलायम बनाने के लिए लैक्सेटिव लें।
  • भगंदर के ठीक होने तक अपने गुदा के क्षेत्र में पैड पहनें।
  • फाइबर युक्त आहार लें और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पिएं।
  • डॉक्टर से बात किए बिना अपनी मर्ज़ी से मेडिकल स्टोर से जा कर कोई दवा न लें।
  • भगंदर की सर्जरी के बाद डॉक्टर द्वारा बताई गई दर्द निवारक दवाएं और एंटीबायोटिक दवा लें।

 

भगंदर (फिस्टुला) के नुकसान - fistula meaning in hindi : 

संक्रमण Infection  :किसी भी प्रकार की सर्जरी से संक्रमण होने का खतरा होता है। भगंदर की नली में मौजूद संक्रमण कभी-कभी शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है। अगर ऐसा होता है, तो आपको एंटीबायोटिक दवाएं लेने की आवश्यकता हो सकती है।
मल पर नियंत्रण खोना losing control of stool  :कुछ दुर्लभ मामलों में सर्जरी से स्फिंकटर मांसपेशियों को नुकसान हो सकता है, जिससे आप अपने मल करने पर नियंत्रण खो सकते हैं। ऐसा होने की संभावना आपकी सर्जरी के प्रकार व भगंदर के स्थान पर निर्भर करती है। अगर आपको सर्जरी से पहले भी यह समस्या थी, तो सर्जरी के बाद यह और बिगड़ सकती है। कुछ मामलों में सर्जरी के बाद भी फिर से भगंदर हो सकता है।

 

क्या फिस्टुला सर्जरी दर्दनाक होती है  Is fistula surgery painful in Hindi : 

कुछ भगंदर (fistula meaning in hindi) एंटीबायोटिक्स और कई तरह की दवाओं की मदद से ठीक हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर को सर्जरी की जरूरत होती है। भगंदर के सर्जिकल उपचार के लिए मुख्य रूप से दो तरह की सर्जरी प्रचलित हैं यह हैं। फिस्टुलोटॉमी और सेटन सर्जरी।
फिस्टुलोटॉमी का मतलब होता है जब सर्जन भगंदर में चीरा लगा देता है ताकि वह सूख कर ठीक हो जाए। सेटन सर्जरी के दौरान सर्जन किसी भगंदर के अंदर पतले सर्जिकल धागे का एक टुकड़ा रख देता है जिसकी वजह से भगंदर का इंफेक्शन बाहर बह जाए। भगंदर के इलाज की सभी प्रक्रियाओं के अलग-अलग लाभ और जोखिम हो सकते हैं। दोनों पद्धतियों के बारे में डॉक्टर से सलाह लें।
 

फिस्टुला का पता कैसे लगा सकते हैं How can you detect a fistula in Hindi:

डॉक्टर आमतौर पर गुदा के आसपास के क्षेत्र की जांच करके भगंदर का पता लगाते हैं। ‌वह ज्यादातर त्वचा पर भगंदर की तलाश करते हैं। फिर डॉक्टर यह निर्धारित करने की कोशिश करते हैं कि भगंदर की गहराई और बहने की दिशा का पता लगाते हैं। कई बार बाहरी भगंदर से तरल पदार्थ निकलता दिख सकता है। कुछ भगंदर त्वचा की सतह पर नहीं दिखाई देते (fistula meaning in hindi) इस मामले में डॉक्टर को अन्य जांच करने की जरूरत हो सकती है। एनोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें गुदा और मलाशय के अंदर देखने के लिए एक खास उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है। भगंदर को सही से देखने के लिए डॉक्टर गुदा क्षेत्र का अल्ट्रासाउंड या एमआरआई कराने की सलाह भी दे सकते हैं। कभी-कभी सर्जन को भगंदर का निदान करने के लिए ऑपरेटिंग रूम में एनेस्थीसिया देकर जांच करने की जरूरत पड़ सकती है। अगर भगंदर पाया जाता है, तो डॉक्टर यह देखने के लिए और चैकअप कर सकते हैं कि क्या स्थिति क्रोहन रोग से संबंधित है या फिर  आंत की सूजन की है या नहीं। क्रोहन रोग से पीड़ित लगभग 25 प्रतिशत लोगों में भगंदर विकसित हो जाता है. इन सभी टेस्ट्स में खून की जांच, एक्स-रे और कोलोनोस्कोपी शामिल हैं।अगर आपको भी यह महसूस हो रहा है तो उसके लक्षण जाने (fistula symptoms in hindi) और अपना बचाव करके चले 

