साइलेंट माइग्रेन – जब सिर में दर्द नहीं होता लेकिन ब्रेन पर असर पड़ता है! साइलेंट माइग्रेन एक माइग्रेन प्रकार है जो पेनफुल नहीं होता है। लेकिन सिरदर्द के बिना भी, साइलेंट माइग्रेन आपको काफी असहज यानी असहज कर सकता है। यह ब्लाइंड स्पाॅट्स, सुन्नता सुन्न होना और मतली जी मिचलाना जैसे साइलेंट माइग्रेन के लक्षणों को ट्रिगर कर सकता है। यहां साइलेंट माइग्रेन का पता कैसे लगाएं और इसके होने के कारणों और इसके बेस्ट ट्रीटमेंट यानी उपचारों के बारे में बताया गया है।
 

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माइग्रेन क्या होता है ? (What is Migraine?)

माइग्रेन को लगातार बहुत तेज सिरदर्द के रूप में वर्णित किया जाता है जो सिर के केवल एक तरफ को प्रभावित करता है। यह आमतौर पर एक अशांत दृष्टि, प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता और मतली के साथ होता है। यह अत्यधिक तेज दर्द का कारण बन सकता है जो घंटों से लेकर दिनों तक रह सकता है।


साइलेंट माइग्रेन के लक्षण (Symptoms of Silent Migraine)

साइलेंट माइग्रेन में कई लक्षण क्लासिक माइग्रेन से मिलते-जुलते हैं, बस सिरदर्द नहीं होता। इनमें शामिल हो सकते हैं:


साइलेंट माइग्रेन के प्रमुख लक्षण:


-साइलेंट माइग्रेन से पीड़ित बहुत से लोगों को ऑरा का अनुभव होता है, जिसमें चमकती रोशनी, टेढ़े-मेढ़े पैटर्न या ब्लाइंड स्पॉट जैसी दृश्य गड़बड़ी शामिल होती है। ऑरा आमतौर पर माइग्रेन के हमले से पहले होता है और एक चेतावनी संकेत के रूप में कार्य करता है।
 

-मरीजों को झुनझुनी या सिरदर्द की शिकायत हो सकती है। सुन्न होना चेहरे या हाथ-पैरों पर, एक लक्षण जो नकल कर सकता है स्नायविक स्थिति और प्रायः गलत निदान हो जाता है।
 

-मूक माइग्रेन के कारण हो सकते हैं भ्रम, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, और स्मृति में कमी। ये संज्ञानात्मक लक्षण परेशान करने वाले हो सकते हैं और दैनिक गतिविधियों में बाधा डाल सकते हैं।


-जी मिचलाना, उल्टी, चक्कर आनासाइलेंट माइग्रेन में सिरदर्द और प्रकाश तथा ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता आम बात है, जो सामान्य माइग्रेन की तरह ही है।
 

हालांकि, सिरदर्द की अनुपस्थिति से स्थिति की गंभीरता का कम आंकलन हो सकता है। इसके लिए समय रहते माइग्रेन के लिए सबसे अच्छे डॉक्टर को चुनें जिससे समय से आप ठीक हो सके।


कारण और ट्रिगर फैक्टर (Causes and Trigger Factors)

साइलेंट माइग्रेन के पीछे कई संभावित कारण होते हैं, और कुछ विशेष परिस्थितियाँ या कारक इसे ट्रिगर कर सकते हैं।

 

जेनेटिक कारण

  • यदि परिवार में किसी को माइग्रेन की समस्या रही है, तो आपको भी इसका खतरा बढ़ सकता है।
     
  • शोध बताते हैं कि माइग्रेन से जुड़े कुछ जीन माता-पिता से संतानों में स्थानांतरित हो सकते हैं।

 

तनाव और अनिद्रा

  • मानसिक तनाव या भावनात्मक दबाव माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है। 
     
