हड्डी का फ्रैक्चर होने पर सही उपचार और देखभाल जरूरत होती है। जिससे हड्डी जल्दी सही हो जाए। अगर किसी को हड्डी का फ्रैक्चर है, तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। तुरंत पास के अच्छे हड्डी रोग अस्पताल से चिकित्सा सहायता प्राप्त करनी चाहिए। फ्रैक्चर के इलाज में समय पर उपचार के अलावा डॉक्टर की सलाह व सही देखभाल के कारम हड्डी जल्दी सही हो जाती है। 

 

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हड्डी का फ्रैक्चर क्या है ? (What is a Bone Fracture?)

हड्डी का फ्रैक्चर (Bone Fracture) एक ऐसी स्थिति है। जिससे हड्डी टूट जाती है। उसमें दरार (crack) आती है। यह सरल शब्दों में कहें तो फ्रैक्चर तब होता है जब दुर्घटना, गिरने और हड्डियों को कमजोर करने वाली चिकित्सीय स्थितियां जैसे विभिन्न कारणों से हड्डी टूटती है या उसमें दरार आ जाती है। चोट अधिक दबाव या किसी बीमारी के कारण होता है।


फ्रैक्चर के प्रकार:

फ्रैक्चर के छह प्रमुख प्रकार होते हैं। जिनमें निम्म शामिल हैं:
 

  • सिंपल फ्रैक्चर (Simple Fracture)

इसमें हड्डी टूटती है, लेकिन त्वचा नहीं फटती है। सिंपल फ्रैक्चर को हिंदी में "सरल अस्थिभंग" कहते हैं। यह एक प्रकार का हड्डी का फ्रैक्चर होता है। यह फ्रैक्चर बाहर से दिखाई नहीं देता क्योंकि कोई घाव नहीं होता है। इस प्रकार का फ्रैक्चर कम जटिल होता है। इसका इलाज प्लास्टर या स्प्लिंट से होता है।

 

  • कम्पाउंड फ्रैक्चर (Compound Fracture)

यह एक गंभीर प्रकार का फ्रैक्चर है। जिसमें टूटी हुई हड्डी त्वचा को फाड़कर बाहर निकल  जाती है। इसमें त्वचा में गहरा घाव होता है। जिससे हड्डी दिखाई देती है। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

 

  • ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर (Greenstick Fracture)

यह बच्चों में अधिक होता है। इसमें हड्डी पूरी तरह नहीं टूटती। बल्कि सिर्फ मुड़ती है। यह उस स्थिति को कहते हैं जहां हड्डी आधे से ज्यादा नहीं टूटती. बल्कि एक तरफ से मुड़ती है और दूसरी तरफ से हल्की सी टूटती है।

 

  • कॉमिन्युटेड फ्रैक्चर (Comminuted Fracture)

जब हड्डी तीन या उससे अधिक टुकड़ों में टूटती है, तो उसे कॉमिन्युटेड फ्रैक्चर कहते हैं। इसमें हड्डी कई टुकड़ों में टूट जाती है।

 

  • स्ट्रेस फ्रैक्चर (Stress Fracture)

स्ट्रेस फ्रैक्चर एक छोटी-सी दरार होती है। इसमें हड्डी में लगातार दबाव या ओवरयूज की वजह से आती है। इसे तनावजन्य अस्थिभंग कहा जा सकता है। यह हड्डी पर बार-बार दबाव पड़ने के कारण होता है, जैसे कि एथलीट्स में देखा जाता है।

 

  • पैथोलॉजिकल फ्रैक्चर (Pathological Fracture)

पैथोलॉजिकल फ्रैक्चर एक ऐसा फ्रैक्चर होता है जो कमजोर या रोगग्रस्त हड्डी में होता है।  यानी कि बिना ज्यादा चोट के भी हड्डी टूट जाती है। इसे हिंदी में रोगजन्य अस्थिभंग कहते हैं। यह हड्डी कमजोर होने के कारण होता है, जैसे ऑस्टियोपोरोसिस या कैंसर की वजह से।

 

हड्डी का फ्रैक्चर के लक्षण और कारण (Symptoms and Causes of Bone Fracture)