 

फिस्टुला के दौरान आपका खान-पान:

  • अनाज : दलिया, क्विनोआ, ब्राउन राइस, रागी और दलिया सब अनाज में शामिल हो सकते हैं। अनाज फाइबर से भरपूर होते हैं। फाइबर अच्छे पाचन में सहायता करते हैं और मल त्याग को आसान बनाते हैं जिससे दर्द में कमी आती है।
  • दालें : दालें प्रोटीन प्रदान करती हैं और फाइबर में उच्च होती हैं, इस प्रकार पाचन तंत्र को साफ रखने में मदद करती हैं। दालें आपको लंबे समय तक भरा रखती हैं और मल त्यागते समय, वे उच्च फाइबर सामग्री होने के कारण मल में बल्क जोड़ती हैं। राजमा, मूंग दाल, चना, मसूर दाल और सोयाबीन महत्वपूर्ण दालें जिनका सेवन कर सकते हैं।
  • हरी पत्तेदार सब्जियां : हरी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे केल, लेट्यूस, माइक्रोग्रीन्स, गोभी, पालक को अपने दैनिक आहार में शामिल करना चाहिए। पर्याप्त विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों के भंडार होने के अलावा, हरी सब्जियां फाइबर का एक उच्च स्रोत हैं। इनसे आपका पेट लंबे समय तक भरा रहेगा और ये आसानी से पचती हैं।इससे मलत्याग आसान हो जाता है।अगर आपको भी यह महसूस हो तो उसके लक्षण जाने (fistula symptoms in hindi) और अपना बचाव करके चले 
  • ताजे फल : सेब, एवोकाडो, केला और नाशपाती जैसे फलों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। उच्च फाइबर वाले फल एनल फिस्टुला में होने वाले दर्द और सूजन की संभावना को कम करते हैं। अपने दैनिक आहार में विभिन्न प्रकार के फलों को शामिल करें। एक त्वरित फल का सलाद न केवल स्वस्थ होता है बल्कि इसमें बहुत अधिक फाइबर होता है।
  • ब्राउन राइस :ब्राउन राइस डायट्री फाइबर से भरपूर होता है और कब्ज की संभावना को कम करता है। यह मल त्याग को आसान बनाकर एनल फिस्टुला के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।अगर आपको भी यह महसूस हो रहा है तो उसके लक्षण जाने (fistula symptoms in hindi) और अपना बचाव करके चले 
  • नारियल : नारियल में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो आपके मलत्याग को आसान बना सकती है। नारियल में बड़ी मात्रा में फैटी एसिड होता है, जिससे आपका पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है।
  • कुछ दुग्ध उत्पाद : स्किम्ड दूध और दही फिस्टुला में फायदेमंद होते हैं। अगर आपकी आंतों में जलन होती है तो दही का सेवन मददगार हो सकता है, क्योंकि दही में 'प्रोबायोटिक्स' होते हैं, जो स्वस्थ बैक्टीरिया को आपके आंत तंत्र में वापस लाने में मदद करते हैं। यह बेहतर पाचन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है और इस तरह कम दर्द या जलन के साथ एक चिकनी आंत देने में मदद करता है।

फिस्टुला होने पर इन चीजों से करें परहेज (fistula meaning in hindi)

फिस्टुला से बचने के लिए खाद्य पदार्थ:

  • उच्च वसा वाले डेयरी उत्पाद : अधिक फैट वाले दूध, पनीर और अन्य क्रीम उत्पादों से बचना चाहिए क्योंकि वे पचाने में कठिन होते हैं और पेट की बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
  • फास्ट फूड : फास्ट फूड के सेवन को कम करना चाहिए, साथ ही मैदे से बने खाद्य पदार्थों के सेवन पर तब तक रोक लगानी चाहिए जब तक कि लक्षण कम न हो जाएं।
  • मसालेदार भोजन : मिर्च पाउडर के साथ मसालेदार भोजन को पचाना काफी मुश्किल होता है। साधारण घर का बना खाना खाने की कोशिश करें । कुछ भी जो पेट को उत्तेजित करता है उसे खाना ठीक नहीं है ।
  • तले हुए खाद्य पदार्थ : अधिक तेल वाला भोजन पचाने में कठिन होता है।फिस्टुला के रोगियों को तले हुए भोजन से सख्ती से बचना चाहिए ।
  • नमकीन भोजन : पेट फूलना मल त्याग को कठिन बना सकता है। बहुत अधिक नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन न केवल आपके पेट को फूला हुआ महसूस कराएगा बल्कि पेट को खराब कर सकता है और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का कारण बन सकता है।
  • रेड मीट : रेड मीट पचाने में काफी मुश्किल होता है। बहुत कम फाइबर होने के कारण, पेट को इसे पचाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है और यह मल में बल्क भी नहीं जोड़ता है। इस प्रकार, तेल और मसालों में पके हुए बहुत अधिक रेड मीट से बचना चाहिए।
  • शराब : ये डीहाइड्रेशन का कारण बनती है जिससे मल त्याग करना मुश्किल हो सकता है। भारी मात्रा में मादक पेय फिस्टुला वाले लोगों के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं।
  • कैफीन युक्त पेय पदार्थ : ब्लैक कॉफी या भारी दूध वाली चाय से बचना चाहिए।
  • डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ : पहले से पैक किए गए खाद्य पदार्थ जैसे चिप्स, फ्राइज़ और फ्रोजन खाद्य पदार्थों का सेवन कम मात्रा में नहीं करना चाहिए या इससे बचना चाहिए।

फिस्टुला यानी कि भगंदर सर्जरी एक सुरक्षित और दर्द रहित प्रक्रिया है। फेलिक्स हॉस्पिटल best hospital for Fistula surgery in noida के पास अनुभवी जनरल सर्जनों की एक टीम है, जो फिस्टुला सर्जरी करती है। हम फिस्टुला पर आपके किसी भी सवाल का जवाब देने में सक्षम है। ज्यादा जानकारी के लिए हमें कॉल करें  +91 9667064100 .

 

भगंदर (फिस्टुला) के इलाज की प्रक्रिया:

भगंदर (फिस्टुला) आमतौर पर दवाइयों से ठीक नहीं होता है क्योंकि एक यह स्थायी रास्ता है और जब तक हम इसे बंद नहीं करेंगे, इसे निकालेंगे नहीं यह दोबारा दोबारा फिर से हमें हानि ही पहुंचता रहेगा भगंदर (फिस्टुला) का ऑपरेशन कई तरीके से किए जा सकते हैं जो परंपरागत तरीका है जो पुराने टाइम से चलता आ रहा है। उसमें Fistulotomy या फिर Fistulectomy में करते हैं। यानी कि डॉक्टर इस रास्ते को खोल लेते हैं या इसको खोलकर इसे बाहर निकाल लेते हैं और उस जख्म को खुला छोड़ देते हैं जिससे वह धीरे-धीरे अपने आप बड़े और यह रास्ता बंद बंद हो जाए कि इस तकनीक की एक कमी यह है की इसकी उपचारात्मक और हीलिंग बहुत धीरे धीरे होती है, क्योंकि यह क्षेत्र लगभग हमेशा थोड़ा संक्रमित ही रहता है बार-बार मल पास होने से इस एरिया में इंफेक्शन होती है तो इसलिए इसको ठीक होने में दो से लेकर आठ हफ्ते तक का टाइम लग सकता है। फिस्टुला के आज-कल कुछ नए उपाय हैं जैसे कि भगंदर (फिस्टुला) को दूरबीन से अंदर से सफाई करके इसे अंदर से बंद कर सकते हैं और जो यह रास्ता है उसे लेजर की सहायता से जला सकते हैं जिससे यह अंदर ही अंदर भर जाए और इसे ठीक करने में बहुत कम चीरा देना पड़े और इसके हीलिंग फास्ट हो जाए। कुछ मामलों में यह फिस्टुला (fistula meaning in hindi) बहुत ऊपर चला जाता है और उनके सिर में हमें एक उपकरण की सहायता ली जाती है जो कि एक धागे की तरह है जो धीरे-धीरे इस फिस्टुला को नीचे ले जाता है और इसे हमें ठीक करने में मदद करता है।