  • पर्याप्त नींद न लेना या अनियमित नींद चक्र (स्लीप डिसऑर्डर) भी एक बड़ा कारण हो सकता है।

 

खान-पान से जुड़े कारण

कुछ खाद्य पदार्थ माइग्रेन ट्रिगर कर सकते हैं, जैसे:
 

  • कैफीन – अधिक मात्रा में कॉफी या चाय का सेवन
     
  • शराब – खासतौर पर रेड वाइन
     
  • चॉकलेट – इसमें मौजूद थियोब्रोमाइन माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है।
     
  • प्रोसेस्ड फूड – अधिक नमक, प्रिजर्वेटिव्स (जैसे MSG) और असंतुलित डाइट भी माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।


हार्मोनल परिवर्तन

  • महिलाओं में हार्मोनल बदलाव (मासिक धर्म, गर्भावस्था या मेनोपॉज) माइग्रेन का एक आम कारण हो सकता है।
     
  • एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में उतार-चढ़ाव माइग्रेन को प्रभावित कर सकते हैं।

 

मौसम और पर्यावरणीय कारण

  • अत्यधिक गर्मी, ठंड, उमस या अचानक मौसम बदलना माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है। 
     
  • तेज़ रोशनी, तेज़ गंध (परफ्यूम, धुआं) या ऊँची आवाज़ भी साइलेंट माइग्रेन का कारण बन सकती है।

 

साइलेंट माइग्रेन का मस्तिष्क पर प्रभाव (Effects of Silent Migraine on the Brain)

हालांकि साइलेंट माइग्रेन में सिरदर्द नहीं होता, लेकिन इसका प्रभाव मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर पड़ता है। यह न्यूरोलॉजिकल और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कई अस्थायी या दीर्घकालिक प्रभाव पैदा कर सकता है, इसके लिए न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल में खुद को दिखाना आवश्यक है।

 

न्यूरोलॉजिकल डिसफंक्शन (Neurological Dysfunction)

साइलेंट माइग्रेन मस्तिष्क के कामकाज को अस्थायी रूप से बाधित कर सकता है, जिससे विभिन्न न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ हो सकती हैं:
 

  • ऑरा (Aura) – चमकदार रोशनी या धुंधलापन दिखना
     
  • संवेदनशीलता में बदलाव – झुनझुनी या सुन्नपन महसूस होना
     
  • मांसपेशियों में कमजोरी – अस्थायी रूप से हाथ-पैरों में भारीपन महसूस होना


संज्ञानात्मक क्षमताओं में अस्थायी गिरावट (Cognitive Impairment)


साइलेंट माइग्रेन के दौरान मस्तिष्क की सामान्य कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे:
 

  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
     
  • मानसिक भ्रम
     
  • बोलने में दिक्कत
     
  • स्मृति संबंधी समस्याएं


मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव (Impact on Mental Health)

साइलेंट माइग्रेन मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है:

  • चिंता – लगातार माइग्रेन का डर मानसिक तनाव बढ़ा सकता है।
     
  • अवसाद – बार-बार माइग्रेन होने से व्यक्ति उदासी और निराशा महसूस कर सकता है।
     
  • मूड स्विंग्स – मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे सेरोटोनिन) के असंतुलन से चिड़चिड़ापन और मूड में उतार-चढ़ाव हो सकता है।

 

निदान और परीक्षण (Diagnosis and Testing)

साइलेंट माइग्रेन का निदान करना सामान्य माइग्रेन की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि इसमें सिरदर्द नहीं होता। इसलिए, डॉक्टर अन्य संभावित न्यूरोलॉजिकल और चिकित्सकीय स्थितियों को बाहर करने के लिए विभिन्न परीक्षण कर सकते हैं।


1. न्यूरोलॉजिकल परीक्षण (Neurological Examination)
 