  • तेज दर्द: प्रभावित स्थान पर अत्यधिक दर्द होता है। इस कारण हिलाने-डुलाने पर बढ़ सकता है।
  • सूजन: फ्रैक्चर वाली जगह पर सूजन, लालिमा या गर्माहट होती है।
  • विकृति: हड्डी के असामान्य रूप से मुड़ने या आकार बदलने का संकेत।
  • चलने-फिरने में कठिनाई: प्रभावित अंग को हिलाने में कठिनाई या असमर्थता।
  • रक्तस्राव: ओपन फ्रैक्चर में त्वचा फट सकती है और खून बह सकता है।
  • झुनझुनी या सुन्नपन: अगर फ्रैक्चर से नसें प्रभावित होती हैं, तो झुनझुनी या सुन्न महसूस हो सकता है।

 

हड्डी के फ्रैक्चर के कारण (Causes of Bone Fracture)

  • सड़क दुर्घटनाएं
  • ऊंचाई से गिरना
  • खेल के दौरान चोट लगना
  • ऑस्टियोपोरोसिस
  • हड्डी का कैंसर
  • ज्यादा दौड़ने, कूदने या खेलकूद से हड्डी पर दबाव
  • शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी
  • ओस्टोजेनेसिस इम्परफेक्टा
  • अर्थराइटिस 

 

हड्डी का फ्रैक्चर के जोखिम कारक (Risk Factors for Bone Fractures)

कुछ लोग अन्य लोगों की तुलना में हड्डी के फ्रैक्चर के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं> जिन्हें जोखिम कारक कहते हैं

  • आयु:

चूंकि बच्चे की हड्डियां लचीली होती हैं। मगर वहअधिक सक्रिय होते हैं। जिस कारण गिरने या चोट लगने का खतरा रहता है। इसी तरह बुजुर्ग यानी उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां कमजोर होती हैं। खासकर ऑस्टियोपोरोसिस  के कारण अधिक होता है।

 

  • हड्डी की कमजोरी

ऑस्टियोपोरोसिस यह एक बीमारी है जिसमें हड्डियां पतली और नाजुक हो जाती हैं, जिससे मामूली चोट से भी फ्रैक्चर हो सकता है।

 

  • हड्डी का कैंसर:

हड्डी का कैंसर एक गंभीर बीमारी है। जिसमें हड्डी की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं। इसमें गाठ बना लेती हैं। यह गांठ सौम्य भी हो सकती है और घातक भी।  इससे हड्डियों की संरचना कमजोर होती है।

 

  • जेनेटिक डिसऑर्डर:

जेनेटिक डिसऑर्डर ऐसा रोग हैं। जो जीन में परिवर्तन या दोष के कारण होते हैं। यह परिवर्तन जन्म से पहले ही शरीर के कोशिकाओं में होता है। अक्सर माता-पिता से विरासत में मिलता है, लेकिन कभी-कभी ये स्वतः भी उत्पन्न हो सकते हैं।

 

  • पोषण की कमी:

कैल्शियम और विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते है। हड्डी के पुनर्निर्माण में प्रोटीन की भी जरूरत होती है। इसकी कमी से परेशानी बढ़ती है।

 

  • हार्मोनल असंतुलन:

थायरॉयड और पैराथायरॉयड ग्रंथि की समस्या में शरीर में कैल्शियम के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं। रजोनिवृत्ति के कारण महिलाओं में इस दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।

 

  • जीवनशैली और आदतें:

धूम्रपान  यह हड्डियों की ताकत को कम कर सकता है। अत्यधिक शराब का सेवन  हड्डी घनत्व कम हो जाता है। शारीरिक गतिविधियों की कमी यानी व्यायाम न करने से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।

 

  • बार-बार लगने वाली चोटें:

एथलीट्स और सैन्य कर्मी जो होते हैं उन्हें अधिक परिश्रम के कारण हड्डियों पर बार-बार दबाव पड़ता है, जिससे स्ट्रेस फ्रैक्चर हो सकता है। भारी शारीरिक श्रम यानी अधिक वजन उठाने या कठोर परिश्रम करने से हड्डियों पर दबाव बढ़ सकता है।

 

  • चिकित्सीय स्थितियां

स्टेरॉयड या कुछ दवाइयों का सेवन यानी लंबे समय तक स्टेरॉयड लेने से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। मधुमेह   इससे हड्डी टूटने के बाद सही होने में अधिक समय लग सकता है। ऑस्टियोमायलाइटिस यह हड्डी का संक्रमण है, जो उसे कमजोर कर सकता है।
 

हड्डी का फ्रैक्चर की रोकथाम उपाय (Bone Fracture Prevention Measures)

  • कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। उनके घनत्व को बनाए रखने मे मदद करता है।
  • विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। इसलिए दूध, पनीर, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, मेथी) का सेवन जरूर करना चाहिए। सूरज की रोशनी से विटामिन डी की पूर्ति है।
  • वेट-बेयरिंग एक्सरसाइज हड्डियों को मजबूत बनाती हैं। उनके घनत्व को बढ़ाती हैं। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग मांसपेशियों और हड्डियों को सहारा देती है।
  • हड्डियों को मजबूत रखने के लिए प्रोटीन, मैग्नीशियम, जिंक और विटामिन की जरूरत है।
  • धूम्रपान से हड्डियों का घनत्व कम होता है। अत्यधिक शराब हड्डियों को कमजोर करती है। यह मानव संतुलन को प्रभावित करती है। जिससे गिरने का खतरा बढ़ता है।
  • 50 वर्ष से अधिक उम्र वालों को हड्डियों के घनत्व जांच प्रत्येक माह जांच करवाती रहनी चाहिए। अगर आहार से पर्याप्त कैल्शियम और विटामिन डी नहीं मिल रहा है, तो डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट्स का सेवन करना चाहिए।
     

हड्डी का फ्रैक्चर का उपचार (Treatment of bone Fractures)

अगर हड्डी टूटने का संदेह हो, तो तुरंत उपचार कराए।  प्रभावित क्षेत्र को स्थिर रखें। अगर फ्रैक्चर सरल  है। हड्डी ज्यादा हिली नहीं है, तो डॉक्टर प्लास्टर लगाते हैं। यह हड्डी को स्थिर रखता है। जिससे वह सही तरीके से जुड़ सके। कुछ मामलों में हड्डी को सीधा रखने और ठीक से जोड़ने के लिए ट्रैक्शन तकनीक का उपयोग होता है। इसमें पट्टियों, भार का प्रयोग किया जाता है। अगर हड्डी बहुत ज्यादा हिल गई हो या कई टुकड़ों में टूट गई हो, तो ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। इसलिए समय से अच्छे हड्डी के अस्पताल से संपर्क करना आवश्यक है।  हड्डी को जोड़ने के लिए प्लेट, स्क्रू, या रॉड्स का उपयोग करते हैं। अगर हड्डी का हिस्सा खराब हो गया हो, तो उसे नए हड्डी ऊतक से बदला जाता है।

 

हड्डी का फ्रैक्चर की थेरेपी (Therapy of Bone Fractures)

फ्रैक्चरठीक होने के बाद मांसपेशियों की कमजोरी, जकड़न और हड्डी की मजबूती प्रदान करने के लिए थेरेपी अपनाई जाती हैं। सही थेरेपी से हड्डी जल्दी सही हो जाती है। व्यक्ति सामान्य जीवन वापस जी सकता है।

  • ऑक्यूपेशनल थेरेपी:

इससे उन मरीजों के लिए फायदा होता है। जिनका फ्रैक्चर उनके दैनिक कार्यों को प्रभावित करता है। जैसे हाथ, कलाई  या पैर का फ्रैक्चर।

 

  • हाइड्रोथेरेपी:

इसे पानी में एक्सरसाइज करने वाली थेरेपी जिसे एक्वाथेरेपी भी कहते हैं। पानी के कारण शरीर का भार कम लगता है। जिससे मूवमेंट आसान होता जाता है।

 

  • इलेक्ट्रोथेरेपी:

कुछ मामलों में हड्डी और मांसपेशियों को ठीक करने के लिए इलेक्ट्रोथेरेपी का इस्तेमाल करते हैं। यह दर्द को कम करने में सहायक होता है।

 

  • अल्ट्रासाउंड थेरेपी :

रक्त संचार को बढ़ाकर हड्डी की हीलिंग प्रक्रिया तेज करता है। जिससे दर्द कम होता है।

 

  • लेजर थेरेपी:

ऊतकों  को पुनर्जीवित करने और सूजन कम करने में सहायक होता है। जिससे दर्द कम होता है।

 

  • बोन स्टिमुलेशन थेरेपी:

इसमें हड्डी धीमी गति से जुड़ रही है, बोन स्टिमुलेटर का उपयोग किया जाता है। इसे आराम मिलता है।

 

  • योग और स्ट्रेचिंग थेरेपी:

जब हड्डी ठीक हो जाती है, तो धीरे-धीरे योग और स्ट्रेचिंग से जोड़ों की गति बहाल होती है। शरीर को अधिक लचीला और मजबूत बनाता है।

थेरेपी या उपचार से जुड़ी कीमत की जानकारी के लिए, आप फेलिक्स अस्पताल से संपर्क कर सकते हैं।

 

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हड्डी की फ्रैक्चर के बाद सही उपचार और देखभाल के लिए उपयुक्त सर्जन और अस्पताल का चयन करना बेहद महत्वपूर्ण होता है। कुछ आवश्यक विचार निम्नलिखित हैं:

  • फ्रैक्चर के उपचार और सर्जरी में विशेषज्ञता और अनुभव।
  • नवीनतम तकनीक और इमेजिंग सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल।
  • हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञों की बहु-विषयक टीम।

नोएडा के फेलिक्स अस्पताल में डॉ. वरुण अग्रवाल, डॉ. केशव गोयल, डॉ. पीयूष कुमार सिंह, और डॉ. बिनय कुमार साहू जैसे अनुभवी ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ उपलब्ध हैं। ये विशेषज्ञ फ्रैक्चर के प्रभावी उपचार और मरीजों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए व्यक्तिगत देखभाल और उन्नत चिकित्सा समाधान प्रदान करते हैं।


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निष्कर्ष (Conclusion)

हड्डी का फ्रैक्चर (Bone Fracture) एक गंभीर स्थिति है। समय पर उपचार और उचित देखभाल से यह ठीक हो सकता है। हड्डी टूटने पर डॉक्टर से संपर्क करके उपचार कराएं। आप सही आहार, नियमित व्यायाम और हड्डियों की मजबूती बनाए रखने के उपाय अपनाकर फ्रैक्चर के जोखिम को कम कर सकते हैं। फेलिक्स हॉस्पिटल में अनुभवी ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञों की टीम अत्याधुनिक तकनीकों के साथ हड्डी के फ्रैक्चर का प्रभावी इलाज प्रदान करती है। अगर आपको या आपके किसी प्रियजन को हड्डी संबंधी कोई समस्या हो, तो बिना देर किए चिकित्सा सलाह लें।

 

हड्डी का फ्रैक्चर को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर (Frequently Asked Questions and Answers about Bone Fracture)

प्रश्न 1. हड्डी का फ्रैक्चर कितने प्रकार के होते हैं ?

उत्तर : हड्डी के फ्रैक्चर छह प्रकार के होते हैं। साधारण फ्रैक्चर में हड्डी टूटती है। मगर त्वचा नहीं फटती। जबकि हेयरलाइन फ्रैक्चर में हड्डी में दरार आ जाती  है।


प्रश्न 2. फ्रैक्चर को ठीक होने में कितना समय लग सकता है ?

उत्तर : यह कई कारकों पर निर्भर करता है। जैसे फ्रैक्चर का प्रकार, उम्र, स्वास्थ्य और उपचार विधि होती है। साधारण फ्रैक्चर को 6-8 हफ्तों में सही होता है।


प्रश्न 3. फ्रैक्चर के इलाज के दौरान क्या खाना चाहिए ?

उत्तर : हड्डियों को जल्दी ठीक करने के लिए कैल्शियम और विटामिन D से भरपूर आहार लें। दूध, दही, पनीर, हरी सब्जियां (पालक, मेथी),  नट्स और बीज (बादाम, तिल, अखरोट) का सेवन करें।


प्रश्न 4. क्या फ्रैक्चर के बाद व्यायाम किया जा सकता है ?

उत्तर : डॉक्टर और फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह के अनुसार हड्डी और मांसपेशियां मजबूत की जा सकती हैं। इलाज से जोड़ों की जकड़न कम हो जाती है। ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। इस दौरान हड्डी तेजी से जुड़ती है। शुरुआत में हल्की स्ट्रेचिंग और मूवमेंट एक्सरसाइज करना चाहिए। धीरे-धीरे वजन सहन करने वाली एक्सरसाइज करना चाहिए।


प्रश्न 5. क्या हड्डी पहले जैसी मजबूत हो सकती है ?

उत्तर : सही देखभाल और उचित पोषण से हड्डी पहले जैसी मजबूत होती है। कई बार हड्डी थोड़ी कमजोर रहती है। मगर भविष्य में गिरने या दोबारा फ्रैक्चर से बचाव के लिए सावधानी रखना चाहिए।

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