 

भगंदर (फिस्टुला) के कारण Fistula Causes in Hindi : 

फिस्टुला के कारण बहुत सारे हो सकते है। वह सारे फिस्टुला होने का कारण निम्नलिखित है|

 

  • गुदा या आंत की परत में सूजन होने पर।
  • गुदा के आसपास के हिस्सों सर्जरी होने पर ।
  • अधिकतर कठोर मल आने की समस्या होने पर
  • गुदा के आसपास चोट लग जाने पर।
  • धूम्रपान करने और शराब पीने के कारण।
  • रेडिएशन द्वारा गुदा के आस पास के क्षेत्र में इलाज करने पर ।
  • क्रोहन रोग भगंदर होने का एक कारण हो सकता है ।
  • टीबी या एड्स से पीड़ित होने पर।

 

भगंदर (फिस्टुला) के लक्षण (fistula symptoms in hindi) :

  • गुदा के आस पास के क्षेत्र में सूजन होना या बहुत दर्द होना
  • गुदा द्वार के मार्ग फोड़ा बनकर पस निकलना
  • नितंब के आस पास पस या खून का रिसाव होना या नितंबो के आस पास छेद होना
  • गुदा द्वार क्षेत्र में अधिकतर समय जलन होते रहना
  • मलत्याग करते समय जलन होना

भगंदर (फिस्टुला) के प्रकार Anal Fistula Types in Hindi : 

  • सामान्य या जटिल फिस्टुला (Simple or Complex)
  • लो या हाई फिस्टुला (Low or High Fistula)

भगंदर के किए सर्जरी इलाज —Fistula Treatment in Hindi

  • सर्जिकल उपचार
  • नॉन-सर्जिकल उपचार

फिस्टुला को आमतौर पर सर्जरी की आवश्यकता होती है क्योंकि अगर इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो वे कभी ठीक होते हैं।
उपचार के मुख्य विकल्पों में शामिल हैं:

  • फिस्टुलोटोमी : एनल फिस्टुला के लिए सबसे आम प्रकार की सर्जरी फिस्टुलोटॉमी है। इसमें फिस्टुला की पूरी लंबाई को खोलने के लिए काटना शामिल है ताकि यह एक सपाट स्कार के रूप में ठीक हो जाए। फिस्टुलोटॉमी एनल फिस्टुला के लिए सबसे प्रभावी उपचार है, हालांकि यह आमतौर पर केवल ऐसे फिस्टुला के लिए उपयुक्त होता है जो स्फिंक्टर की मांसपेशियों से नहीं गुजरता है, क्योंकि इन मामलों में असंयम का जोखिम सबसे कम होता है।यदि सर्जन को प्रक्रिया के दौरान स्फिंक्टर की मांसपेशियों का एक छोटा सा हिस्सा काटना पड़ता है, तो वे असंयम के जोखिम को कम करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।ऐसे मामलों में जहां असंयम का जोखिम बहुत अधिक हो उसमें दूसरी प्रक्रिया की सलाह दी जा सकती है।
  • सेटोन तकनीक : यदि आपका फिस्टुला स्फिंक्टर की मांसपेशियों के एक महत्वपूर्ण हिस्से से गुजरता है, तो सर्जन शुरू में एक सेटोन डालने की सलाह दे सकते हैं। सेटोन सर्जिकल धागे का एक टुकड़ा होता है जिसे फिस्टुला को खुला रखने के लिए कई हफ्तों तक छोड़ दिया जाता है। ऐसा करने से फिस्टुला का द्रव बाहर निकलने औऱ सूखने का मौका मिलता है। ऐसा करने में स्फिंक्टर को काटने की आवश्यकता नहीं होती। खुले हुए सेटोन फिस्टुला को ड्रेन होने देते हैं पर उन्हें ठीक नहीं करते हैं। फिस्टुला को ठीक करने के लिए, फिस्टुला को धीरे-धीरे काटने के लिए टाइट सेटोन का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए कई बार प्रक्रिया करने की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर कई फिस्टुलोटोमी प्रक्रियाओं को करने का सुझाव दे सकते हैं। हर बार फिस्टुला के एक छोटे से हिस्से को ध्यान से खोल जाता है औऱ प्रक्रिया दोहराई जाती है।
  • एडवांसमेंट फ्लैप प्रक्रिया : यदि आपका फिस्टुला स्फिंक्टर की मांसपेशियों से गुजरता है और फिस्टुलोटॉमी होने से असंयम पैदा करने का जोखिम होता है तो इस प्रक्रिया को करने की सलाह दी जा सकती है।इसमें फिस्टुला को काटना या खुरचना शामिल है । प्रक्रिया में मलाशय के अंदर से लिए गए ऊतक के फ्लैप के साथ उस छेद को ढंक दिया जाता है जहां यह आंत्र में प्रवेश करता है यानी जो बाउल का अंतिम भाग है।इसमें फिस्टुलोटॉमी की तुलना में कम सफलता दर होती है, लेकिन स्फिंक्टर की मांसपेशियों को काटने की आवश्यकता से बचा जाता है।
  • लिफ्ट प्रक्रिया : यह प्रक्रिया ऐसे फिस्टुला के लिए की जाती है जो स्फिंक्टर की मांसपेशियों से होकर गुजरता है औऱ जहां फिस्टुलोटॉमी करना बहुत जोखिम भरा होगा।उपचार के दौरान फिस्टुला के ऊपर की त्वचा में एक कट लगाया जाता है और स्फिंक्टर की मांसपेशियों को अलग कर दिया जाता है। इसके बाद फिस्टुला को दोनों सिरों पर सील कर दिया जाता है । फिर इसे काटकर खोल दिया जाता है ताकि वह सपाट नज़र आए।
  • एंडोस्कोपिक एब्लेशन : इस प्रक्रिया में एक एंडोस्कोप को फिस्टुला में डाला जाता है। फिर एक इलेक्ट्रोड को एंडोस्कोप के माध्यम से अंदर भेजा जाता है और फिस्टुला को सील करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • लेज़र शल्य क्रिया : इस प्रक्रिया में फिस्टुला को सील करने के लिए एक छोटे लेजर बीम का उपयोग किया जाता है।
  • फाइब्रिन ग्लू : फ़ाइब्रिन ग्लू के साथ उपचार वर्तमान में फिस्टुला के लिए एकमात्र नॉन सर्जिकल चिकित्सा विकल्प है। जब आप जनरल एनेस्थीसिया के तहत होते हैं तो इसमें सर्जन फिस्टुला में एक गोंद इंजेक्ट करता है। गोंद फिस्टुला को सील करने में मदद करता है और इसे ठीक होने के लिए प्रोत्साहित करता है।यह आमतौर पर साधारण फिस्टुला के लिए फिस्टुलोटॉमी से कम प्रभावी होता है और परिणाम लंबे समय तक चलने वाले नहीं हो सकते हैं, लेकिन यह फिस्टुला के लिए एक उपयोगी विकल्प हो सकता है जो स्फिंक्टर की मांसपेशियों से गुजरता है क्योंकि उन्हें काटने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • बायोप्रोस्थेटिक प्लग : यह जानवरों के ऊतकों से बना एक प्लग है जिसका उपयोग फिस्टुला के आंतरिक द्वार को अवरुद्ध करने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया एनल फिस्टुला को अवरुद्ध करने के लिए अच्छी तरह से काम करती है।