  • डॉक्टर आपकी तंत्रिका प्रणाली (nervous system) की कार्यप्रणाली की जांच करेंगे।
     
  • इसमें रिफ्लेक्स, संतुलन, कॉर्डिनेशन और संज्ञानात्मक क्षमताओं का मूल्यांकन किया जाता है।
     
  • यदि कोई असामान्यता पाई जाती है, तो आगे के परीक्षणों की सलाह दी जाती है।


2. एमआरआई और सीटी स्कैन


चूंकि साइलेंट माइग्रेन के लक्षण स्ट्रोक, ट्यूमर या अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से मिल सकते हैं, इसलिए डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षण कर सकते हैं:
 

  • एमआरआई(Magnetic Resonance Imaging):


-मस्तिष्क की विस्तृत संरचनात्मक तस्वीर प्रदान करता है।

-स्ट्रोक, ट्यूमर, या अन्य असामान्यताओं की पहचान करने में मदद करता है।
 

  • सीटी स्कैन (Computed Tomography):


-मस्तिष्क की त्वरित स्कैनिंग करता है।

-ब्लीडिंग या किसी अन्य गंभीर समस्या को देखने के लिए किया जाता है।


3. माइग्रेन डायरी रखना 


माइग्रेन के ट्रिगर फैक्टर और पैटर्न को समझने के लिए एक डायरी रखना सहायक हो सकता है।


इसमें निम्नलिखित जानकारी दर्ज करें:


-लक्षणों की शुरुआत और अवधि

-कौन से कारक (खान-पान, तनाव, मौसम) लक्षणों को प्रभावित कर रहे हैं

-नींद और दिनचर्या में कोई बदलाव

-अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ या दवाएं

 

उपचार और बचाव के तरीके (Treatment and Prevention Methods)

साइलेंट माइग्रेन का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन सही रणनीतियों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। उपचार मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने और ट्रिगर से बचाव पर केंद्रित होता है।

 

जीवनशैली में बदलाव 

संतुलित दिनचर्या अपनाकर साइलेंट माइग्रेन की संभावना को कम किया जा सकता है:


संतुलित आहार:
 

  • प्रोसेस्ड फूड, कैफीन, चॉकलेट और शराब के अधिक सेवन से बचें।
     
  • हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त आहार लें।
     
  • पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखें।


नियमित व्यायाम:
 

  • हल्का कार्डियो व्यायाम (जैसे योग, सैर, साइकिलिंग) करें।
     
  • अत्यधिक थकाने वाले वर्कआउट से बचें, क्योंकि यह माइग्रेन ट्रिगर कर सकता है।


पर्याप्त नींद:
 

  • हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें।
     
  • मोबाइल और लैपटॉप स्क्रीन से बचें, खासकर सोने से पहले।


माइग्रेन ट्रिगर्स से बचाव
 

हर व्यक्ति के माइग्रेन ट्रिगर अलग हो सकते हैं, इसलिए इन्हें पहचानकर इनसे बचना महत्वपूर्ण है:
 

  • अत्यधिक तेज़ रोशनी, शोर या तीव्र गंध से बचें।
     
  • लंबे समय तक भूखे न रहें, छोटे-छोटे अंतराल पर खाना खाएँ।
     
  • तनाव कम करने के लिए रिलैक्सेशन तकनीक अपनाएँ।
     
  • मौसम में बदलाव के समय विशेष सावधानी बरतें, जैसे बहुत गर्मी या ठंड से बचाव करें।


दवाइयां और प्राकृतिक उपाय

दवाइयां (Medications):
 

  • डॉक्टर जरूरत के अनुसार NSAIDs (जैसे इबुप्रोफेन), एंटी-डिप्रेसेंट्स या एंटी-एपिलेप्टिक दवाएँ दे सकते हैं।
     
  • कुछ मामलों में मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स भी फायदेमंद हो सकते हैं।


प्राकृतिक उपाय (Natural Remedies):
 