 

निष्कर्ष Conclusion :


एनल फिस्टुला रोगी के लिए कष्टदायक होते हैं और इनका इलाज करना बहुत मुश्किल हो सकता है। सर्जरी की जटिलताओं में बाउल से नियंत्रण खोना बड़ी समस्या हो सकती है। सही उपचार से रोगियों को ठीक किया जा सकता है या उनमें सुधार किया जा सकता है। संयुक्त सर्जिकल उपचारों के माध्यम से इस रोग से राहत मिल सकती है।

फेलिक्स समर्थन :


फिस्टुला यानी कि भगंदर सर्जरी एक सुरक्षित और दर्द रहित प्रक्रिया है। फेलिक्स हॉस्पिटल best hospital for Fistula surgery in noida के पास अनुभवी जनरल सर्जनों की एक टीम है, जो फिस्टुला सर्जरी करती है। हम फिस्टुला पर आपके किसी भी सवाल का जवाब देने में सक्षम है। ज्यादा जानकारी के लिए हमें कॉल करें  +91 9667064100 |


फिस्टुलापर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न frequently Asked question on Fistula :

  • क्या उंगली से फिस्टुला महसूस किया जा सकता है ?

कभी-कभी, फिस्टुला को आपकी उंगली से महसूस किया जा सकता है। हालांकि, अगर आपको फिस्टुला के कोई लक्षण दिखाई देते हैं, तो स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करें। डॉक्टर एक शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं और अपनी उंगली से फिस्टुला की उपस्थिति को महसूस कर सकते हैं

 

  • बिना सर्जरी के मैं अपने फिस्टुला से कैसे छुटकारा पा सकता हूं ?

फाइब्रिन ग्लू बिना सर्जरी के एनल फिस्टुला को ठीक करने का सबसे अच्छा तरीका है। सर्जन इस चिकित्सा ग्लू का उपयोग ओपनिंग को बंद करने के लिए करता है, जिससे यह ठीक हो जाता है। सिट्ज बाथ और स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने जैसे कुछ घरेलू उपचार हैं, लेकिन सर्जरी के बिना फिस्टुला शायद ही कभी ठीक हो जाता है

 

  • फिस्टुला सर्जरी के लिए अस्पताल में कितने समय के लिए रुकना होता है ?

लगभग सभी एनल फिस्टुला के लिए आपको रात को अस्पताल में रुकने के लिए नहीं कहा जाता है। हालांकि, फिस्टुला के आकार और सर्जरी की प्रकृति के आधार पर, आपको रात बिताने की आवश्यकता हो सकती है। इस प्रकार, यह हर मामले में भिन्न होता है।

 

  • फिस्टुला कितना गंभीर है ?

फिस्टुला बहुत असहज होते हैं, और अगर इसे बिना इलाज के छोड़ दिया जाए, तो यह लंबे समय में गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है। कुछ फिस्टुला बैक्टीरिया के संक्रमण के बारे में भी हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सेप्सिस होता है जो अंग क्षति, लो प्रेशर और गंभीर मामलों में, यहां तक कि मृत्यु का कारण बनता है।

 

  • फिस्टुला का मुख्य कारण क्या है (fistula causes in Hindi)? 

एनल में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जो बंद और अवरुद्ध हो सकते हैं। जब ऐसा होता है, तो एक संक्रमण होता है, जिससे आसपास के ऊतक में मवाद जमा हो जाता है। एक बार जब मवाद निकल जाता है, तो एक छोटा चैनल रह जाता है, जिससे फिस्टुला बनता है। फिस्टुला क्रोहन रोग, यौन संचारित रोग और कैंसर जैसी अन्य स्थितियों के कारण भी हो सकता है।

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