  • योग और ध्यान: माइग्रेन की तीव्रता कम करने में सहायक हो सकते हैं।
     
  • हर्बल सप्लीमेंट्स: अदरक, पुदीना, कैमोमाइल टी और लैवेंडर ऑयल का उपयोग माइग्रेन में राहत दे सकता है।
     
  • सिर और गर्दन की मसाज: यह रक्त संचार बढ़ाने और तनाव कम करने में मदद कर सकती है।

 

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निष्कर्ष (Conclusion)

भले ही इसमें सिरदर्द न हो, लेकिन इसके न्यूरोलॉजिकल और संज्ञानात्मक प्रभाव गंभीर हो सकते हैं। बार-बार होने वाले लक्षणों को हल्के में न लें। यदि आपको बार-बार धुंधली दृष्टि, चक्कर, सुन्नपन, या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। तुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और तनाव प्रबंधन से माइग्रेन की आवृत्ति कम हो सकती है। सही उपचार और बचाव के उपाय अपनाकर आप माइग्रेन के प्रभाव को कम कर सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। अगर आपको साइलेंट माइग्रेन के लक्षण महसूस होते हैं, तो इसे नज़रअंदाज़ करने की बजाय सही इलाज और रोकथाम के उपाय अपनाएं।


साइलेंट माइग्रेन को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर (Frequently Asked Questions and Answers about Silent Migraine)


प्रश्न 1. साइलेंट माइग्रेन कितनी देर तक रहता है ?
उत्तर: यह कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक रह सकता है। कुछ मामलों में, इसके प्रभाव 24 घंटे तक भी रह सकते हैं।


प्रश्न 2. क्या साइलेंट माइग्रेन का कोई स्थायी इलाज है ?
उत्तर: साइलेंट माइग्रेन का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए दवाइयाँ, जीवनशैली में बदलाव, और प्राकृतिक उपचार (योग, ध्यान, हर्बल सप्लीमेंट्स) मदद कर सकते हैं।


प्रश्न 3. साइलेंट माइग्रेन और स्ट्रोक में क्या अंतर है ?
उत्तर: दोनों के लक्षण मिलते-जुलते हो सकते हैं, लेकिन स्ट्रोक में आमतौर पर एक तरफ शरीर में कमजोरी, बोलने में कठिनाई और चेहरे का झुक जाना शामिल होता है। यदि संदेह हो, तो तुरंत मेडिकल सहायता लें।


प्रश्न 4. साइलेंट माइग्रेन से बचने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर: माइग्रेन ट्रिगर्स (कैफीन, शराब, तेज रोशनी, तेज आवाज़) से बचें। संतुलित आहार और पर्याप्त पानी का सेवन करें। नियमित रूप से व्यायाम करें और अच्छी नींद लें। तनाव कम करने के लिए ध्यान और योग करें।


प्रश्न 5. क्या साइलेंट माइग्रेन बच्चों में भी हो सकता है ?
उत्तर: हां, यह बच्चों और किशोरों में भी हो सकता है। यदि बच्चा बार-बार धुंधली दृष्टि, चक्कर आना, या असामान्य व्यवहार दिखा रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लें।


प्रश्न 6. क्या साइलेंट माइग्रेन के दौरान कोई विशेष आहार लेना चाहिए ?
उत्तर: माइग्रेन के दौरान हल्का और पोषण से भरपूर आहार लेना फायदेमंद होता है। हाइड्रेशन बनाए रखें और प्रोसेस्ड फूड, चॉकलेट और कैफीन से बचें।


प्रश्न 7. साइलेंट माइग्रेन का पता लगाने के लिए कौन-कौन से परीक्षण किए जाते हैंं ?
उत्तर: डॉक्टर न्यूरोलॉजिकल परीक्षण कर सकते हैं, और अन्य गंभीर बीमारियों को बाहर करने के लिए एमआई या सीटी स्कैन करने की सलाह दे सकते हैं। माइग्रेन डायरी रखना भी निदान में मदद करता है।

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